CG-शिक्षक सरकार के इस फैसले से नाराज़,यह है पूरा मामला

Shri Mi
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बिलासपुर(सीजीवालडॉटकॉम)।हाल ही में राज्य सरकार ने शिक्षकों के पदोन्नति के लिए पूर्व में बनाए गए 5 वर्ष की सेवा अवधि के नियम को शिथिल करते हुए 3 वर्ष करने का प्रावधान जैसा बड़ा निर्णय लिया था। जो शिक्षको के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही थी ।जिससे तीन वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षको की पदोन्नति का रास्ता साफ हो रहा है। शिक्षक एलबी को सरकार का पदोन्नति में छूट देने का निर्णय कुछ शिक्षा संघ के अलावा आम शिक्षको को अब रास नही आ रहा है। शिक्षको का कहना है कि फैसले से यह तो स्पष्ट है कि हम लोगों की विसंगतियां दूर नहीं होगी उल्टे इस फैसले को पूर्व की सेवा अवधि शून्य कर देने के लिए एक बड़ी लकीर खिंच दी गई है। सम्भवतः सरकार की यही नियत है कि वह स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन तिथि को ही विभाग में सेवा की गणना मान कर चल रही है। इसी कारण शिक्षक सरकार के फैसले से बेहद निराश है।

             
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छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन से जुड़ी हुई महिला सहायक शिक्षक नेता प्रेमलता शर्मा बताती है कि 1998 से पंचायत विभाग के अधीन स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत सेवा कर रहे शिक्षक अपनी पूर्व की सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से चाह रहे है। जो पदोन्नति और कामोन्नति के साथ उच्चतम वेतनमान के हकदार है। फिर नियम को शिथिल करने का कोई मतलब ही नही है। वरिष्ठता क्रम में तो सभी पदोन्नति के हकदार है। शिक्षक संवर्ग के लिए फिर से एक और विसंगति थोप दी गई है।

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन की महिला शिक्षक नेता किलेश्वरी सांडिल उमरे अपने तर्क देकर आशंका जताते हुए बताती है कि जो सहायक शिक्षक 24-25 साल से काम कर रहा है वह दो पदोन्नति और क्रमोन्नति का हकदार है उसे एक पदोन्नति से बेसिक में न के बराबर लाभ होगा। उसमें भी गारंटी नहीं है कि उसके लिए पद खाली हो, विषय खाली हो और पदोन्नति हो ही जाये।

किलेश्वरी सांडिल उमरे का कहना है कि इस व्यवस्था से प्रदेश के सहायक शिक्षको की सबसे बड़ी समस्या वेतन विसंगति वह भी दूर नही होने वाली है। अगर पचास हजार सहायक शिक्षकों की पदोन्नति भी कर दिया जाये तो उससे अधिक संख्या में बचे सहायक शिक्षकों का क्या होगा ? हमारे शिक्षक साथी व्याख्याता वर्ग को क्या लाभ होगा । पदोन्नति से न्यूनतम को लाभ और अधिकतम को हानि है फिर सरकार ने क्रमोन्नति पर फोकस क्यों नहीं किया ?

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन प्रदेश उपाध्यक्ष शिव मिश्रा का कहना है कि हमारी सबसे बड़ी मांग प्रदेश के सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को लेकर है हम अभी आशा वान होकर कमेटी के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं
पदोन्नति के लिए पूर्व में बनाए गए 5 वर्ष की सेवा अवधि के स्थान 3 वर्ष का प्रावधान करने का निर्णय समझ से परे है। इससे प्रदेश के एक लाख नव हजार सहायक शिक्षकों का भला होने वाला नहीं है।

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा का कहना है कि हमारी पहचान हमारे हक के लिए जो हमने और हमारे शिक्षक साथियों ने अब तक संघर्ष किया है और कर रहे है उससे हुई है । हमें इस बात का गर्व है कि शिक्षको ने अपने हक के लिए खून पसीना बहाया है।अपने जीवन का बहुत सा समय दिया है, और दुर्भाग्य से अपने कई शिक्षक साथियों को खोया भी है। हम नहीं चाहते कि हम बार-बार ब्लॉक से लेकर राजधानी रायपुर तक अपने हक के लिए हर बार संघर्ष करें।हमारा काम शिक्षा देकर ज्ञान का प्रसार करना है।

मनीष मिश्रा का कहना है कि हमें पूर्व नियमित शिक्षकों जैसे समानता का अधिकार चाहिए। अन्य शासकीय कर्मचारियों के जैसे प्रथम नियुक्ति तिथि से गणना करते हुए क्रमोन्नति और उच्चतर वेतनमान दिया जाना चाहिए।सहायक शिक्षक के वेतन की गणना वर्ग एक और वर्ग दो के जैसे नियमानुसार की जानी चाहिए। ऐसा करने से सरकार बार बार होने वाली हड़ताल को रोक सकती है।राज्य सरकार को 1998 से चले आ रहे शिक्षाकर्मियों के अधिकारों को सम्मान देने का ऐतिहासिक निर्णय लेना चाहिये । अभी फेडरेशन की निगाहें हमारी मांग पर बनी हुई सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की कमेटी के निर्णय और सरकार की मंशा पर टिकी हुई है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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