32 पदों पर 103 को बुलावा..हिन्दी माध्यम छात्रों ने बताया..आयोग को होना होगा पारदर्शी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने  2020 के लिए व्यवहार न्यायाधीश के 32 पदों हेतु मुख्य परीक्षा के परिणाम जारी कर दिया है। मुख्य परीक्षा में 341 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। 22 मार्च 2020 को मुख्य परीक्षा का आयोजन किया गया था। आयोग ने 103 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया है। साक्षात्कार परीक्षा की तारीख का जल्द ही एलान किया जाएगा।
 
विवादास्पद रही है सिविल जज की भर्ती परीक्षाएं
 
              बताते चलें कि 2019 के लिए 39 पदों के लिए सिविल जज भर्ती परीक्षा का आयोजन बेहद विवादास्पद रहा। परीक्षा में हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को छोड़कर अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों का चयन किया गया था। इसके पहले प्रारंभिक स्तर की परीक्षा में प्रश्नों की त्रुटि के कारण दुबारा परिणाम निकाले गए थे। अंतिम चरण में 39 में 37 अभ्यर्थी अंग्रेजी माध्यम के चयनित किए गए। हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी खुद को ठगा समझ कर देखते रह गए।
 
             कोरोनाकाल के बावजूद आनन फानन में 2020 की प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया गया। सिविल जज प्रारंभिक परीक्षा 2020 में भी विवादों से नाता नहीं छूटा। प्रश्न पत्रों में त्रुटि उत्तर लेने में गड़बड़ी सामने आयी।
 
                        सिविल जज प्रारंभिक परीक्षा 2020 में प्रश्न पत्र में समय को घटाकर तीन की जगह दो घण्टे छापा गया। निर्देशों में माइनस मार्किंग पद्धति लागू होने का उल्लेख किये जाने से प्रतियोगी हलाकान रहे। जबकि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग सिविल परीक्षा में माइनस मार्किंग की पद्धति लागू नहीं है। अनेकों प्रतियोगी एक बार फिर कोर्ट जाने को मजबूर हुए।
 
हिन्दी माध्यम छात्रों को उम्मीद
 
         अंततः कुछ दिनों पहले 2020 सिविल जज मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित किया गया। बहरहाल आयोग ने अभी साक्षात्कार की तारीख क एलान नहीं किया है। देखना होगा कि इस बार फिर से हिंदी मीडियम के परीक्षार्थियों की जगह अधिकांश अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों का ही चयन होता है..या फिर अंतिम चयन सूची में हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को सिविल जज बनने में कामयाब मिलती है।
 
गंभीरता से लेना होगा
 
                              प्रतियोगी परीक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सिविल जज जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा भाषा को लेकर कोई प्राथमिकता नहीं है। हिंदी भाषी क्षेत्र में सभी को अंतिम चयन के समान अवसर होना चाहिए। लोक सेवा आयोग को गंभीरता से विवादों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ परिणाम घोषित करना होगा।

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