रायपुर।गत दिवस वेबिनार में शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला द्वारा शिक्षकों को निकम्मा कहकर कमजोर गुणवत्ता के लिए शिक्षकों को दोषी ठहराने का मुद्दा अब गरमाने लगा है।प्रदेश के शिक्षकों व छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने उनके इस बयान को गैर जिम्मेदाराना ठहराते हुए कड़ी निंदा की है और इसके लिए दोषी अफसरशाही को ही बताया है जिन्होंने AC कमरे में बैठकर नित प्रतिदिन एक नया प्रयोग स्कूलों में करके स्कूलों को एक प्रयोगशाला बना दिया है और बच्चों को प्रायोगिक सामग्री। शिक्षकों से दिन रात इतने गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाते है कि शिक्षक को अध्यापन के लिए समय ही नही मिल पाता। रोज नए विधियों के अधकचरे ज्ञान से ही स्कूलों की गुणवत्ता बिगड़ रही है,उस पर कक्षा आठवी तक कक्षोंन्नति देना भी बच्चों की गुणवत्ता को कमजोर बनाना है।CG News update के लिए हमारे व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़े,यहां क्लिक करे
शालेय शिक्षक संघ के महासचिव धर्मेश शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने कहा कि प्रमुख शिक्षा सचिव शिक्षकों को धमकाने के बजाय शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा करके सुधार की बात करे और अनावश्यक प्रयोग बंद करेकमजोर गुणवत्ता के लिए शिक्षकों को दोषी ठहराना पूर्णतः गलत है और गैरजिम्मेदाराना भी। शिक्षक अपना दायित्व भली भांति जानते और समझते है तभी शिक्षा विभाग के अधिकारी लगातार छत्तीसगढ़ की शिक्षा को लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं, वाह वाह खुद बटोरना और मेहनत करने वाले के हिस्से केवल आलोचना बर्दाश्त नही की जावेगी।
प्रदेश के समस्त शिक्षकों ने इस तरह के बयानों की कड़ी निंदा की है और मुख्यमंत्री से मांग की है ऐसे बेलगाम अफसरों पर लगाम लगाकर शिक्षकों की गरिमा बनाये रखें।