रायगढ़।छग शासन के नये सेटअप जारी होने से संस्कृत शिक्षकों में हडकंप मच गई है। सेटअप के अनुसार हाईस्कूल मे संस्कृत पद शुन्य कर दिया है ,220 छात्र से अधिक होने पर 1 व्याख्याता का मापदण्ड तय किया है,जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नही है। 6 विषय के 6 व्याख्याता न्युनतम हाई स्कूल मे सेटअप अनिवार्यतः हो। वहीं हायर सेकण्डरी स्कूल मे 9-से 12 तक के लिए 61 से 359 छात्रो के मापदण्ड पर 1 व्याख्याता तय कर सीधा संस्कृत को शुन्य करने की तैयारी मे है।जबकि हायर सेकण्डरी मे संस्कृत के 2 व्याख्याता होना चाहिए।अन्य भाषा हिन्दी अंग्रेजी के जो मापदण्ड हो वही संस्कृत भाषा के हो ,क्यों संस्कृत के लिए उपेक्षित रवैया शासन की ओर से अपनाई जा रही है,इस पर समस्त संस्कृत व्याख्याता समूह की ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है।
हाई स्कूल मे संस्कृत के पद समाप्त होने पर माध्यमिक शाला के संस्कृत योग्यता धारी शिक्षको की पदोन्नति नही हो पाएगी ,तथा वे छात्र जो संस्कृत पाठ्यक्रम मे अध्ययन रत है तथा प्रशिक्षित बेरोजगार है उनके भविष्य के साथ अन्याय है।
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” की
उक्ति को राष्ट्रीय अंतराष्ट्रिय स्तर के मंचो पर वक्तव्य मे स्थापित करने वालों के ऊपर प्रश्न चिन्ह है, अपनी संस्कृति को सहजने वाले,अब संस्कृत पर ही खड्गप्रहार कर रहे है।
छात्रो मे नैतिक शिक्षा का बोध केवल संस्कृत भाषा के माध्यम से होती है,संस्कृत विहीनता छात्रो मे नैतिकता का अवमुल्यन है। संस्कृत भाषा का संरक्षण समाज के सभी वर्ग के लिए आवश्यक है।
संस्कृत गोष्ठी रायगढ मण्डल के द्वारा आयोजित वर्चुवल बैठक मे जिले के समस्त शिक्षक सम्मिलित होकर नये सेटअप मे संस्कृत पद की शुन्यता को लेकर कडी आपत्ति दर्ज की गई।सभी ने मिलकर आगे की सुनियोजित रणनीति के तहत हिंदी और अंग्रेजी की भांति व पूर्ववत सेटअप संरचना मे संस्कृत को यथावत रखने हेतु शासन प्रशासन को अवगत कराने की योजना बनाई।सभी ने एक स्वर मे अस्तित्व के संघर्ष के लिए सडक से लेकर न्ययालय तक की लडाई लडने का संकल्प लिया।