♦हिन्दी दिवस व वल्र्ड ओजोन डे पर सीवीआरयू में आयोजन
बिलासपुर(करगीरोड)।डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय में 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। आयोजन में प्राध्यापक व विद्यार्थियों ने हिंदी भाषा के महत्व सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। हिंदी को कभी राजाश्रय नहीं मिला, लेकिन इसके बाद भी हिंदी लोकआश्रय से ही आगे बढ़कर यहां तक आ पहुंची है, और देश में एक समृद्ध भाषा के रूप में आकर आज राष्ट्रभाषा है। डाॅ. पाठक ने अनेक महापुरुषों के नाम का उदाहरण लेते हुए कहा कि महात्मा गांधी , सुभाष चंद्र बोस सहित अनेक ऐसे महान लोग हुए। जिन्हें हिंदी नहीं आती थी, लेकिन उन्होंने इस बात को समय रहते समझा कि यदि सिर्फ स्थानीय या राज्य की भाषा और अंग्रेजी भाषा का ही ज्ञान होगा तो वह राष्ट्रीय स्तर पर अपना काम नहीं कर पाएंगे। इस बात को बेहतरी से समझ कर इन लोगों ने हिंदी को सीखा और उसे अपनाया भी। वे अधिक से अधिक हिन्दी बोलने और लिखने लगे। श्री पाठक ने बताया कि कोई भी भाषा कभी भी दूसरी भाषा का विरोध नहीं करती । वह अपनी समृद्धि खुद तय कर लेती है। आज अंग्रेजी और हिंदी से जुड़े लाखों शब्द हैं जो प्रचलित रूप में हैं यह इस बात का प्रमाण है कि हमें कभी भी किसी दूसरी भाषा का अपमान या विरोध नहीं करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आने वाला समय हिंदी और छत्तीसगढ़ी का है, इसलिए युवाओं को अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करना चाहिए साथी छत्तीसगढ़ी को भी अपने जीवन में अधिक से अधिक उतारना चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक डा. बलदाऊ प्रसाद निर्मलकर ने कहा कि अपनी उन्नति के लिए भाषा की उन्नति जरूरी है, इसलिए हर नागरिक को अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए। जैसे-जैसे भाषा की उन्नति होगी वैसे-वैसे उस देश का स्वतः ही विकास करता जाएगा।
परिचर्चा में उपस्थित साहित्यकार राघवेंद्र दुबे ने भाषा के प्रकारों और उसके व्यवहार में लाए जाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने हिंदी के बारे में अपने विचार व्यक्त किए सभी ने हिन्दी दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मानने का संकल्प लिया। यह घोषणा की गई कि 14 सितंबर को संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर डॉक्टर सी वी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर.पी. दुबे ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति वह भाषा जितनी समृद्ध होगी वह देश दुनिया में समृद्धशाली देश होगा साथ ही वह तेजी से विकास करने वाला देश भी होगा आज भारत में हिंदी का इतिहास तो एक अच्छा इतिहास है। लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे एक बड़ा मंच नहीं दे पाए हैं। उन्होंने दुनिया के देशों के संगठन के मंच का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी वैश्विक स्तर के मंचों में हिंदी को वो दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है जो हिन्दी को प्राप्त होना चाहिए। इसका सीधा और स्पष्ट कारण है कि हम भाषा के मामले में आज भी परतंत्र हैं प्रो. दुबे ने कहा कि जापान की समृद्धि का एक कारण यह भी है, कि दुनिया में जितने भी शोध होते हैं वह जल्दी ही जापानी भाषा में कन्वर्ट कर लिए जाते हैं। जिससे वहां के लोगों को संबंधित शोध की जानकारी बेहतर तरीके से मिल पाती है और वह उस दिशा में मजबूती से प्रमाणिकता से कार्य करते हैं। यह अपने देश की भाषा का सम्मान करने और उसे मजबूती देने का एक बेहतर तरीका है। प्रो. दुबे ने आज की इस चर्चा के लिए सभी को साधुवाद दिया और कहा कि ऐसे आयोजन विश्वविद्यालय में होते रहने चाहिए ताकि हम भावी पीढ़ी को लगातार कुछ ना कुछ सिखाते रहे।
वल्र्ड ओजोन-डे पर हुआ आयोजन
विश्वविद्यालय में वल्र्ड ओजोन-डे के अवसर पर 3 दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर ओजोन परत के छिद्र से पृथ्वी पर आने वाली किरणों के दुष्प्रभाव के बारे में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। विषय पर भाषण, वादविवाद, पोस्टर और अनेक प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस अवसर पर बी.एस.सी के विद्यार्थी वर्षा पटेल और नीरज पटेल को कुलपति प्रो. आर.पी.दुबे ने प्रमाण पत्र प्रदान किया इन मेद्यावी विद्यार्थियों को चयन मुंबई की इंटर नेशलन कैप्सूल वर्कशाप में चयन किया गया था। इसरो व नासा से मान्यता प्राप्त संस्था है। जिसमें विद्यार्थियों ने नक्षत्र और स्पेस के संबंध में कार्यशाला में भाग लिया हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी.दुबे ने कहा कि यदि हम प्रकृति का सरंक्षण नहीं करेंगे तो मानव जीवन भी संकट में पड़ जाएगी। इसलिए विद्यार्थियों को प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में काम करना चाहिए।