(रुद्र अवस्थी)हम सभी को कोरोना काल में जीते हुए कई महीने गुजर चुके हैं । इतने दिनों के अनुभव का सार यही लगता है कि कोरोना को अनिश्चितता का पर्याय मान लेना चाहिए। कोरोना एक ऐसा हो गया है जिसके साथ सिर्फ अनिश्चितता ही जुड़ी हुई है । यह कब हमारे बीच आया …. यह तो सभी को मालूम है । लेकिन यह कब जाएगा….? यह निश्चित नहीं है । कब तक रहेगा यह भी निश्चित नहीं है । लोगों को कब कैसे अपनी चपेट में ले लेगा यह भी अनिश्चित है । जब तक रहेगा तब तक कितने लोग इसके शिकार होंगे यह भी निश्चित नहीं है ….। और अब तो यह भी अनिश्चित लगता है कि कोरोना कब किस रूप में वापस लौट आएगा । इसका भी कोई ठिकाना नहीं है। इन दिनों ब्रिटेन में मिले कोरोनावायरस के नए अवतार को लेकर देश- दुनिया भर में हलचल मची हुई है । अपना छत्तीसगढ़ और बिलासपुर भी इससे अछूता नहीं है । एक बार फिर पिछले मार्च-अप्रैल महीनों की याद ताजा हो गई है कि ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों की सघन जांच पड़ताल की जा रही है ।सीजीवाल न्यूज के व्हाट्सएप ग्रूप से जुड़ने यहां क्लिक कीजिए
देखा जा रहा है कि कहीं कोई कोरोना के नए रूप स्टैंड से संक्रमित तो नहीं है । ब्रिटेन से आने वाले मरीजों को अलग से कमरों में रखकर इलाज किया जा रहा है और उन पर नजर रखी जा रही है । कोरोना का यह नया अवतार अधिक घातक माना जा रहा है । क्योंकि यह तेजी से फैल रहा है। बहरहाल कुल जमा बातचीत इस मुद्दे पर आकर ही रुक जाती है कि इतने लंबे समय से हम सबके बीच वक्त गुजारने के बावजूद कोरोनावायरस का खेल….. उसका बर्ताव और उसका रवैया अनिश्चित है । लेकिन ऐसे में इस भयानक रोग से बचने का तरीका सिर्फ बचाव के उपाय हैं । और अनिश्चय के इस दौर में लगता है कि मास्क -शारीरिक दूरी का उपाय ही निश्चित है । इसके अलावा और कुछ भी निश्चित नहीं है । जिसे मानकर हम सबको जीने की आदत डालना जरूरी है।।
न्यायधानी के विकास की अधूरी कहानियां
जहां तक आदत की बात है न्याय धानी के लोग विकास की आधी अधूरी योजनाओं को देखने की और उसके साथ जीने की आदत काफी पहले से डाल चुके हैं । कोई भी व्यक्ति शहर का एक चक्कर लगा ले तो उसे अधूरी हसरतों के कई स्मारक जगह-जगह दिखाई देने लगेंगे । सीवरेज प्रोजेक्ट तो बिलासपुर की आधी अधूरी कहानी का सबसे प्रमुख पात्र बन गया है । लोग तो अब शायद यह भी भूल चुके हैं कि शहर की गंदगी को दूर ले जाकर उड़ेलने के लिए बनाई गई यह सीवरेज योजना शहर में शुरू कब हुई थी । चारों तरफ सड़कों को खोद -खोद कर आगे बढ़ती गई यह योजना अब तक कहां पहुंची है । यह भी किसी को नहीं मालूम ….। फिर यह जानने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता कि यह योजना कब पूरी होगी और पूरी होगी कि भी या नहीं । कई बार लगता है कि इस अधूरी योजना को देख देखकर “हिज़गा” करते हुए तिफरा ओवरब्रिज -फ्लाईओवर जैसे कई प्रोजेक्ट भी जल्दी पूरा होने का नाम नहीं ले रहे हैं और उन्हें भी आधी अधूरी हालत में इस शहर के सब्र पसंद – धीरज वान लोगों को चिढ़ाने में मजा आने लगा है। सीवरेज को भूल चुके लोगों की याद फिर ताजा हो गई जब हाल ही में विधानसभा में इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठाया गया । जवाब मिला कि सीवरेज प्रोजेक्ट में अब तक 232 किलोमीटर की पाइपलाइन डल चुकी है । लेकिन हाइड्रॉलिक टेस्टिंग सिर्फ 1 किलोमीटर की हुई है । चलिए इस बहाने शहर के लोगों के जनरल नॉलेज मे इज़ाफ़ा हुआ कि शहर के भीतर 232 किलोमीटर सड़क और गलियां हैं । जो पिछले कई वर्षों में खोजी गई हैं और फिर पाटी गई हैं । लेकिन उसके अंदर क्या डाला गया है इसकी टेस्टिंग भी अब तक नहीं हुई है । अब इस शहर का कोई भी नागरिक अपने नुमाइंदों से यह सवाल तो जरूर पूछ सकता है कि क्या शहर के तरक्की की ऐसी अधूरी कहानियों का कभी अंत ( दुखांत या सुखांत ) भी होगा या नहीं….. ?
तेज होगा हवाई सेवा आंदोलन
अंत तो अब उस आंदोलन का भी होना चाहिए जो पिछले साल भर से अधिक समय से चल रहा है और कोरोना संकट के बीच रुकावट के बाद भी 210 से अधिक दिनों से धरना जारी है । यह उस आंदोलन की बात है जो बिलासपुर में नियमित हवाई सेवा की मांग को लेकर चल रही है । हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार धरना दिया जा रहा है । हाल के दिनों में शहर के कई चौक चौराहों पर और मोहल्लों में भी नुक्कड़ सभाएं की गई है । यह आंदोलन बिलासपुर की तासीर की पहचान कराता है ,जिसे सामने रखकर लोग मानते हैं कि न्यायधानी ने अब तक जो कुछ भी हासिल किया है, वह जन संघर्ष के जरिए ही हासिल हुआ है । जन आंदोलनों ने ही इस शहर को कई चीजें मुहैया कराई हैं । लगातार चल रहे इस आंदोलन में कई संगठनों – नागरिकों के साथ ही कई जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी हिस्सेदारी निभाई है। हाल ही में राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने धरना स्थल पहुंचकर इस मांग का समर्थन किया और राज्यसभा में मुद्दा उठाने की बात कही ।
इसी तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को दूसरी बार चिट्ठी लिखकर बिलासपुर से महानगरों तक हवाई सेवा शुरू करने की मांग रखी । पिछले कई आंदोलनों की तरह यह आंदोलन भी किसी राजनीतिक दल के बैनर पर नहीं चल रहा है और इसमें सभी राजनीतिक दल सहित तमाम नागरिक -व्यावसायिक -सामाजिक संगठन के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं । फिर भी इस आंदोलन की ओर यदि सरकार का ध्यान नहीं गया है तो स्थिति सोचनीय नजर आती है और लगता है कि आने वाले दिनों में इस मुहिम को और तेज करने की जरूरत पड़ सकती है।
ठग गिरोह को ऊंची ख्वाहिश की तलाश
जरूरत तो इस बात की भी है कि लोग ठग गिरोह के चंगुल में फंसने से बचें। आज के दौर में तरह-तरह के नुस्खे आजमा कर ठगी करने वाले लोग अपना शिकार तलाशते हैं । ऐसे लोग भी उनके चंगुल में फंस जाते हैं जो अपने बच्चों को ऊंची और अच्छी शिक्षा देने की ख्वाहिश रखते हैं। मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने के नाम पर इसी तरह की ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश करने में बिलासपुर पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली । अंतरराज्यीय गिरोह ने एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने के नाम पर 3 लोगों को अपना शिकार बनाया और 82 लाख रुपए की ठगी कर ली । हालांकि पुलिस की तत्परता से गिरोह के लोग पकड़ में आ गए । लेकिन इसके दूसरे पहलू पर भी सोचने की जरूरत महसूस होती है कि तेजी से भागती दुनिया में सबसे आगे निकलने के लिए लोग नए नए रास्तों की तलाश में रहते हैं और कोई ठग भी उन्हें हमसफर बना लेता है । ऐसे में किसी के झांसे में आकर किसी भी रास्ते का चुनाव करने से पहले सावधान रहने की भी जरूरत है ।
सुस्त नहीं है संगठन
चुनाव की बात आती है तो लगता है कि सियासी दुनिया में के लोगों के लिए कोई भी चुनाव छोटा – बड़ा नहीं होता और हर चुनाव में गांव की जरूरत पड़ती है । हाल ही में जिला योजना समिति के चुनाव हुए तो इसकी झलक मिली । जिला स्तर के इस चुनाव में कांग्रेस के लोगों ने जीत हासिल करने के लिए हर स्तर पर कोई कमी नहीं रखी । जाहिर सी बात है कि इन जिला योजना समिति के चुनाव में जिन सदस्यों को वोट डालना था उसमें कांग्रेस के लोगों की संख्या अधिक थी । लिहाजा उन्हें ज़्यादातर स्थानों में जीत हासिल करने की उम्मीद भी अधिक थी । लेकिन उन्हें जहां अपनी हार का डर था ,वहां भी उन्होंने पूरी ताकत लगाई । जिले की नगर पालिकाओं की ओर से होने वाले 1 सदस्य के चुनाव में संख्या कम होने के बावजूद कांग्रेस के रणनीतिकार क्रास वोटिंग कराने में कामयाब रहे । लेकिन मामला बराबरी पर अटक गया और क्रास वोटिंग के बाद भी टॉस में जीत फिसल गई। जीत – हार तो हर चुनाव का एक हिस्सा है । मगर इस दाँव – पेंच के जरिए पार्टी के लोग ऊपर तक यह संदेश देने में कामयाब रहे कि संगठन सुस्त नहीं है और चुनौतियों का सामना पूरी तैयारी के साथ हो रहा है।
स्मार्ट सिटी की ओर क़दम
तैयारी तो न्यायधानी को स्मार्ट सिटी बनाने की भी चल रही है । इस सिलसिले में शहर के 25 चौक चौराहों की पहचान की गई है । जिन्हें हटाकर नया रूप दिया जाएगा और आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाया जाएगा। इसी सिलसिले में हाल ही में मगरपारा चौक का घेरा तोड़ा गया । इस दौरान मूर्ति हटाने को लेकर प्रदर्शन भी हुआ। कुछ लोग पुलिस हिरासत में लिए गए और नगर निगम प्रशासन ने अपना अपनी कार्रवाई पूरी कर ली । जानकार भी मानते हैं कि शहर में कई जगह चौक चौराहों का घेरा इस तरह बनाया गया है कि उससे आने जाने में लोगों को असुविधा होती है । कई शहरों में ऐसे चौराहों के ऐसे घेरे हटाकर उनकी जगह यातायात को सुगम बनाया गया है । यह मॉडल न्यायधानी में भी कारगर हो सकता है । इसे देखते हुए निगम प्रशासन ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यह पहल की है । इससे आने वाले कल की बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है । लेकिन ऐसी कार्रवाई के पहले आसपास इलाके के लोगों को भी भरोसे में लेकर अगर कदम उठाया जाए तो ना विरोध का सामना करना पड़ेगा और ना ही किसी तरह की रुकावट आएगी । लोगों को समझाना सिर्फ यही है कि नगर निगम की ओर से किया जा रहा बदलाव शहर की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कारगर हो सकता है।