CG NEWS : ( गिरिज़ेय ) देश के जाने-माने समाजवादी नेता शरद यादव का निधन हो गया। समाजवादी धारा से जुड़े लोगों के साथ ही राजनीतिक सुचिता और साफगोई के नाम पर शरद यादव को पहचानने वाले तमाम लोगों के बीच शोक की लहर है। बिलासपुर शहर से भी शरद यादव का नजदीकी नाता रहा है। यहां के हरीश केडिया ,आनंद मिश्रा उनसे काफी नजदीक से जुड़े रहे हैं। शरद यादव के राजनीति की शुरुआती दौर में बिलासपुर की भी अहम भूमिका रही। जब वे आपातकाल के दौरान बिलासपुर जेल में रहे। उस दौरान बिलासपुर का छात्र आंदोलन भी लोगों की यादों में है।
शरद यादव के व्यक्तित्व और बिलासपुर से जुड़ी उनकी स्मृतियों के संबंध में हमने छत्तीसगढ़ लघु उद्योग संघ के अध्यक्ष हरीश केडिया से बात की तो उन्होंने पुरानी यादें साझा की। उन्होंने बताया कि जबलपुर में जब हरीश केडिया इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र थे । तब शरद यादव भी उनके सहपाठी थे और हॉस्टल में उनके रूम पार्टनर भी रहे। उस दौरान बिलासपुर के धीरेंद्र मिश्रा ( अवकाश प्राप्त हाईकोर्ट जस्टिस ) भी इंजीनियरिंग के छात्र थे और समाजवादी चिंतक आनंद मिश्रा एग्रीकल्चर कॉलेज के साथ से। सभी एक साथ छात्र राजनीति करते रहे और शरद यादव को कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ आया था। इसके बाद इमरजेंसी में शरद यादव को गिरफ्तार कर बिलासपुर जेल में रखा गया था। उस समय बिलासपुर के छात्रों ने विरोध स्वरूप जेल के सामने प्रदर्शन किया। छात्रों की मांग थी कि शरद यादव जेल से बाहर आकर उन्हें संबोधित करें। जेल प्रबंधन पर छात्रों का ऐसा दबाव हुआ कि पहली बार किसी नेता ने कैदी के रूप में जेल से बाहर आकर छात्रों को संबोधित किया।
हरीश केडिया बताते हैं कि सेठ गोविंद दास के निधन के बाद खाली हुई जबलपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में उनके सहित सभी साथियों ने मिलकर शरद यादव को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में सेठ गोविंद दास के पोते रवि मोहन को उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन शरद यादव ने 2 लाख वोट से यह चुनाव जीत लिया। वे दो बार जबलपुर के सांसद रहे। एक बार यूपी के बदायूं से भी चुने गए और चार बार बिहार की मधेपुरा सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। शरद यादव दो बार राज्यसभा में भी रहे। इस तरह करीब 50 साल तक वे संसदीय राजनीति में सक्रिय रहे। हरीस केडिया ने बताया कि कॉलेज के दिनों के समय से शरद यादव के साथ उनका निरंतर संपर्क बना रहा। वे सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने मित्रों से मिलने भी बिलासपुर आया करते थे। एक बार जब देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब उनके साथ शरद यादव बिलासपुर आए। तब हरीश केडिया के क्रांति नगर स्थित आवास पर सभी ने दोपहर का भोजन किया था। इस दिन लाल बहादुर शास्त्री स्कूल में आम सभा भी हुई थी। एक बार शरद यादव नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में बिलासपुर आए तो त्रिवेणी भवन में उनकी सभा हुई थी।
शरद यादव को बिलासपुर से खास लगाव था। जब उन्हें लोकसभा में उत्कृष्ट सांसद का सम्मान मिला तब अपना भाषण देते हुए उन्होंने इसका जिक्र भी किया था। बिलासपुर जेल से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत और बिलासपुर में उनके मित्र हरीश केडिया आनंद मिश्रा का भी जिक्र उन्होंने अपने भाषण में किया था। उन्होंने कहा था कि इन मित्रों ने ही समाजवादी आंदोलन से उन्हें जोड़ा। हरीश केडिया कहते हैं कि यह दिखाता है कि हमारे प्रति वे कितना स्नेह रखते थे। जब भी दिल्ली जाना होता तो वहां पूरी व्यवस्था भी करते और मिलने का समय भी देते और कई घंटों गप्प भी चलती थी। जबलपुर के प्रति उनका अगाध स्नेह था। क्योंकि वे पहली बार वहां से एमपी बने थे । लेकिन बिलासपुर के प्रति भी प्रेम कम नहीं था । वे कहते थे कि बिलासपुर में मेरे निश्चल साथी रहते हैं। उन्होंने 50 साल तक संबंधों का निर्वाह किया। यह बहुत बड़ी बात है।
शरद यादव पिछले 2 साल से बीमार थे और अस्पताल आना जाना लगा रहा। इस बीच उनकी बेटी सुहासिनी भी बिलासपुर आई थी और हरीश केडिया के ही मकान में एक साथ भोजन किया था। हरीश केडिया बताते हैं कि समाजवादी विचारधारा के साथ ही किसानों के प्रति शरद यादव का अगाध प्रेम था। उनके पिताजी भी किसान थे। किसान परिवार से आने की वजह से उनका किसानों के प्रति अगाध प्रेम रहा। उनका अंतिम संस्कार भी होशंगाबाद जिले उनके गाँव बावई में हो रहा है। उनका आदिवासियों के प्रति भी गहरा प्रेम था। हरीश केडिया कहते हैं कि मधु लिमए जार्ज़ फर्नांडीस जैसे समाजवादियों के साथी रहे शरद यादव उस दौर के आखरी लोगों में से रहे । उनका जाना समाजवादी आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है।।