रायपुर।छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल का प्रयोग अब छात्रों और उनके परिजनों पर भारी पड़ता जा रहा है। इसके योजनाकरो ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओ का समय सुबह 9:00 से दोपहर 12:15 बजे तक रखा मौसम के मिजाज को तवज्जो नही दी जो अब छात्रों पर भारी पड़ रही है। गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही धूप तेज हो चुकी है।ऐसे में परीक्षा देने के बाद बच्चों को घर लौटने में हालत खराब हो रही है।
पालक संघ से जुड़े मनीष अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश के दो दर्जन शहरी क्षेत्र में रहने वाले छात्रों के लिए मौसम बड़ी समस्या नही होगी छात्र परीक्षा के समय आसानी से घर आ जा सकते है। लेकिन समस्या ग्रामीण क्षेत्रो में अधिक है। छात्र हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों से बहुत दूर रहते है। कई सरकारी स्कूलों में पंखे की व्यवस्था ना होने से भी बच्चे परेशान हैं। अधिकांश छात्र सुबह सात बजे घर से निकलते है । जब विद्यार्थी परीक्षा देकर कक्षाओं से निकल रहे हैं तो तेज धूप की वजह से उनकी हालत खराब हो रही है।बच्चे घर कब पहुंचते होंगे । तापमान में वृद्धि के साथ ही बच्चों की परेशानियां भी बढ़ी है।
मनीष का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग और छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के विद्वानों ने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को कागजी खाना पूर्ति तक सीमित रखा है। विद्यर्थियों के मनोविज्ञान को समझ नही रहे है। बीते दो सालों से करोना के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं हुई थी। वही जो विद्यार्थी 11वीं तक अध्ययनरत थे सभी को जनरल प्रमोशन का लाभ मिला था। इसलिए विद्यार्थियों के लिखने की क्षमता भी कम हो गई है।
विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान घबराहट भी महसूस हो रही है। घबराहट बैचनी गर्मी में भी अधिक होती है। अधिकांश बच्चे भूखे परीक्षा देने आते है। ऐसे में कही न कही ये परीक्षा का समय बच्चों के स्वास्थ पर बुरा असर फैला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थितियो को ध्यान में रखते हुए परीक्षा के समय मे बदलाव होना चाहिए।