गोबर खरीदी में अव्वल भूपेश सरकार आपदा से मृत परिवारों को दे मुआवजा,भाजयुमो ने की मांग

Shri Mi
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बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में विभिन्न शासकीय विभागों अब तक ड्यूटीरत कार्यरत लगभग 800 से ज्यादा शासकीय कर्मियों की मौत को त्रासदी बताते हुए बिलासपुर जिले के युवा नेता भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष रौशन सिंह ने कहा है कि संवेदनशील होने का दिखावा करने वाली भूपेश सरकार की अनदेखी से राज्य में विभिन्न शासकीय विभागों के सैकड़ो से ज्यादा शासकीय कर्मी कोरोना के कारण परलोक सिधार गए है।विगत दिवस 39 वर्षीय नाप तौल इंस्पेक्टर मोरध्वज वर्मा का कोरोना से दुःखद निधन हो गया।रोड सेफ्टी में स्टेडियम में 3 नाप तौल इंस्पेक्टर की ड्यूटी लगाये थे।तीनों पॉजिटिव आये और मोरध्वज का अकाल निधन हो गया,आखिर यह किसकी जिम्मेवारी है? कोरोनावारियर्स मानते हुए सभी को 50 लाख का बीमा भुगतान एवं परिवार के सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति के दावे केवल घोषणाओं में है?

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प्राकृतिक आपदा में मृतको के आश्रितों को आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राजस्व पुस्तक परिपत्र की कंडिका 6-4 के अनुसार आर्थिक मुआवजे का प्रावधान है. यह विषय राज्य सरकार के अंतर्गत आता है राज्य सरकार द्वारा ऐसे प्रकरणों की अनदेखी की जा रही है। मुआवजे के प्रकरणों को खारिज किया जा रहा है उक्त कृत्य आपदकाल में दोहरी त्रासदी है। गोबर खरीदने में अव्वल सरकार कहने वाली महामारी से मृतक परिवारों को मुआवजा नहीं दे पा रही है। राज्य में मौत का सरकारी आंकड़ा दस हजार तक पहुँच गया है, राजस्व विभाग द्वारा करोना बीमारी को आपदा में ही शायद शामिल नहीं किया जा रहा है इसीलिए मुआवजे के प्रकरण लटके हुए हैं और आवेदन ही लौटा दे रहे है।

श्री सिंह ने कहा कि कोरोना योद्धाओं के नाम से मौत के मुंह में शासकीय सेवकों को झोंक कर शहादत के बाद भी दिवंगत सेवको परिवार को आर्थिक मुआवजा,बीमा का भुगतान,आश्रित परिवार के सदस्य को नौकरी हेतु छत्तीसगढ़ सरकार को वास्तविक पहल करनी चाहिए। गोबर खरीद कर लोगों का भला करने का दावा करने वाली सरकार टीकाकरण केंद्र पर ड्यूटी में लगाए हुए विभिन्न कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। एनआरएचएम के निर्देश अनुसार टीकाकरण कार्यक्रम में कार्यरात सभी शासकीय सेवकों को मानदेय नहीं प्रदान किया जा रहा है। मास्क, सैनिटाइजर हैंड ,ग्लव्स, फेस शिल्ड एवं दैनिक भत्ता आदि के लिए एनआरएचएम निर्देश पत्र अनुसार ड्यूटीरत लोगों को राशि का भुगतान कागजों में ही कर दिया जा रहा है। टीकाकरण केंद्र में ड्यूटी लगे सभी लोगों का प्राथमिकता के साथ वैक्सीनेशन होना चाहिए।

उन्होने कहा कि आश्चर्य की बात है कि छत्तीसगढ़ शासन विभिन्न विभाग के लोगों की ड्यूटी तो लगाता है परंतु स्थानीय आला अधिकारी विभिन्न विभागों के कर्मियों को कोरोनावायरस पर भेज कर वारियर्स होने का दिलासा देकर जोखिम भरे कार्य लिए जा रहे है, जिससे बड़ी संख्या में ड्यूटीरत लोग संक्रमण के दायरे में आ रहे हैं और उनके जीवन की सुरक्षा के संबंध में भी कोई रुचि नहीं ली जा रही है।महानदी मंत्रालय और इंद्रावती संचलनालय में थोक के भाव में संक्रमण फैलना लगातार देखा गया है।

बड़े अधिकारी को इलाज की सुविधा जल्दी मिल जाती है लेकिन तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी बड़े अधिकारियों के दबाव में बिना काम के भी मंत्रालय संचनालय आना-जाना करते हैं। शासकीय कार्यालय मुख्यालय के हो चाहे या क्षेत्र कार्यालय संक्रमण का हॉटस्पॉट है।कोरोना की दूसरी लहर पूरे राज्य में पिक पर है। ब्यूरोक्रेसी की सेवा में कर्मचारियों को कोरोना के माथे न छोड़ दिया जाए। शासन-प्रशासन के अधि-कारिक काम मुख्यालय हो या क्षेत्र वर्क फ्रॉम होम के पद्धति पर कार्य कोरोना प्रभावित देश प्रदेश में लिया जा रहा है।मुख्यमंत्री एव मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बड़ी गंभीरता से उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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