(रुद्र अवस्थी)एक ही दिन मीडिया में दो ख़बरों पर लोगों की नज़र पड़ी….। एक तरफ छत्तीसगढ़ में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी के लोग महंगाई के खिलाफ धरना देकर प्रदर्शन कर रहे हैं- इसकी खबर तस्वीरों के साथ छपी दिखाई दे रही है….। और दूसरी तरफ महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर इसी सरकार के कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल कर रहे हैं ….धरना दे रहे हैं…. इसकी खबर भी तस्वीरों के साथ नज़र आ रही है। इन दोनों खबरों में एक शब्द “महंगाई” कॉमन है ..। एक तरफ महंगाई का विरोध है और दूसरी तरफ उसी महंगाई का हवाला देकर भत्ते की मांग हो रही है। दोनों ही आंदोलन मंहगाई से ज़ुड़े हैं और दोनों तरफ़ के लोग इसी मंहगाई की ओर ध्यान ख़ींचने के लिए सड़क पर उतरे हैं।एक ही मुद्दे पर दो अलग-अलग किस्म के आंदोलनों से ज़ुड़ी इन ख़बरों को देखकर आम लोगों के ज़ेहन में सवाल उठना लाज़िमी है।….और सबसे अहम सवाल यह है राजनीतिक फायदे- नुकसान के नज़रिए से एक आंदोलन में जहां महंगाई का इस्तेमाल हो रहा है… क्या वह जायज है.. ? तो क्या इसी महंगाई को देखते हुए डीए / एचआरए की मांग करना जायज नहीं है..?
महंगाई शब्द पिछले काफी समय से चर्चा में है। एक तरह से देखा जाए तो कोरोना काल के बाद यही शब्द सबसे ज्यादा सुर्ख़ियों में आता रहा है । देश के तमाम हिस्सों में लोग पिछले काफी समय से महसूस कर रहे हैं कि पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़े हैं। जिनकी वजह से रोजमर्रा में काम आने वाली बहुत सी जरूरी चीजों के दाम भी बढ़ गए हैं। समय-समय पर बढ़े हुए दामों की फेहरिस्त भी मीडिया में सुर्खियां बनाती रही है। अगर राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो कांग्रेस ने इस महंगाई को मुद्दा बनाया है। इसे लेकर बयानबाजी काफी समय से चलती रही है। रसोई गैस के दाम को लेकर भाजपा नेताओं और नेत्रियों की पुरानी तस्वीरें भी वायरल होती रही है। साथ ही कांग्रेस इसके जरिए केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करती रही है। इस सिलसिले में पिछले दिनों देश की राजधानी में धरना प्रदर्शन की भी खबर सुर्खियों में रही है। कांग्रेस ने इस महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाने की गरज़ से ही प्रदेश और जिला स्तर पर प्रदर्शन की मुहिम चलाई है । जिसके जरिए वह आम लोगों के बीच यह मैसेज देने की कोशिश कर रही है कि घर घर और एक -एक परिवार से जुड़े इस मुद्दे पर वह आम लोगों के साथ खड़ी है। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस को उम्मीद है की इस मुहिम के जरिए आम लोगों से सीधा जुड़ा बनाने में कामयाब होगी।
लेकिन इसे दूर्योग कहा जाए या संयोग…. बिलासपुर में सोमवार को जब कांग्रेस ने महंगाई के खिलाफ धरना दिया ठीक उसी दिन सोमवार को ही छत्तीसगढ़ सरकार के कर्मचारियों / अधिकारियों ने अपनी हड़ताल शुरू की। यह हड़ताल भी महंगाई से जुड़ी हुई है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने महंगाई भत्ते और गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर इस दिन से ही बे मुद्दत हड़ताल शुरू की। अब इसे भी संयोग माना जाए या दुर्योग…. कर्मचारियों की हड़ताल की शुरुआत इस दिन से पहली बार नहीं हुई है । अलबत्ता जिस तरह कांग्रेस के लोगों ने पिछले कुछ समय से महंगाई को लेकर मुहिम चला रखी है। उसी तरह कर्मचारियों /अधिकारियों ने सिलसिलेवार तरीके से पिछले काफी समय से आंदोलन शुरू कर दिया है। उनका आंदोलन भी कई चरणों से में चल रहा है। जिसमें ज्ञापन , प्रदर्शन, धरना और उसके बाद पिछले जुलाई महीने में 5 दिन लगातार निश्चितकालीन हड़ताल कर चुके हैं। पहले से किए गए एलान के मुताबिक अब एक बार फिर बेमुद्दत हड़ताल पर हैं।
आंदोलन में शामिल कर्मचारी नेताओं ने इस मुद्दे पर भी प्रदेश की मौजूदा सरकार को सवालों के घेरे में लिया है कि अगर कांग्रेस पार्टी महंगाई के विरोध में है तो उसे कर्मचारियों की महंगाई समझ में क्यों नहीं आती। कर्मचारी भी सरकार के सिस्टम का हिस्सा है। जिस तरह विधायकों का भत्ता 3 साल में दो बार बढ़ाया गया और उन्हें महंगाई से राहत दी गई। क्या उसी तरह के राहत की दरकार छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों / अधिकारियों को नहीं है….? क्या विधायकों का बाजार अलग है और कर्मचारियों का बाजार अलग है..? क्या बाजार में अलग-अलग तबके के लोगों को अलग-अलग दाम पर जरूरत का सामान मिलता है….? क्या अलग-अलग लोगों के लिए महंगाई के मायने अलग-अलग हैं….? प्रदेश के कर्मचारी डीए के मामले में केंद्रीय कर्मचारियों के मुकाबले काफी पीछे हैं। आखिर उसी महंगाई के आंकड़ों को आधार बनाकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों का भी भत्ता बढ़ाया गया है। प्रदेश के कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के हिसाब से गृह भाड़ा भत्ता दिया जा रहा है। यह भत्ता मौजूदा मकान किराए के मुकाबले काफी कम है।। इशारा यह है कि कांग्रेस पार्टी जिस महंगाई की ओर आम लोगों का ध्यान दिलाना चाहती है…. प्रदेश के कर्मचारी भी उसमें शामिल हैं। हड़ताली कर्मचारियों अधिकारियों के संगठन की ओर से उठाए गए ये सवाल आम लोगों के बीच भी घूम रहे हैं। जिससे आम लोगों के बीच यह मैसेज भी जा रहा है कि – क्या अभी सरकार चलाने वाली पार्टी मंहगाई का विरोध करने में व्यस्त है, लिहाज़ा मंहगाई भत्ते की मांग अबी ना की जाए…. ? सवाल यह भी है कर्मचारी / अधिकारियों के हड़ताल पर उतरने के बाद की सरकार पर का असर होगा या नहीं ….. ? और अगर महंगाई के नाम पर उनका भत्ता नहीं बढ़ता है …. तो क्या इसी महंगाई को लेकर सड़क पर उतर रहे कांग्रेस के लोगों के आंदोलन –धरना- प्रदर्शन का असर आम लोगों पर होगा…?