cgwall ग्राउंड रिपोर्ट : फंगस लगा अनाज़ खा रहे पंडो जनजाति के लोग, ‘राष्ट्रपति भवन’ के सामने बंटता है अनाज़….

Chief Editor
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सूरजपुर ( पंडोनगर से सीजीवाल की रपट ) ।राष्ट्रपति भवन के सामने  व्यवस्था के जिम्मेदार लोगो की वजह से फंगस लगा अनाज खुशी खुशी पंडो खा रहे है। मामला अति पिछड़ी हुई पंडो जनजाति से जुड़ा हुआ है। पंडो छत्तीसगढ़ की  प्राचीन परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सुरजपुर , सरगुजा सहित इसके आसपास में निवास करती है। पंडोनगर की वजह से यह जनजाति चर्चा में आई । जिसकी मुख्य वजह यहां दिल्ली के बाद दूसरा राष्ट्रपति भवन का होना है । इस जनजाति को राष्ट्पति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है। भोले -भाले पंडो जनजाति के लोग सिस्टम की बदइंतज़ामी का शिकार हो रहे है।  राष्ट्रपति भवन के ठीक  सामने से पंचायत भवन की सोसाइटी से  शासकीय खाद्यान्न योजना के अंतर्गत मिल रहा  सड़ा हुआ चना और भीगा हुआ नमक खाने को मजबूर है।

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 मामला सुरजपुर जिले के सिलफिली स्थिति पहाड़ों की तराई पर बसे  पंडोनगर का है।  प्रशासन पंडो  जनजाति पर   विशेष ध्यान नहीं दे रहा है। शासन प्रशासन योजनाओं का लाभ दिलवाने के नाम पर गंभीर होता  नही दिख रहा है । फंगस लगा हुआ सड़ा  चना , घटिया चावल, भीगा हुआ नामक जिला खाद्य विभाग के माध्यम से पंडो जनजाति को परोसा जा रहा है। 
शनिवार को सीजीवाल ने ग्राउंड रिपोटिंग के दौरान  पाया कि पंडोनगर में सरकार की ओर से सोसायटी के द्वारा अब  मुफ्त में मिलने वाले राशन जिसमे चावल, चना , नामक, की गुणवत्ता स्तर हीन  थी । अति पिछड़ी हुई पंडो जनजाति के विकास के लिए सरकार के दावे व्यवस्था में पोल होने की वजह से हवा हवाई होते दिखाई देने का अहसास करा रहे थे। 

देश के महामहिम  के इन दत्तक पुत्रो के लिए एक – एक किलो की  प्लास्टिक के थैलियों में शासन की नीतियों  तहत जो चना बांटा जा रहा है  । वह आधा सड़ा हुआ निकल रहा है। जिस पर भी इन भोले -भाले लोगो को कोई आपत्ति नहीं है। इनकी सादगी कुछ यूं  समझे कि पिछले बार का चावल  इस बार से और भी खराब था दो से तीन बार धोने पर बनाने खाने लायक होता था। यह  बात भी ये बड़ी  सरलता से कह देते है। यहाँ के लोग कहते है कि पखवाड़े भर पहले  कलेक्टर यहां आये थे तब उन्होंने लोगो से यहाँ की समस्याओं के बारे पूछा था किसी ने कोई विशेष शिकायत नही की थी। 

आथिर्क,सामाजिक,शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने के लिए जिले में  पंडो विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। करोड़ो का बजट भी बताया जाता है ।  लेकिन इनकी वास्तविक स्थिति बदहाल है । राज्य और केंद्र की बहुत सी शासकीय योजनाएं इनसे अब भी दूर धरातल से दूर लगती है।सुरजपुर और अम्बिकापुर से सटे क्षेत्र का ये हाल है तो प्रेमनगर  प्रतापपुर ब्लॉक के अति पिछड़ी हुई पंडो जनजाति के लिए किए जा रहे कार्यो का अनुमान लगाना बहुत सरल होगा।

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