बिलासपुर। नसबंदी आपरेशन के बाद 4 पुरुषों की तबीयत बिगड़ने की खबर मिल रही है। इन लोगों का नसबंदी आपरेशन एक दिन पहले ही बुधवार को करगी रोड-कोटा में कराया गया था। लेकिन इसी शाम इनकी तबीयत बिगड़ने लगी। जिन्हे इलाज के लिए सरकंडा के एक अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक करगीरोड-कोटा के अस्पलात में बुधवार को 14 पुरुषओं का नसबंदी आपरेशन किया गया था। आपरेषशन के बाद सभी लोग अपने घर चले गए थे। लेकिन बुधवार को ही शाम होते-होते 4 लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। बताया गया है कि उनके अँगों में सूजन आने लगी और खून रिसने लगा। साथ ही पेशाब में तकलीफ शुरू हो गई। इस पर सभी एक-एक कर कोटा अस्पताल पहुंचे और अपनी तकलीफ बताई। पहले कोटा में ही उनका उपचार किया गया । फिर उन्हे बुधदवार रात में ही 108 एंबुलेंस से बिलासपुर के लिए रिफर कर दिया गया।बताया गया है कि उन्हे सिम्स के लिए रिफर किया गया था। लेकिन उन्हे सरकंडा के एक निजी अस्पलाल में दाखिल करा दिया गया।
निजी अस्पताल में दाखिल किए गए लोगों में धर्मेंन्द्र श्रीवास पिता रमेश्वर श्रीवास ( 26) की तीन लड़किया हैं। राजकुमार लहरे पिता महेत्तर लहरे (32) की 4 लकड़ी और 1 लड़का है। केशव प्रसाद पिता सहस राम विश्वकर्मा ( 34) की 2 लड़की और 1 लड़का है। प्रमोद साहू पिता राजेश साहू( 26) की एक लड़की,एक लड़का है। इनकी हालत अब सामान्य बताई गई है।
डॉ. गढ़ेवाल ने किया ऑपरेशन
जानकारी मिली है कि कोटा के अस्पताल में इन पुरुषों का नसबंदी ऑपरेशन डॉ. शरद गढ़ेवाल ने किया है। जो बिल्हा में पदस्थ रहने के दौरान विवादों में घिरे रहे। उन्हे सर्जन बनाकर ऑपरेशन के लिए भेजा गया था।
सीएमओ ने बताया मामूली
इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी (सीएमओ) डॉ. बोर्डे से बात की गई तो उन्होने बताया कि ऑपरेशन के बाद इन लोगों को मामूली ब्लीडिंग हुई है और उनका इलाज किया जा रहा है। जब पूछा गया कि सिम्स के लिए रिफर किए गए मरीजों को निजी अस्पताल में क्यों दाखिल करया गया …। इस पर जवाब दिया कि- जिस सर्जन के अस्पताल में दाखिल कराया गया है उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर सर्जन पैनल में हैं और उनके यहां पर अच्छा इलाज हो रहा है।
सवाल अब भी कायम
नसबंदी ऑपरेशन के बाद तबीयत बिगड़ने का ताजा मामला सामने आने के बाद यह सवाल अब भी घुमड़ रहा है कि क्या कुछ साल पहले बिलासपुर जिले में हुए नसबंदी कांड से सबक लेते हुए ऐसी व्यवस्था नहीं की जा रही है , जिससे लोगों को तकलीफ न हो…। और क्या सिम्स में इस स्तर की सुविधा नहीं हैं, जिसकी वजह से मरीजों को निजी अस्पताल में दाखिल कराना पड़ रहा है।