कहीं नेताओं की भूख शांत करने के चक्कर में तो पूरी नहीं हो पा रही खूंटा पाली सिंचाई योजना…?पैंतीस साल से अधूरे प्रोजेक्ट का पूरा सच

Shri Mi
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रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)बलरामपुर रामानुजगंज जिले के सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना खूंटपाली व्यपरिवर्तन योजना का काम अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी अधूरा पड़ा हुआ है। यदि सही समय पर कार्य पूर्ण कर लिया जाता तो इस योजना से जुड़े गांवों के किसान लाभान्वित हो सकते थे। किंतु विभाग के अधिकारी छूट भाइये नेताओं से लेकर इस क्षेत्र के विधायक एवं मंत्री के भूख को शांत करते-करते परियोजना ही अधूरी रह गई। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार खुटपाली व्यपवर्तन योजना को वर्ष 1987-88 में लघु सिंचाई योजना के रूप में मध्यप्रदेश शासन के द्वारा मंजूरी दी गई थी। बाद में इसे वृहद जलाशय योजना के रूप में स्वीकृति दी गई।

             
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जिला मुख्यालय बलरामपुर से लगभग 30 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित कन्हर नदी में इसका निर्माण प्रारंभ किया गया। वही योजना के लिए 2007 में 29 करोड़ 52 लाख रुपये स्वीकृत के बाद 2014 में पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति 86 करोड़ 40 लाख स्वीकृत हुए थे। अब तक इस योजना में अरबों रुपए की राशि खर्च होने के बावजूद भी किसानों की भूमि अभी तक सिंचित नहीं हो पाई हैं।

उक्त कार्य के संबंध में सरगुजा कलेक्टर से लेकर बलरामपुर के कई कलेक्टरों से शिकायत की गई और सभी ने वस्तु स्थिति का जायजा भी लिया लेकिन सत्तासीन नेताओं की हुकूमत के आगे किसी की नहीं चली। नतीजा यह हुआ कि किसान आज भी खेती किसानी के लिए तरस रहे हैं। जबकि उक्त परियोजना के लिए 246 किसानों का 50 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करने के बाद वन विभाग के द्वारा लगभग 22 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है।

एक अधिकारी दूसरे अधिकारी का खोल रहे पोल

आज पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में भाजपा का शासन हो या कांग्रेस का रसूखदार अधिकारी नेताओं को अपने पालने में पालने की हुनर इस कदर जानते हैं कि विभाग संबंधित पद प्राप्त करने में महारत हासिल किए हुए हैं यही कारण है कि अपने ही विभाग के अधिकारियों का एक दूसरे से लेकर तीसरे तक का पोल खोलने में लगे हुए हैं लेकिन वह इस बात को भूल चुके हैं जी अति उत्साह में किया गया कार्य हमेशा घातक ही सिद्ध होता है। आज बलरामपुर रामानुजगंज जिले में किसानों के नाम पर जितने भी बांध एवं तालाब का निर्माण कराया गया है उसमें अधिकतर फेल्वर ही साबित हुए हैं कहीं गेट है तो कहीं गेट नहीं जहां गेट है वहां से पानी का रिसाव हो रहा है जिसके कारण बरसात में जमा हुआ पानी पूरे बह जा रहे हैं जिसका खामियाजा आज किसान को भुगतना पड़ रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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