बिलासपुर। एक तरह के परिधान में एक साथ कलश लेकर चल रही हजारों महिलाएं…. सिर पर रामायण की पोथी लेकर चल रहे पुरुष… भजन गाती मंडलियां …. और रास्ते में जगह-जगह फूलों की वर्षा के साथ स्वागत…..। बिलासपुर शहर में शुक्रवार को कुछ ऐसा माहौल था , जब रामकथा का नगर निमंत्रण देने भव्य कलश यात्रा निकली। इस कलश यात्रा ने पूरे शहर में रामकथा का माहौल बना दिया ।अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक संत विजय कौशल महाराज की रामकथा 11 फरवरी से शहर के हृदय स्थल लालबहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में शुरू हो रही है। जो नौ दिन तक चलेगी ।
नौ दिवसीय रामकथा की स्थापना का श्रीगणेश भविष्य मंगल कलश शोभा यात्रा के साथ हुआ । मंगल कलश यात्रा जगन्नाथ मंगलम से शुरू हुई । आगे टैगोर चौक, शिव टॉकीज चौक, पुराना हाई कोर्ट रोड, गांधी चौक, जूना बिलासपुर, हटरी चौक, सिटी कोतवाली मानसरोवर चौक से होते हुए लाल बहादुर शास्त्री शाला प्रांगण पहुंची ।
श्री राम कथा के मुख्य यजमान अमर अग्रवाल और शशि अमर अग्रवाल ने राम कथा ग्रंथ का पूजन किया। कलश यात्रा के साथ रामकथा ग्रंथों को कथा स्थल के लाया गया। व्यासपीठ पर विधि विधान से ग्रंथों को सम्मान के साथ स्थापित किया गया। मंगल कलश यात्रा में दस रामायण मानस गान मंडली के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। इस दौरान सभी ने प्रभु श्री राम की भजन स्तुति के साथ प्रदेश के विकास और उन्नति की कामना की। कलश यात्रा में 101 रामायण पोथी यात्रियों ने विशेष रूप से भाग लिया।
कलश यात्रा के साथ पूरा शहर केसरिया रंग में नजर आया। इस दौरान बैंड बाजे, बग्गी और झांकियो को देखने लोग अपने घरों से बाहर आए और स्वागत किया ।हजारों की तादात में माताएं – बहनें पीले परिधान में सिर पर कलश लेकर चल रही थी । कलश यात्रा के मार्ग में जहां तक नज़र जाती एक लहर सी दिखाई दे रही थी । इसी तरह सौ से अधिक लोग सिर पर रामायण की पोथी लेकर साथ चल रहे थे। कई मंडलियां भी भजन करते हुए साथ चल रही थीं। बाजे – गाजे के साथ चल रही कलश यात्रा का जगह-जगह पूरी श्रद्धा के साथ स्वागत किया गया ।कलश यात्रा के दौरान राम कथा के आयोजन को लेकर लोगों में जमकर उत्साह देखने को मिला।
भगवान राम मतलब जीवन पद्धति-
राम कथा आयोजन समिति मुख्य संरक्षक अमर अग्रवाल ने बताया कि भारत राम और कृष्ण की संस्कृति वाला देश है। भगवान राम का नाम सर्वधर्म समुदाय में बहुत ही आदर से लिया जाता है। राम का जीवन चरित्र मर्यादा और विनयशीलता का पर्याय है। संत मुख से राम कथा श्रवण का अवसर जीवन में सौभाग्य से मिलता है। प्रभु श्री राम की दिव्य कथा को सुनने मात्र से तन मन ही नहीं बल्कि वातावरण सुरम्य और सुगंधित हो जाता है।ना केवल कष्टों का निवारण होता है। बल्कि मानव आदर्श को बल मिलता है।
अमर अग्रवाल ने कहा कि बिलासपुर से संत विजय कौशल महाराज का जीवन्त और गहरा नाता रहा है।श्री विजय कौशल महाराज से बिलासपुर का एक एक व्यक्ति जानता और पहचानता है।उन्होने नगर वासियों और अंचल के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री शाला प्रांगण में राम कथा श्रवण के लिए आमंत्रित किया। क्योंकि हमें अच्छी तरह से पता है राम से बड़ा राम का नाम होता है। राम को महसूस करने के लिए संत विजय कौशल से अच्छा कोई दूसरा सानिध्य नहीं हो सकता है। अमर अग्रवाल ने बताया कि लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में 11 फरवरी से 19 फरवरी तक प्रतिदिन दोहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक मानस मर्मज्ञ विजय कौशल महाराज रामचरित की कथा की अमृत वर्षा करेंगे।
महाराज श्री का मानना है कि भगवान और महापुरुषों को जाति के आधार पर नहीं देखना चाहिए ।किसी भी व्यक्ति का जन्म तो किसी ने किसी सामाजिक व्यवस्था में ही होगा। लेकिन कोई भी महापुरुष किसी एक जाति के उत्थान के लिए नहीं आता। महापुरुष राष्ट्र और समाज के धरोहर हैं। और उनकी जाति का अपने स्वार्थ की राजनीतिक लाभ उठाना पाप समान है। विजय कौशल महाराज उन विरले सन्तों में हैं जो स्वीकार करते हैं कि सन्तों की समाज में बढ़ती हुई पहुंच के बावजूद कम होते प्रभाव पर महती चिंतन की आवश्यकता है। उनका मानना है मानव कल्याण एवं सामाजिक व्यवस्था के अनुकूल आचरण ही परम धर्म है, यही हमारी भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है।