सरकारी स्कूलों में फीस लेने का मामला,DEO व बीईओ को जानकारी के बाद भी जारी है खुला खेल

Shri Mi
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बलौदाबाजार – भाटापारा।कोरोना महामारी के दौरान स्कूलों के पुनः खुलने पर जिला बलौदा बाजार के विभिन्न विकास खंडों में विशेषकर भाटापारा क्षेत्र में सरकारी हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी शालाओं में विद्यार्थियों से शासन की मनाही के बावजूद प्रवेश शुल्क ,नामांकन शुल्क लाइब्रेरी शुल्क एवं क्रीड़ा शुल्क, प्रयोगशाला उन्नयन इको क्लब, परीक्षा शुल्क शादी के नाम पर प्रत्येक बच्चों से 600 से 2000-2500 रुपये तक वसूल किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ शासन के लोक शिक्षण विभाग के द्वारा समय-समय पर जारी आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि महामारी के समय बंद स्कूलों में किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाएगी।

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जिला के शिक्षा अधिकारियों को इस बात की जानकारी ना हो ऐसा नहीं है बल्कि ब्लाक लेवल में अधिकारियों की मिलीभगत और अनदेखी से शाला विकास समिति के नाम पर नियम विरुद्ध सरकारी स्कूल में बच्चों से फीस वसूली जा रही है। शहर भाटापारा के स्कूलों की पडताल करने पर मालूम हुआ शासकीय पंचम दीवान उ मा शाला,शा. शिवलाल मेहता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शा उ मा शाला रामसागरपारा, शास नगरपालिका कन्या उ मा शाला, गवर्नमेंट मल्टीपरपज उ मा शाला को मिलाकर कुल छह शहरी शालाओ में विद्यार्थियों से शाला विकास समिति जनभागीदारी के नाम पर अतिरिक्त शुल्क की वसूली प्रवेश के समय की गई है। वसूली के बाद शुल्क की रसीद भी बच्चों को नहीं दी गई, पालकों के लिए यह पढ़ाई के नाम पर बात आई गई हो गई।

मालूम हो कि इन विद्यालयों में दर्ज स्टूडेंट्स सैकड़ों के हिसाब से लाखों रुपए का फंड गफलतबाजी में प्रत्येक वर्ष उड़ा दिया जाता है। अमूमन सारे स्कूलों में यही मनमानी खुलेआम जारी है।मीडिया में पिछले दिनों मामला सामने आने पर जॉइंट डायरेक्टर ने ग्रामीण इलाके में जांच कराई,जांच के दौरान आनन फानन में बच्चो को फीस वापसी कर मामले पर पर्दा डालने का काम बी ई ओ द्वारा किया गया।लेकिन अन्य शालाओ में बच्चो से वसूली गई फीस वापसी को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी कन्नी काट रहे है,शायद उन्हें स्कूलवार मामले में शिकायतो का इंतजार है।

समझा जा सकता है शासकीय स्कूलों का यदि यह हाल है तो निजी स्कूलों में फीस के नाम पर विद्यार्थियों का क्या बंटाधार किया जा रहा होगा ? नियमानुसार फीस के निर्धारण ,नियमन में शिक्षा विभाग के द्वारा कभी कोई जांच परख नहीं की जाती है। निजी स्कूलों में तो कलेक्टर के प्रतिनिधि के साथ पालक कमेटी का गठन स्थानीय स्तर पर अधिकांश निजी शाला में नहीं हुआ है जिसके द्वारा फीस का निर्धारण किया जा सके,दुसरीं ओर आरटीई के सालो से लंबित भुगतान और परिवहन टैक्स को लेकर निजी स्कूल संघ प्रदेशव्यापी बंद किया गया है।

हालांकि फीस मामले में लोक शिक्षण संचालक डॉ कमलप्रीत सिंह ने प्रतिनिधि से बातचीत पर नियमानुसार जांच का आश्वासन दिया गया था किंतु स्थानीय अधिकारियों के द्वारा सरकारी हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूलों की जांच नही की जाती है ।

पूर्व विकास खंड शिक्षा अधिकारी अमरसिंह घृतलहरे ने बताया -जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों के द्वारा निरीक्षण किया जाता है। शासन से मनाही होने से बच्चों की फीस किया जाना उचित नहीं है। जिन स्कूलों के द्वारा ऐसा किया जा रहा है,उनका एक्शन होना चाहिए।

मालूम हो जिला प्रशासन की ओर से भी जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर में सुधार और प्रबंधन में कसावट लाने के लिए अधिकारियों को नियमित दौरा भी जरूरी है। शासन के तमाम निर्देशों के बावजूद शायद ही कोई अफसर स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के नाम पर स्कूलों में जांच के लिए जाता हो और भर्राशाही में उतारूं ऐसे शासकीय और निजी स्कूलों के संचालकों पर नकेल लगा सके।

छ.ग. प्रदेश शिक्षक संघ के जिला बलौदाबाजार के भाटापारा ब्लाक अध्यक्ष रविंद्र वर्मा ने बताया छात्रों के हितों के साथ खिलवाड़ अनुचित है, प्रस्तावित फीस को कुछ स्कूलों के द्वारा अनुमति समझ फीस ली गई होगी कितुं ब्लाक अधिकारी के आदेश से ली गई फीस बच्चों को वापस कराई जा रही है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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