बिलासपुर।इस चुनाव मे कॉंग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है।कॉंग्रेस ने छत्तीसगढ़ मे सरकार बनाने के साथ ही और भी कई मेसेज दिये है।नतीजो से यह साफ है कि छग कॉंग्रेस के नेता अपने आलाकमान को यह मेसेज देने मे कामयाब रहे है कि अजीत जोगी के बिना भी कॉंग्रेस ज्यादा मजबूत है।दूसरी ओर जोगी फैक्टर के भरोसे जीत कि आस लगाए भाजपा को एक झटका भी लगा है।और धोखा भी हुआ है।जबकि जोगी समर्थक तीसरी ताकत के रूप मे अपनी मौजूदगी को लेकर संतुष्ट नज़र आ रहे है।इस बार के चुनाव मे जोगी फैक्टर की चर्चा शुरू से ही रही है।तमाम राजनीतिक पंडित मानते रहे है कि अजीत जोगी चुनाव को प्रभावित कर रहे है लिहाजा उनको मिलने वाले वोट से कॉंग्रेस , भाजपा के भविष्य का आंकलन किया जा रहा था।छग मे हुए अब तक के चुनाव मे पहली बार कॉंग्रेस अजीत जोगी के बिना मैदान मे उतरी थी।जोगी कॉंग्रेस की चुनावी राजनीति मे हमेशा चर्चित रहे है।
2003 मे उनके सीएम रहते कॉंग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था।जबकि टिकट के बटवारे और अपने चुनावी बयानो की वजह से 2008 और 2013 मे अजीत जोगी चर्चा मे रहे है।दोनों चुनाव मे कॉंग्रेस परास्त हुई थी।आपसी झगड़े के बीच छग कॉंग्रेस के नेता हाईकमान तक यह मेसेज पाहुचते रहे है कि कॉंग्रेस कि हार के पीछे यह भी वजह रही है।बहरहाल इस बार चुनाव के पहले ही जोगी कॉंग्रेस से अलग हो गये थे और अपनी पार्टी बना कर चुनाव मे उतरे।
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उस वक़्त इस बात की भी चर्चा रही कि कॉंग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी कही न कही इस बात कि शंका रही होगी कि अजीत जोगी के बगैर कॉंग्रेस कमजोर तो नहीं हो जाएगी।लेकिन भूपेश बघेल की अगुवाई मे छग कॉंग्रेस के नेता शीर्ष नेतृत्व को यह समझने मे लगे रहे कि जोगी के बिना कॉंग्रेस और मजबूत बनकर उभरेगी ।इधर के चुनाव अभियान के शुरुआत के दौर मे भी राजनीतिक प्रेक्षक जोगी की पार्टी को कॉंग्रेस के लिए चुनौती के रूप मे देखते रहे है।
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खासकर जोगी के बसपा के साथ गठबंधन होने के बाद माना जाता रहा है कि इससे कॉंग्रेस को नुकसान हो सकता है पर इस चुनौती का सामना करते हुए कॉंग्रेस ने साबित किया कि वह अजीत जोगी के बिना भी मजबूत है।चुनाव नतीजे सामने आने के बाद छग के कॉंग्रेस नेता पार्टी हाइकमान को यह संदेश देने मे कामयाब भी नज़र आ रहे है।
इधर नतीजो से यह भी झलक रहा है कि जोगी फैक्टर को लेकर भाजपा गलतफहमी का शिकार हुई है।पूरे चुनाव के दौरान बीजेपी के तमाम बड़े नेता इस बार पर ज़ोर देते रहे है कि कॉंग्रेस जे वोट जोगी कि वजह से बात रहे है।इसका फाइदा सीधे सीधे बीजेपी को होगा । सियासी गलियारो मे जोगी कॉंग्रेस को बीजेपी कि बी टीम के रूप मे भी देखा जा रह था ।खुद सूबे के मुखिया डॉ रमन सिंह सार्वजनिक तौर पर जोगी कॉंग्रेस को तीसरी और असरदार ताकत मानते रहे है।लोग इस आंकलन से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे कि जोगी कि पार्टी कॉंग्रेस के वोट काट रही है पर नतीजे कुछ और ही बयान कर रहे है। जिससे जाहिर होता है कि जोगी फैक्टर से कॉंग्रेस पूरी तरह से बेअसर रहा बल्कि भाजपा का सफाया हो गया।अब चर्चा इस बात की है कि जोगी फैक्टर ने कॉंग्रेस को नुकसान पहुचने की बजाय भाजपा को रिजनल पार्टी (जोगी कॉंग्रेस) की बराबरी पर ला खड़ा किया है।यही जोगी फैक्टर का दिलचस्प पहलू नज़र आता है।