
“चवन्नी” को जब लगा…. “मुझे भी एक दिन “रुपिया” बनना है….”!
“चवन्नी तो बहुत दिनों से बंद हो गई है।लेकिन कुछ लोगों के पर्स के कोने में अभी भी शगुन के रूप में पड़ी हुई है। शायद कभी किसी ने शगुन में सवा रुपए भेंट किए होंगे …। सो एक रुपया के साथ चवन्नी भी पर्स में अब तक शोभायमान है।मार्केट में भले ही चवन्नी बंद…