देखें Video- किसको “जगाने” ढोलक-मंजीरे के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे, डबरीपारावासी…?

Shri Mi
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_20171106_155030बिलासपुर।” वहां पर कोई मंदिर नहीं था….लेकिन माता का जगराता- कीर्तन चल रहा था….ढोलक की थाप पर जयकारे लग रहे थे…झाँझ- मजीरा और करताल की ध्वनि गूँज रही थी….वहां कोई देव की मूर्ति नहीं थी…लेकिन शँख और घड़ियाल बज रहे थे..।”यह अनूठा नजारा था..कलेक्टोरेट के आहाते के भीतर ..। जब सोमवार की सुबह जनदर्शन का समय था…और इस बार के अनूठे नजारे को देखकर लग रहा था जैसे जनदर्शन में जनता को ” लोकतंत्र के देवताओँ ” को मनाने के लिए अपनी पुरानी भक्ति परंपरा का सहारा लेना पड़ रहा है…।फिर भी उनकी गुहार सुनी जाएगी या नहीं..?इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।यह प्रशासनिक व्यवस्था की नाकामी है..या बार-बार गुहार लगाने के बाद भी जायज मांगों को अनसुना करने का नतीजा है..या सो रहे प्रशासन को जगाने की कोशिश है…।
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                                  चाहे  जो भी वजह हो, लेकिन सोमवार की सुबह कलेक्टोरेट का नजारा देखकर कोई भी यह सोचने पर मजबूर हो सकता है कि इन्फर्मेशन टेक्नालॉजी के इस दौर में कहीं-न-कहीं कम्युनिकेशन गैप जरूर है।जिसके चलते लोगों को अपनी बात प्रशासन के सामने रखने के लिए यह अनोखा रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है।दरअसल हुआ यह है कि सरकंडा इलाके में साइंस कॉलेज के सामने डबरीपारा में गरीबों की बस्ती है। कुछ समय पहले यह बस्ती हटाने की पहल की गई थी। जब इसका विरोध हुआ था और मामला शांत हो गया था।। इधर हाल ही में एक खबर फिर सामने आई कि डबरीपारा को हटाया जाएगा।  उजाड़े जाने की खबर से घबराए डबरीपारा वासियों ने जिला कलेक्टर के नाम एक अर्जी लेकर कलेक्टोरेट की ओर रुख किया। तीन लाइन की अर्जी में सिर्फ यही लिखा गया है कि ” डबरीपारा के निवासी अपने घरों में विगत कई वर्षों से रह रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से नगर निगम द्वारा हमारे घरों को जबरिया तोड़ने का कई बार प्रयास किया जा चुका है। आपसे अनुरोध है कि हमारे घरों को तोड़ने से रोका जाए एवं हमारे घरों को हमारे नाम पर रजिस्ट्री किया जाए।”
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                                         इतनी सरल-सपाट अर्जी लेकर डबरीपारा के लोग अनूठे अँदाज में कलेक्टोरेट पहुंचे। करीब पूरी संख्या महिलाओँ और बच्चों की थी। सामने बेनर पर अहिंसा कलश पदयात्रा लिखा था। महिलाएँ अपने सिर पर कलश लिए हुए थी और कीर्तन भी साथ चल रहा था। कलेक्टोरेट पहुंचने के बाद गेट के सामने ही कीर्तन शुरू हो गया। ढोलक की थाप और झाँझ-मजीरे-करताल की धुन पर महिलाओँ ने कुछ इस तरह माता सेवा गीत शुरू करदिया , जिस तरह मंदिर परिसर में भजन गाया जाता है।

                                       अपनी बात रखने के इस अनोखे अँदाज ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। कुछ समय तक भजन चलने के बाद पुलिस भी पहुंची और यह कहकर उन्हे उठाया गया कि ” साहब आने वाले हैं….”।जिससे कुछ समय जयकारा और नारेबाजी के बीच विरोध चलता रहा । प्रदर्शनकारियों के साथ आए कांग्रेस नेता पिनाल उपवेजा ने इस बात पर एतराज किया कि लोगों को जबरिया हटाया जा रहा है और बच्चों – महिलाओँ के साथ बदसलूकी की गई है।

                                        जनदर्शन के दौरान हर बार बड़ी तादात में लोग कलेक्टोरेट आते हैं और लोगों को एक ही समस्या के समाधान के लिए कई बार आना पड़ता है। पता नहीं इस पर व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों की नजर पड़ती है या नहीं……। लेकिन डबरीपारा के लोगों का यह अनूठा प्रदर्शन देखने के बाद यह सवाल जरूर तैर रहा है कि आखिर लोगों को इस तरह का रुख अख्तियार करने की जरूरत क्यों पड़ रही है…..? आज को दौर में जब कम्यिकेशन सिस्टम सबसे मजबूत नजर आता है, ऐसे दौर में भी लोगों को अपनी बात रखने के लिए ” देव जगाने” का पारंपरिक तरीका अपनाना पड़े तो क्या यह मान लेना चाहिए कि आज के सिस्टम में कही-न-कहीं खामिया जरूर हैं……..।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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