ChhattisgarhBusinessJob/VacancyLifestyleReligion

CG NEWS:कांग्रेस भवन के आंगन में बवाल के पीछे की पूरी कहानी……! आख़िर क्यों फूट पड़ा बिलासपुर के कांग्रेसियों का गुस्सा….. ?

() चुनावी तैयारी के आगाज़ में ही अंज़ाम की झलक....() क्या घटना से सबक लेगा संगठन या चलता रहेगा नोटिस - नोटिस का खेल

CG NEWS:( गिरिजेय ) रस्सी की एक खूबी होती है कि अगर वह जल भी जाए तो ऐंठन नहीं जाती…. ।कई बार लगता है कि दरअसल  इसी ऐंठन की वजह से छोटे-छोटे रेशे एक दूसरे में गुथे होते हैं । लिहाज़ा ऐंठन के बिना रस्सी अपना वज़ूद बरकरार भी नहीं रख सकती। वह तो बिखर जाएगी । लेकिन इस खूबी की वजह से एक मुहावरा भी रस्सी के साथ नत्थी हो गया है। कांग्रेस के साथ भी कुछ ऐसी ही ख़ूबियां नत्थी हैं। जो समय-समय पर सामने आती है और यह बता जाती हैं कि ऐसी ही कुछ खूबियां कांग्रेसियों को आपस में जोड़े रखती है । बुधवार को बिलासपुर के कांग्रेस भवन में जो कुछ हुआ उसमें भी कांग्रेस की इस खूबी की झलक देखी जा सकती है। जहां राजधानी से बैठकर पार्टी चलाने वालों के सामने न्यायधानी के कांग्रेसियों का गुस्सा फूट पड़ा। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी के बड़े मकसद से बुलाई गई बैठक पूर्व महापौर पर ठीकरा फोड़ कर खत्म हो गई । चुनावी तैयारियों को लेकर मीटिंग में कुछ निकला हो या न निकला हो। लेकिन एक नोटिस ज़रूर निकलकर सामने आ गया है। सवाल अभी जवाब की तलाश कर रहा है कि क्या ऐसे ही कांग्रेस नगरीय निकाय और पंचायत की चुनाव जीतने की तैयारी कर रही है।

यहां बात हो रही है बुधवार को कांग्रेस भवन में पार्टी की मीटिंग के बाद हुए हंगामे की…..।  जिसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ है और मीटिंग के बाद इसे लेकर सियासी हल्कों में भी बहुत सी बातें सुनने को मिल रही हैं। बिलासपुर  का कांग्रेस भवन वज़ूद में आने के बाद से ही समय-समय पर हो -हल्ला- हंगामा का गवाह रहा है । जिसमें आपसी ख़ींचतान कई बार मारपीट तक भी पहुंच गई है। लेकिन इस बार जो झंझट सामने आ रही है उसमें किसी का कोई निजी या व्यक्तिगत मामला या खुन्नस जैसी बात नजर नहीं आती ।बुधवार को पीसीसी चीफ दीपक बैज नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी के सिलसिले में कांग्रेसियों की मीटिंग लेने आए थे  ।प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और बिलासपुर के प्रभारी सुबोध हरितवाल भी उनके साथ  थे ।

मीटिंग के बारे में जैसा मीडिया में खबर आ रही है और लोग बता रहे हैं उसके मुताबिक मीटिंग दोपहर 2  बजे बुलाई गई थी और शाम करीब 5 बजे शुरू हुई। हमेशा की तरह मीटिंग में कुछ लोगों को ही बोलने का मौका मिल सका । जिन्हें बार-बार मंच से टोका जा रहा था कि अपनी बात संक्षेप में कहें । क्योंकि वक्त की कमी है। जाहिर सी बात है कि मीटिंग में जिन्हें भी बोलने का मौका मिला उन्होंने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के सिलसिले में अपनी बात रखी । कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव का अंदाज भी कुछ अलग था। उन्होंने तो यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि कांग्रेस का संगठन कहां है ? हालत ऐसी है कि बीजेपी के लोग कांग्रेस के एक विधायक पर आरोप लगाकर घेरने की कोशिश करते हैं ।लेकिन संगठन में बैठे लोगों ने कभी यह पूछने की भी जरूरत नहीं समझी कि मसला क्या है ? उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि जो लोग केवल फोटो शूटिंग में दिलचस्पी रखते हैं और कोई काम नहीं करना चाहते वे किनारे हो सकते हैं ।उनके बदले बहुत से लोग काम करने के लिए तैयार हैं।

एक विधायक ने जब खुलकर पार्टी संगठन को संगठन की बैठक में ही पूरी तरह से अनावृत्त कर दिया तो वहां बैठे बाकी लोगों को भी उम्मीद रही होगी कि जमीनी कार्यकर्ताओं को भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। कम से कम ऐसे लोगों की बात सुनी जाएगी जो अब तक नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत से लेकर जिला- जनपद और ग्राम पंचायत में चुनाव लड़ते रहे हैं या चुनाव का संचालन करते रहे हैं। लेकिन जल्दबाजी में हुई यह मीटिंग चंद लोगों के भाषण के बाद खत्म हो गई। जाहिर सी बात है मीटिंग खत्म होने के बाद लोगों को लगा कि चलते- चलते ही सही अपनी भावनाओं से अवगत करा दें । पता चला है इसी कोशिश में हंगामे की शुरुआत हो गई। कांग्रेस भवन से जिस तरह की बातें बाहर निकल कर आ रही है उससे भी तो यही पता चलता है की मीटिंग के तुरंत बाद पीसीसी चीफ बाहर निकले और रायपुर के लिए रवाना भी हो गए । इधर कांग्रेस भवन से बाहर आते-आते लोगों ने बिलासपुर कांग्रेस के प्रभारी से अपना दर्द साझा करने की कोशिश की। जिसमें यह सवाल भी आया कि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को यदि नहीं सुना जाएगा तो फिर चुनाव की रणनीति कैसे बनेगी  ? बताते हैं यह बात पूर्व महापौर राजेश पांडे ने प्रदेश महामंत्री से चलते-चलते कहीं। यह बात प्रदेश महामंत्री को बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने कमेंट कर दिया की क्या अब आप लोग हमें संगठन चलाना सिखाएंगे । बताते हैं अपना वाक्य पूरा करते-करते महामंत्री ने एक ऐसे शब्द का भी उपयोग कर दिया जिसे लोग अच्छे माहौल में आपसी प्रेम का इज़हार करने लिए भी इस्तेमाल करते हैं और माहौल गरम हो तो यही शब्द गाली की श्रेणी में रख दिया जाता है ।

मीटिंग में अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलने से लोग गले तक गुस्से से भरे हुए थे ।उन्हे महामंत्री की यह बात बुरी लगी । बताते हैं राजेश पांडे ने प्रदेश महामंत्री से सवाल कर दिया कि वे खुद कितना चुनाव जीते हैं जो अब चुनाव जीतने की रणनीति बनाने के लिए नसीहत देने आए हैं। जवाब में प्रदेश महामंत्री ने जो बातें कहीं उसके बाद हो-  हल्ला मचा और  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन तिवारी, राकेश शर्मा ने भी यह बात उठाई कि चुनाव की तैयारी के लिए बुलाई गई बैठक में कार्यकर्ताओं की बात भी सुनी जानी चाहिए।  इसके बाद कांग्रेस भवन के सामने आंगन में कुछ देर तक तेज आवाज में हो- हल्ला- हंगामा होता रहा।

हंगामेदार मीटिंग के बाद चर्चा भी बनी और सुर्खियां भी बनी। मीटिंग के बाद भी लोग इससे जुड़ी बातें करते रहे । इन बातों को सुनकर समझा जा सकता है कि बिलासपुर में कांग्रेस की क्या स्थिति है  ? किसी ने कहा कि राजधानी से संगठन चलाने वाले कई नेता बिलासपुर को सियासी टूरिज्म का ठिकाना समझते हैं । अंबिकापुर या कोरबा से लौटते समय चाय- पानी के लिए रुकते हैं और कार्यकर्ताओं को अपनी जागीर समझ कर बैठक बुला लेते हैं। मनचाहे समय पर पहुंचते हैं । पूरी बात भी नहीं सुनते । एक तरफा डायलॉग होता है और मीटिंग खत्म हो जाती है । बिलासपुर जैसे महत्वपूर्ण जिले का प्रभार किसी गंभीर और वरिष्ठ नेता को सौंपा जाना चाहिए। जो कार्यकर्ताओं की बातों को धीरज से सुन सके और तुरंत प्रतिक्रिया देकर ख़ुद हंगामे का सबब न बने। कम से कम आज से 30 साल पहले बिलासपुर के महापौर चुने गए राजेश पांडे के सफेद बालों का सम्मान करते हुए उनकी बातों को सुन लिया जाता तो बात नहीं बढ़ती।

वैसे भी जिस तरह परिक्रमा करने वाले लोगों को पार्टी टिकट देती है ।उसे लेकर पहले से ही कार्यकर्ता और स्थानीय नेताओं में गुस्सा है। जो पार्टी करीब साल भर पहले तक प्रदेश में सरकार चला रही थी और जिसे 2023 के विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके तुरंत बाद लोकसभा चुनाव भी हार गई। हाल ही में पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में जमीनी कार्यकर्ताओं को अहमियत देने की बजाय यदि पार्टी के बड़े ओहदेदार ही तू तू मैं मैं  में शरीक होंगे तो क्या इससे आगे चुनावी जीत का रोड मैप बन सकेगा…?

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस भवन में बुधवार को हुए हंगामे के बाद पूर्व महापौर राजेश पांडे को नोटिस भेज कर जवाब मांगे जाने की खबर आई है । इस पर भी लोग कमेंट कर रहे हैं कि –  जिस नेता ने जमीनी कार्यकर्ताओं की अहमियत और उनकी भावनाओं को सुनने की बात पार्टी की नोटिस में लाई। उस शख्स को पार्टी ने नोटिस थमा दिया । पिछले काफी अरसे से राजधानी के कांग्रेस नेताओं के रवैये से नाराज चल रहे न्यायधानी के नेताओं ने पार्टी की सही तस्वीर पेश करने की कोशिश की है। इसकी संजीदगी को ना समझ कर यदि पार्टी नोटिस – नोटिस खेलते हुए चुनावी तैयारी का आगाज करेगी तो अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर बिलासपुर के कांग्रेसिय़ों की इस भावना को समझने की कोशिश करें तो ऊपर बैठे नेता यह सबक ले सकते हैं कि रस्सी की खूबी की तरह अपनी खूबी को भी बनाए रखने की यह कोशिश पार्टी के लिए फंदे का काम भी कर सकती है। कांग्रेस जब सरकार में रहती है तब भी जमीनी कार्यकर्ताओं को अनदेखा किया जाता है और अगर विपक्ष में रहकर भी कार्यकर्ता अपने आप को उपेक्षित महसूस करें तो पार्टी दफ़्तर का आंगन आगे भी इसी तरह हंगामेदार माहौल से गुलज़ार होता रहेगा।

 
Back to top button
CG News | Chhattisgarh News Latest Hindi| Breaking News| India News
close