रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने पाठ्य पुस्तक निगम में चल रही कमीशनखोरी और भर्राशाही को लेकर प्रदेश सरकार और पापुनि की कार्यप्रणाली पर जमकर हमला बोलते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार का अब कोई भी महक़मा ऐसा नहीं बचा होगा, जहाँ भ्रष्टाचार सिर चढ़कर नहीं बोल रहा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क क़ितीबों के वितरण के नाम पर पाठ्य पुस्तक निगम को चूना लगाने का ख़ुलासा होने बाद यह आईने की तरह साफ़ हो गया है कि प्रदेश सरकार अब स्कूली छात्र-छात्राओं और स्कूलों के साथ भी छलावा व धोखाधड़ी करने पर आमादा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार एक तरफ़ अशासकीय शालाओं को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकों के वितरण का ढिंढोरा तो पीट रही है, लेकिन पर्दे के पीछे इन पुस्तकों का पैसा डीईओ के माध्यम से शिक्षा का अधिकार (आरटीई) योजना के तहत निजी विद्यालयों को शासन से मिलने वाली राशि से कटौती करने का प्रावधान करके प्रदेश सरकार ने आरटीई और नि:शुल्क पुस्तक वितरण को लेकर अपनी बदनीयती भी ज़ाहिर कर दी है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पापुनि के ज़रिए निजी शालाओं को आगामी 30 सितम्बर तक नि:शुल्क पुस्तकें बाँटने की बात कही थी। पाठ्य पुस्तक निगम ने निजी और शासकीय शालाओं की छात्र संख्या के आधार पर पुस्तकें छपवाई हैं।
सरकारी स्कूलों में लगभग 58 लाख छात्र-छात्राओं को किताबें पहले ही बाँटी जा चुकी हैं लेकिन निजी शालाओं में किताबों का पैसा आरटीई की राशि से कटौती करने का प्रावधान करके शाला-प्रबंधन के साथ छल किया जा रहा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आरटीई के तहत ज़रूरतमंद लोगों के बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने के एवज में निजी विद्यालयों में उन बच्चों का शिक्षण-शुल्क केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर वहन करती हैं, लेकिन पिछले सत्र में भी राज्य सरकार की वित्तीय अनुशासनहीनता के चलते निजी विद्यालयों को उक्त मद के शिक्षण शुल्क को पाने काफी मशक्क़त करनी पड़ी थी, जबकि इस बार तो प्रदेश सरकार निजी शालाओं के साथ सीधे-सीधे छलावा करने पर उतर आई है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आरटीई की राशि मिलने की प्रत्याशा और चाह में पाठ्य पुस्तक निगम ने इस बार करोड़ों रुपए की लागत में क़िताबें छपवा लीं। अब पुस्तक वितरण को लेकर प्रदेश सरकार के नए प्रावधान और लगभग तीन माह के विलंब के कारण प्रदेश के लगभग 71सौ विद्यालयों में से लगभग 35सौ स्कूलों ने ही ये पुस्तकें ली हैं। पुस्तकों की खपत नहीं होने के कारण अब पाठ्य पुस्तक निगम के अफ़सर निजी शालाओं पर दबाव बनाकर क़िताबें खपाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि निजी शालाओं ने अत्यधिक विलंब और तिमाही परीक्षा के पहले तक क़िताबें नहीं मिलने के कारण पुस्तकें लेने से साफ़ मना कर दिया है जिससे अब पापुनि अध्यक्ष और दीग़र ज़िम्मेदार अधिकारी सकते में हैं।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कहा कि कमीशनखोरी के चलते करोड़ों रुपए के कग़जों की ख़रीदी करके निगम ने पुस्तकें तो छपवा लीं और अब तक 70 फ़ीसदी क़िताबें बँटने का दावा करने में भी कोई देर नहीं की, जबकि हक़ीक़त यह है कि अब ये बाकी बची क़िताबें रद्दी के भाव बिकने पड़ी हैं। इस पूरे मामले में पाठ्य पुस्तक निगम की नाक़ामी ज़ाहिर हो रही है। श्री श्रीवास्तव ने पाठ्य पुस्तक निगम में अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी के कार्यकाल को जाँच के दायरे में रखकर निगम में कमीशनखोरी और भर्राशाही की उच्चस्तरीय जाँच कराने की मांग की है।