बिलासपुर।हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति ने जानकारी देते हुये बताया है कि एयरपोर्ट अथाॅरिटी आॅफ इंडिया द्वारा नाईट लैडिंग व 4सी एयरपोर्ट के लिये किये गये सर्वे की बहुप्रतिक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है। इसमें 3सी रहते हुये नाईट लैडिंग (आईएफआर) सुविधा तैयार करने और 4सी एयरपोर्ट में रनवे का विस्तार वर्तमान के 1490 मीटर से 2885 मीटर तक करने की योजना बनाई गई है। हालाकि दोनों ही कार्यो को करने के लिये सेना के हिस्से की जमीन की आवश्यक्ता पड़ेंगी, इसके लिये समिति ने राज्य सरकार से त्वरित कदम उठाने की मांग की है।
गौरतलब है कि बिलासपुर जोकि उत्तर छत्तीसगढ़ में 12 जिलो और मध्यप्रदेश के 3 जिलो के लिये सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है के पूर्ण विकास के लिये लम्बे समय से जनआंदोलन चल रहा है। वर्तमान में यहा 72 सीटर विमान दिन की रोशनी में संचालित हो सकते है और इससे एक उड़ान के द्वारा जबलपुर इलाहाबाद और दिल्ली की हवाई सुविधा मिली हुई है। परन्तु कई बार फ्लाईट रोशनी की कमी के कारण बिलासपुर उतर नही पाती और रायपुर या जबलपुर भेजा जाता है जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है। इसी के साथ-साथ रनवे की लंबाई कम होने के कारण बोईंग या एयरबस जैसे बड़े विमान बिलासपुर में नहीं उतर सकते जिनके लिये कम से कम 2200 मीटर के रनवे की आवश्यक्ता होती है।
नवम्बर के माह में समिति के द्वारा दिल्ली जंतर-मंतर में भी धरना आंदोलन किया गया था, जिसके बाद एएआई की टीम 6 से 8 दिसम्बर को सर्वे के लिये आई थी। सामान्य रूप से यह सर्वे रिपोर्ट दिसम्बर माह में ही आ जानी चाहिये थी परन्तु इसके अनावश्यक देरी पर भी समिति ने विरोध दर्ज कराया था।
इस रिपोर्ट के आने के बाद अब सबसे प्रमुख बाधा बिलासपुर एयरपोर्ट विकास के लिये सेना की हिस्से की जमीन हासिल करना है वर्तमान में सेना के पास 1166 एकड़ जमीन कब्जे में है इसमें से 270 एकड़ जमीन सेना से और 25 एकड़ जमीन निजी भूमि लिये जाने की आवश्यकता बताई गई है। सेना से जमीन हासिल करने के लिये राज्य सरकार ने पहल तो की है परन्तु कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया गया है। सेना इसके बदले में नये रायपुर में जमीन चाहती है, जिस पर राज्य शासन को निर्णय लेना है कि यहा के 1166 एकड़ के बदले में नये रायपुर में कितनी जमीन सेना को दी जायेगी, उसके बाद भी यह भूमि हस्तांतरण की चर्चा रक्षा मंत्रालय और राज्य शासन के बीच ठोस रूप से हो सकेगी।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नवम्बर माह में समिति के प्रतिनिधि मण्डल को यह आश्वासन दिया था कि राज्य शासन से ठोस प्रस्ताव आने पर व्यापक जनहित को देखते हुये रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई अनावश्यक विलंब नहीं किया जायेगा। इस स्थिति में हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व मंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर यह भूमि हस्तांतरण सुलभ कराने की मांग की जायेगी।