बिना एकता के रामराज की कल्पना मुश्किल..अंकित ने बताया..राम का मतलब..समाज को एकसूत्र में बांधने का मंत्र

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर -:- अरविंद नगर सरकंडा में राम कथा आयोज किया जा रहा है। लोग दूर दूर से रामनाम का रसपान करने पहुंच रहे हैं। आम और खास सभी लोग कथा व्यास पर विराजमान साध्वी माता अन्नपूर्णा से प्रदेश की खुशहाली का आशीर्वाद मांग रहे है। क्षेत्र के नेता भी शारदा शक्तिपीठ मैहर से बिलासपुर में जनता के बीच पहुंची माता अन्नपूर्णा को नमन कर बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ के लिए सुख समृद्धि का वरदान मांग रहे हैं। जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने भी साध्वी माता अन्नपूर्णा के चरणों मैं झुक कर प्रदेश की खुशहाली का आशीर्वाद मांगा।
   
                    अरविंद नगर में आयोजित रामकथा को सुनने लोगो की भीड़ उमड़ रही है। व्यासपीठ से साध्वी माता अन्नपूर्णा देवी की मुखारविंद से सभी भक्त राम कथा का रसपान कर अपने जीवन को संवार रहे हैं। मंगलवार को माता अन्नपूर्णा ने व्यास पीठ से  बताया कि कलयुग में वैतरणी पार करने का सबसे सरल उपाय राम नाम बीज मंत्र का  जाप करना है।
      
                       माता अन्नपूर्णा ने उपस्थित लोगोंबताया कि गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि राम से बड़ा राम का नाम है । साध्वी ने कि बताया राम का नाम जीवन सुधारने का बीज मंत्र है। सुबह शाम जब भी अवसर मिले राम नाम का जाप करें। जिसने बीज मंत्र का जाप किया उसका जीवन धन्य हुआ है।  माता अन्नपूर्णा ने बताया कि रामचरितमानस के पाठ से सद्आचरण की सीख मिलती है।
 
                रामकथा आयोजन में मौजूद जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने कहा कि बचपन से लेकर आज तक हमने यही सीखा और सुना है कि राम राज्य में ऊंच-नीच, जात पात का भेदभाव नहीं था।  अमीर गरीब सब मिलजुल कर रहते थे । कहा भी जाता है की भगवान राम के राज्य में आम और खास जैसी कोई बात ही नहीं थी। मतलब यहां ना कोई कमजोर था और ना कोई मजबूत।
 
                 अंकित ने बताया कि हमारा और हमारी सरकार का मानना है कि जब तक मानव धर्म के मर्म को नहीं समझा जाएगा। तब तक रामराज की परिकल्पना दूर की कौड़ी है। हमें रामचरितमानस और भगवान राम के आदर्शों पर चलकर प्रदेश में रामराज्य स्थापना का संकल्प लेना होगा।
 
                                अंकित ने कहा  2 दिन पहले ही प्रदेश में बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई है। बाबा गुरु घासीदास ने जनमानस को मनखे मनखे का सिद्धांत देकर एकता का पाठ पढ़ाया। बावजूद इसके हम अपने स्वार्थ के आगे एकता के बीज मंत्र को भलते जा रहे हैं। हमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पदचिन्हों पर चलना होगा। साधु संतों के बताए गए मार्ग और निर्देशों का पालन करना होगा। इसके बाद ही हम सही मायनों में रामराज की परिकल्पना को साकार कर सकेंगे।
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