बिल्हा जनपद पंचायतः घोटाला पर घोटाला..फिर जांच पर जांच..अधिकारी पर कब होगी कार्रवाई

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-बिल्हा जनपद पंचायत में घोटाला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। मजेदार बात है कि हर घोटाले पर जोर शोर से टीम तो बनती है। लेकिन रिपोर्ट आज तक किसी की सामने नहीं आयी है। मतलब साफ है कि रसूखदार अधिकारी को बचाने सिर्फ जांच का दिखावा किया जा रहा है। अभी तक एक भी रिपोर्ट पेश नहीं हुआ है। जाहिर सी बात है कि कार्रवाई भी नहीं हुई है। 
 
           जानकारी देते चलें कि जिला पंचायत की पिछले दो बैठकों में बिल्हा जनपद पंचायत और सीईओ बीआर वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर सभापति अंकित गौरहा ने जोर शोर से मुद्दा उछाला। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत सीईओ ने तत्काल टीम का गठन कर जांच का आदेश दिया। यद्यपि रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर पेश किया जाना था।  लेकिन करीब दो महीना बाद भी रिपोर्ट पेश नहीं किया गया। बताते चलें कि अंकित गौरहा ने वर्मा के खिलाफ चुनिन्दा सचिवों के माध्यम से 14-15 वें वित्त राशि से वेन्डरों को भुगतान के समय चार प्रतिशत कमीशन मांगे का जाने का आरोप लगाया था।
 
         अन्दर की खबर की मानें तो जांच टीम के सामने कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। ना तो कोई अपने अधिकारी से पंगा ही नहीं लेना चाहता है। इसके चलते रिपोर्ट अभी तक तैयार ही नहीं हुआ है।
            
नया घोटाला..फिर नई टीम का गठन             
 
                   अभी पहली टीम की जांच चल रही थी कि इसी बीच बिल्हा जनपद पंचायत सीईओ वर्मा पर महमंद सचिव ने 10 लाख रूपए हेर फेर का आरोप लगाया है। महमंद सरपंच ने लिखित शिकायत कर जिला पंचायत सीईओ हरीश एस को बताया कि पूर्व सचिव और जनपद अधिकारी ने मिलकर 14-15 वित्त मद से 11 लाख रूपयों का गबन किया है। मामले को एक बार 1 अप्रैल की सामान्य सभी की बैठक में अंकित गौरहा ने उठाया। मुद्दा सामने आने के बाद जिला पंचायत अधिकारी  ने तत्काल तीन सदस्यी टीम का गठन किया। मामले में जांच का अदेश देते हुए सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट पेश करने को कहा ।
 
                  मामले में अंकित गौरहा ने बताया कि जनपद पंचायत बिल्हा स्थित ग्राम पंचायत महमंद में 14 वे 15 वे वित्त आयोग से 11लाख रुपए निकाला गया है। अँकित ने बताया कि बिल्हा ब्लॉक में 10 से अधिक ऐसे पंचायत है जहां 14 वे व 15 वे वित्त आयोग के करोड़ों रुपए का गबन हुआ है। यदि सभी पंचायतों में जांच हो तो कई बड़ी गड़बड़ियां सामने आएंगी। ग्राम पंचायत महमंद सरपंच ने जिला पंचायत सीईओ से शिकायत कर तत्कालीन सचिव गंगे निर्मलकर पर 14 वें वित्त से 3 लाख और 15 वे वित्त से 7 लाख गबन करने की शिकायत की है। 
 
           जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में  मुद्दा उठाया था। जिला पंचायत सीईओ ने कमेटी का गठन कर 7 दिनों में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। 

फलफूल रहा कमीशन और गबन का धंधा
 
             जिला पंचायत सभापति ने कहा कि बिल्हा जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन आधिकारी बी.आर.वर्मा हमेशा विवादित रहे है। चाहे वह बिजीआरएफ की योजना हो,आवास मित्र का भुगतान हो या फिर 14 वें 15 वें वित्त में कमीशनखोरी का ही मामला क्यों ना हो। सभी महत्वपूर्ण विषय पर गंभारता से जांच की जरूरत है। 
 
                          महमंद सरपंच ने भी पंचायत में 11 लाख रूपयों का गबन का मामला सामने आया है।बहरहाल सीईओ ने जांच टीम का गठन किया है। देखते हैं कि रिपोर्ट कब तक पेश किया जाता है। 
 
           सूत्रों की माने तो बिल्हा जनपद पंचायत का अधिकारी रसूखवाला है। शायद यही वजह है कि जांच टीम का गठन कर उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि पहले भी एक जांच में बीआरजीएफ से 10 लाख रूपये निकाले जाने की पुष्टि हो चुकी है। आरोप सही पाए जाने पर अधिकारी ने 10 लाख रूपये जमा किया। लेकिन गबन और धोखाधड़ी को लेकर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। यदि समय पर कार्रवाई होती तो शायद चार प्रतिशत कमीशन और 11 लाख का नया घोटाला सामने नहीं आता।     
 
                         बताते चलें कि चार प्रतिशत कमीशन का मामला पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के सामने भी आया। उन्होने पत्रकारों को बताया कि जांच टीम गठन किया गया है रिपोर्ट मिलने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगाी। उन्होने इस दौरान यह भी बताया कि यह सच है कि अधिकारी अधिकारी को बचाने का प्रयास करते हैं। लेकिन हम कमीशनखोरी मामले को गंभीरता से लेंगे।
 
                टीएस सिंहदेव की बाते फिलहाल सच होते दिखाई दे रही है। अधिकारी ही भ्रष्ट अधिकारी को बचा रहे हैं। बिल्हा में घोटाला पर घोटाला हो रहा है। और जांच के लिए टीम पर टीम बन रही है। लेकिन रसूखदार अधिकारी के खिलाफ अभी भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है।

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