नरवा,गरवा,घुरवा,बारी..जल संरक्षण में बिलासपुर को देश में मिला अहम् स्थान ..सीएम की योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लगा मुहर..देश में बढ़ा जिले का मान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—इतिहास पुराण और धर्मग्रन्थों में नदी,घूर, मवेशी और खेत खलिहान का हर जगह उल्लेख है। और ऐसा इसलिए कि इन्ही चार मुख्य बातों पर मानव सभ्यता की बुनियाद पड़ी है। बुनियाद इतनी मजबूत की इसे कोई चाहकर भी दरकिनार नहीं कर सकता है। और सच भी है .. क्योंकि मानव सभ्यता की विकास गाथा में नदी नाला, जानवर और खेती को अहम स्थान हासिल है। यह अलग बात है कि हमने समय के साथ भौतिकता की दौड़ में अपनी परम्पराओं से जमकर खिलवाड़ किया। जिसका खामियजा हमें अनेको रूप में हर जगह दिखाई देने को मिल रहा है। आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया को इसका सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में नरवा गरवा घुरवा बारी योजना उम्मीद की किरण साबित होती दिखाई दे रही है। इसका सारा श्रेय निश्चित रूप से  देश में छत्तीसगढ़ के चर्चित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जाता है। आज देश ही नहीं बल्कि विदेश में सीएम की नरवा, गरवा,घुरवा बारी की जमकर चर्चा है।

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                          लोगों को मालूम होना चाहिए कि देश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गिनती सफल राजनेताओं के साथ योग्य और प्रगतिशील किसानों में होती है। उन्हें अपने पूरे राजनैतिक जीवन में इस बात का हमेशा से अहसास रहा कि देश का किसान तात्कालीक फायदा मे दीर्घकालिक नुकसान को नही देख रहा है। बघेल को इस बात का भी अहसास रहा कि किसानों की इस स्थिति के लिए तंत्र में बैठे निर्णय लेने वाले कही ज्यादा जिम्मेदार है। जब प्रदेश की कमान मिली तो उन्होने सबसे पहले तमाम योजनाओं में नरवा घूरवा गरवा बारी का मंत्र ब्यूरोक्रेट्स को दिया। फिर क्या था..अभियान ने गति पकड़ा..और आज यह योजना देश दुनिया में चर्चा का विषय हो गया है। लोग इसका अध्ययन करने दूर दूर से आ रहे हैं। यद्यपि योजना अभी प्राथमिक चरण में है। लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह योजना ना केवल सफल है..बल्कि इसे सफल होने से कोई इंकार नहीं कर सकता है। 

                    बताते चलें कि गाय गोबर और मिट्टी से भूपेश बघेल का गहरा नाता है। किसान पुत्र और खुद किसान नेता भूपेश ने योजना को सफल बनाने कोई कोर कसर नही छोड़ा..एक समय ऐसा जरूर लगा कि यह योजना अन्य योजना की तरह कही कमजोर साबित ना हो जाए। लेकिन माटी पुत्र ने ऐसा होने नहीं दिया। आज नरवा गरवा घुरवा बारी को देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री अपनाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

                     सीएम भूपेश का बिलासपुर से गहरा नाता अपने राजनैतिक जीवन के शुरूवात से ही रहा है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनते ही उन्होने ब्लाक और पंचायत स्तर पर मवेशियों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए गौठान निर्माण अभियान चलाया। इसके पीछे की सोच केवल यह कि संग्रहित गोबर से वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जाए। वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग खेती में हो। किसानों को महंगी यूरिया से छुटकारा मिले। और रासायमिक खादों से आम जनता के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोका जाए। आज बिलासपुर में सीएम के प्रयास से सर्वाधिक वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण हो रहा है। और लोग मवेशियों के मालिक गोबर लेकर ना केवल गौठान पहुंच रहे हैं। बल्कि आर्थिक लाभ भी ले रहे हैं। और खेती बारी की स्थिति में अच्छा सुधार भी होने लगा है।

               कहा जाता है कि पानीदार व्यक्ति ही पानी के महत्व को समझता है। यही कारण है कि भूपेश बघेल ने प्रदेश समेत बिलासपुर में भी पानी संरक्षण को लेकर पिछले दो साल में जितना उपाय किया। शायद ही पिछले 15 सालो में किसी ने किया हो। अन्तःसलीला अरपा में 12 महीना पानी बनाए रखने के लिए करीब एक अरब का दो एनिकट निर्माण का आदेश दिया। क्योंकि उन्हें पता है कि बिना पानी जीवन की कल्पना संभव नहीं। उन्हें इस बात का भी अहसास है कि आने वाले समय में प्रदेश की जवानी पानी की व्यवस्था में खप जाएगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होने बिलासपुर में आधा सैकड़ा से अधिक नालों पर मजबूत एनीकट निर्माण का आदेश दिया। 

             ताज्जुब की बात है कि मात्र एक से डेढ़ साल के अन्दर बिलासपुर जिले के 25 से अधिक एनिकट बरसात के बीच मजबूती के साथ ना केवल बनाए गए। बल्कि एनीकट के चलते ठहरे पानी से क्षेत्र की पानी समस्या पूरी तरह से खत्म हो गयी। किसानों को अब 12 महीना पानी मिलने लगा है। कयास लगाया जा रहा है कि अब प्रदेश के किसान दो फसल नियमित लेने लगे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। क्योंकि देखा गया है कि प्रदेश में दो फसल लेना मुश्किल था। इसकी वजह पानी की कमी थी। लेकिन अब यह कमी लगभग दूर होने को है। अब तक दो फसल केवल मजबूत और सुविधा सम्पन्न किसान ही लेते थे।

                           बिलासपुर जिले में धीरे धीरे एनीकट का जाल बिछता जा रहा है। प्रशासन भी छोटे बड़े नालों की खोजबीन कर जल स्तर बढ़ाने को लेकर एनीकट निर्माण का प्रस्ताव लगातार भेज रहा है। मजेदार बात है कि एनीकट और गौठान के प्रस्ताव को अन्य प्रस्तावों की अपेक्षा सीएम से लगातार तरजीह मिल रही है। यही कारण है कि बिलासपुर में आज एनीकट की बाढ़ आ गयी है। जिसके कारण शहर गांव जो कल तक पानी की समस्या से जूझ रहे थे। आज पानी के लिए मोहताज नहीं रहे। 

                सीएम के विशेष निर्देश पर आज भौराडीह एनीकट, जरेली एनीकट, खम्हारडीह एनीकट, दगौरी एनीकट, मोहदा एनीकट, अमलडीहा एनीकट,ताला एनीकट,बनने से जनजीवन में नया उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर जिला प्रशासन का उत्साह उस समय दुगुना हो गया जब सीएम ने बिलासपुर की जनता को शुभकामनाएं देते हुए ट्विट किया कि राष्ट्रीय स्तर पर बिलासपुर को नरवा विकास योजना के सफल क्रियान्वयन और जल संरक्षण को लेकर देश में स्थान हासिल हुआ है।

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