कोरोना स्कूल बंद-कई प्रदेशों में स्कूल बंद,छत्तीसगढ़ में भी सोमवार को किसी फ़ैसले की उम्मीद

Shri Mi
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बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में भी कोरोना के मामले बढ़ते ज़ा रहे हैं। इधर बाजार और दूसरे सार्वज़निक स्थानों पर लापरवाही भी नज़र आ रही है। छोटे बच्चों के स्कूल भी लग रहे हैं। जिस तरह पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में कोरोना में उछाल दर्ज़ किया ज़ा रहा है, उसे देख़ते हुए भी सावधानी बरत़ने की ज़रूरत महसूस की ज़ा रही है। कई प्रदेशों में बचाव के लिए स्कूलों सहित मॉल,बाज़ार और दूसरे सार्वजनिक स्थानों में फ़िर से पाबंदिया लगाई जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में भी बचाव के उपायों को ज़रूरी समझ़ा ज़ा रहा है। इस मामले में सोमवार को सरकार की ओर से किसी फ़ैसले की उम्मीद की ज़ा रही है।

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छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज़ की ज़ा रही है। इधर बाज़ारों में भी भीड़ बनी हुई है। लोग मॉस्क और दूसरे उपायों के प्रति गंभीर नहीं दिख़ाई दे रहे हैं। इतवार के दिन लगने वाले संडे बाज़ार में उमड़ी लोगों की भीड़ देख़कर भी चिंता बढ़ी है। इसी तरह स्कूलों में भी छोटे बच्चे रोज़ पहुंच रहे हैं। इन दिनों सरकारी स्कूलों में परीक्षा की वज़ह से भी करीब सभी बच्चे स्कूल आ रहे हैं। समझ़ा ज़ा सकता है कि एक ज़गह पर ज़ुटने वाली भीड़ की वज़ह से किस तरह की स्थिति पैदा हो रही है। जानकारों का कहना है कि एक तरफ़ शादी-व्याह जैसे आयोज़नों पर पाबंदियां लगाई ज़ाती हैं।

वहीं दूसरी तरफ़ हर एक स्कूल में किसी शादी-व्याह से अधिक संख़्या में बच्चे रोज़ ही इकट्ठे हो रहे हैं। पहली और दूसरी लहर के दौरान सरकार ने सबसे पहले स्कूलों को बंद करने का फ़ैसला किय़ा था । लेकिन इस बार अब तक ऐसा कोई क़दम नहीं उठाए जाने से लोगों के बीच सवाल है कि आख़िर किस स्थिति का इंतज़ार किया ज़ा रहा है। द़लील दी जा सकती है कि अभी प्रदेश में मामले काम है। लेकिन लापरवाही और भीड़ इकट्ठा होने से ही संक्रमण का ख़तरा बढ़ता है। लिहाज़ा वक़्त रहते पाबंदियां लगा दी ज़ाएं तो संक्रमण को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।
देश के कई प्रदेशों से स्कूल सहित अन्य सार्वज़निक स्थानों में पाबंदियां लगाने की ख़बर लगातार आ रही है। इसे देख़ते हुए छत्तीसगढ़ में भी सोमवार को किसी फ़ैसले की उम्मीद की ज़ा रही है। सूत्रों के मुताब़िक सोमवार को कोई फ़ैसला आ सकता है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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