प्रदेश के स्कूलों में गुजराती भाषा की पढ़ाई का विरोध, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने दी उग्र आँदोलन की चेतावनी

Chief Editor
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुए 21 वर्ष हो गए है । इसके बावजूद बच्चों को स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई लिखाई नही कराई जा रही है । प्रदेश के विभिन्न छत्तीसगढ़िया संगठन लगातार स्कूलों में छत्तीसगढ़ी मातृ भाषा में पढ़ाई लिखाई की मांग को लेकर यहां से दिल्ली तक की लड़ाई लड़ चुके हैं । उसके बाद भी कोई पहल अब तक नही हुई । इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़िया महिला क्रान्ति सेना कि प्रदेशाअध्यक्ष अध्यक्ष लता राठौड़ के ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है । जहाँ शासन ने अपना पक्ष रखने के लिए न्यायालय से समय पर समय मांग की जा रही है। ऊपर से शासन ने बच्चों को स्कूलों में एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत गुजराती भाषा का ज्ञान देने के लिए रूप रेखा तैयार करने को कहा गया है । जिससे छत्तीसगढ़ के लोगो में काफी आक्रोश है ।

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छत्तीसगढ़ में गुजराती भाषा की पढ़ाई के विरोध में रविवार को छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश पदाधिकारियों की आवश्यक बैठक बिलासपुर में की गई । ज़िसमें छत्तीसगढ़ में गुजराती भाषा पढ़ाए जाने के विरोध में रणनीति तैयार की गई। रणनीति के तहत छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, छत्तीसगढ़िया महिला क्रान्ति सेना, छत्तीसगढ़िया छात्र क्रान्ति सेना, छत्तीसगढ़िया किसान क्रान्ति सेना पूरे प्रदेश में गुजराती भाषा पढ़ाए जाने का विरोध जोर शोर से करेगी। इसके बाद भी अगर सरकार नही जागी को छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना पुरे राज्य मे उग्र आंदोलन कर अपना विरोध प्रदर्शन करेगी।

छत्तीसगढ़ के लोगों का कहना है कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत बच्चों को गुजराती शिक्षा दी जाने की बात कही जा रही है तो क्या गुजरात में छत्तीसगढ़ी भाषा पढ़ाई जाएगी । अगर एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत छत्तीसगढ़ में गुजराती भाषा पढ़ाई जाती है तो भारत के अन्य राज्यों के स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई करवाई जाए । तभी एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना पूरा हो पाएगा। इस मौक़े पर छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेशाअध्यक्ष अमित बघेल, उपाध्यक्ष अजय यादव, संयोजक गिरधर साहु , महामंत्री भुषन,यसंवत , दिलिप मिरी ,सोनु राठौर, जितेन्द जिला बिलासपुर ठाकुर शैलू , जिला अध्यक्ष कृष्णा ,अनिल पाली,परस यादव रायपुर जिला से अनिल, शिवेंद, दिनेश,रायगढ से रवितिवारी फुलराज, सुरज, कोरबा से अतुलदास, रनविर, भाटापारा से चंदकात यदु,भुपेंद सेन, दुर्ग से अरुण गंधर्व बलौद, छत्तीसगढ के सभी जिलो से सेनानी, पदाधिकारी मौजुद थे ।

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