बजट-सहायक शिक्षको का भरोसा हुआ कमजोर,राहुल गांधी की हुई एंट्री,बड़े आंदोलन की बनेगी रणनीति, पढ़े पूरी खबर

Shri Mi
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बिलासपुर।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के बजट भाषण के दौरान प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा करके अपना नाम इतिहास में अमर कर लिया है। यह कभी भुलाया नही जाएगा।इस निर्णय से राज्य के कर्मचारियों में हर्ष का माहौल है। मुख्यमंत्री व समस्त मंत्री मंडल को बधाई देते हुए सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि
विजय जैन बंधु राष्ट्रीय अध्यक्ष एनएमओपीएस के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में इसके लिए प्रयासरत रहे, मेहनत रंग लाई, आज पुरानी पेंशन बहाल हो गई है। हम अपना भविष्य एक बाजारवाद पर आधारित प्रणाली के भरोसे छोड़ चुके थे जिसमें किसी भी प्रकार की न्यूनतम गारंटी नहीं थी।

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पुरानी पेंशन योजना सरकारी कर्मचारी के बुढ़ापे की लाठी है।लेकिन प्रदेश के सहायक शिक्षको के लिए यह बजट बुढ़ापे में लाठी को कमजोर साबित हुआ है।क्योकि सरकार ने इस बजट में प्रदेश के सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति की मांग को अनसुना कर दिया है। ब्लाक से लेकर राजधानी रायपुर किया गया 18 दिन के आंदोलन के दौरन का वादा अब अधूरा लगने लगा है।खुशियां हमे खुशियों जैसी नही लग रही है। हमे नज़र अंदाज किया गया है।जिसे लेकर हम जल्द ही प्रांतीय कार्यकारणीं की बैठक बुलाने वाले है।

सांसद राहुल गांधी को धन्यवाद देते हुएसहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव मिश्रा का कहना है कि राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में जो हुआ है उसमें कही न कही पुरानी पेंशन योजना लागू करवाने में उनका योगदान होगा। पर हम अब निराश है। प्रदेश में भूपेश है.. तो भरोसा है … वाला जुमला वादे पर खरा नही उतरा है…।जितना संघर्ष अपने हक के लिए सहायक शिक्षको ने किया है। उतना संघर्ष किसी कर्मचारी संगठन संवर्ग ने नही किया है…! यह सरकार चुनाव के पहले और सरकार बनने के बाद प्रदेश के सहायक शिक्षको के सबसे करीब रही है। फिर भी इस अंतिम बजट में हमे नजर अंदाज किया गया है। यह सहायक शिक्षक के लिए चिंता का विषय है। आंदोलन पर जल्द निर्णय होगा। हम अपने संवर्ग का शोषण बर्दाश्त नही कर सकते है।

सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय पदाधिकारी अश्वनी कुर्रे का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार बधाई की हकदार है। पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करके कर्मचारियों के हित में बहुत ही अहम निर्णय लिया है। पेंशन योजना की वजह इस सरकार के पास करीब 1200 करोड़ हर साल बचेंगे यही समय है और राज्यंश भी बच रहा है। बजट में कई सालों से चली आ रही सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति को दूर किया जा सकता है। सहायक शिक्षको को बजट थोड़ा निराश किया है। वेतन विसंगति तात्कालिक लाभ है।जो दिया नही गया है।मॅहगाई भत्ते का भी कोई आता पता नही है।

ओल्ड पेंशन के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शुभकामनाएं व बधाई देते फेडरेशन के प्रदेश प्रवक्ता बसन्त कौशिक ने बताया कि अब हमें बुढ़ापे में किसी सहारे का मोहताज नहीं होना पड़ेगा।
लेकिन इस ओल्ड पेंशन योजना में भी अभी कई पेंच फसे हुए है। सबसे बड़ा हमारी सेवा की गणना है। हमारी कटौती की गणना जैसे कई विषय है। इसलिए अभी सब कुछ अधूरा लग रहा है।फिलहाल तो राज्य सरकार को हर महीने करोड़ रुपये बचत होगी। कर्मचारियों का हजारों करोड़ जमा रुपया एनएसडीएल से मिल सकता है। अब तत्कालिक वित्तीय समस्याएं समाप्त हो रही है। इसलिए यही उचित समय था जब सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति पर ठोस निर्णय लिया जाना चाहिये था। ऐसा नही होने से प्रदेश के सहायक शिक्षको की अंतर आत्मा दूखी हुईं है। बजट में उपेक्षा से छत्तीसगढ़ के एक लाख नव हजार सहायक शिक्षक नाराज है।

फेडरेशन की प्रदेश कार्यकारिणी की महिला शिक्षक नेता खिलेश्वरी शांडिल्य का कहना है कि आज इस मोके पर मिठाई बांटी गई है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन शुरू से ही पुरानी पेंशन बहाली के पक्ष में रहा है। नया पेंशन स्कीम किसी भी तरह से कर्मचारी हित में उचित नहीं थी। इस बजट से प्रदेश का सहायक शिक्षक निराश हुआ है।जल्द ही निर्णय लेंगे।

प्रदेश मीडिया प्रभारी राजू टंडन ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के समस्त पदाधिकारियों ने मांग की थी
कि जिस प्रकार से राजस्थान में पुरानी पेंशन को लागू किया गया है, उसी प्रकार से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पुरानी पेंशन को छत्तीसगढ़ में भी लागू करें। जो आज हो चुका है हम सभी कर्मचारी इसके लिए आभारी रहेंगे। लेकिन हमारी वेतन विसंगति की माँग को नजर अंदाज करने से छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन खुश नही है। यह सहायक शिक्षको की उपेक्षा का बजट है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय पदाधिकारी शिव मिश्रा, सुखनंदन यादव, अजय गुप्ता ,सी.डी. भट्, सिराज बक्स, बलराम यादव, बसंत कौशिक ,कौशल अवस्थी, रंजीत बनर्जी, अश्वनी कुर्रे, रवि प्रकाश, लोह सिंह, विकास मानिकपुरी, हुलेश चन्द्राकर ,उमा पांडे, आदित्य गौरव साहू, छोटे लाल साहू, चंद्र प्रकाश तिवारी, आदित्य गौरव साहू, राजकुमार यादव, खिलेश्वरी शांडिल्य ,शेषनाथ पांडे, सुरेंद्र प्रजापति, राजू लाल टंडन ,मिलेश्वर देशमुख, बसंत कुमार यादव, संजय प्रधान, राजाराम पटेल, मनोज अंबष्ट, शैलेश गुप्ता, बीपी मेश्राम ,एलन साहू, यादवेंद्र गजेंद्र, दुर्गा वर्मा, राजकुमारी भगत, रीता भगत, गायत्री साहू, शांति उके, जयंती उसेंडी, शकुंतला साहू, राजू यादव, नोहर चंद्रा, राजेश प्रधान, बनमोती भोई ,तरुण वैष्णव , सुमन प्रधान, जलज थवाईत, संतराम साहू, आशा कोरी इंदु यादव, आशा पांडेय , उत्तम बघेल, गोवर्धन शारके,छवि पटेल, संजय प्रधान, अनीता दुबे, लक्ष्मी बघेल, बसंत कुमार यादव, योगेंद्र ठाकुर, केसरी पैकरा, सत्यनारायण यादव ,नीलिमा कन्नौजे, भूपेश पाणीग्रही, अजय साहू,प्रभा साहू, दीप्ति बिसेन, सरोज वर्मा, गरिमा शर्मा, चमेली ध्रुव, संकीर्तन नंद, हेमेंद्र चंद्रहास, राजवीर किरार, संत कुमार साहू, विनीता साहू, जयंती उसेंडी, पूर्णिमा पांडे और हजारों की संख्या में महिला शिक्षिकाएं यह मांग करता है कि जल्द से जल्द वेतन विसंगति पर सरकार ठोस निर्णय ले ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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