मुंगेली ( आकाश दत्त मिश्रा )। मोबाइल के स्क्रिन पर एक सीन आता है….. जिसमें गार्डन का फाउंटेन नजर आ रहा है……। ऊपर लिखा है….Beautiful municipal garden of mungeli…..। फिर नीचे एक तस्वीर उभरती है…….. जिसमें एक शिलान्यास /उद्घाटन के पत्थर पर मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का नाम लिखा है और उद्घाटन की तारीख दर्ज है…27/11/2015 …….। इसके बाद वॉइस ओव्हर सुनाई देता है…… सुप्रभात दोस्तों….. हम लोग मुंगेली के नगर पालिका द्वारा बनाए गए गार्डन में मॉर्निंग वॉक के लिए आए हुए हैं …. और यहां के मनोरम दृष्य को देखकर मुझे ऐसा लग रहा है कि यहां बार-बार आना चाहिए …..। फिर शुरू होती है इस गार्डन की दास्तान…… जिसमें तफसील से बताया गया है कि इस गार्डन के फाउंटेन किस तरह के हैं….. वहां पर पौधे-घास की हालत कैसी है…. गार्डन में आने वालों के लिए रखी गई कुर्सियां किस तरह की है…. लैंड मार्क कैसा है….. लाइट कैसी है ….. और सेन्ट्रल कैफेटेरिया की दशा क्या है……।
करीब साढ़े तीन मिनट के इस वीडियों में पूरी बातचीत सवाल – जवाब के अँदाज में आगे बढ़ती है ….. और बातचीत का अँदाज इतना चुटीला है कि इसमें कुछ भी बोझिल नहीं लगता है…..। वीडियों में दिखाए गए गार्डन की हर एक चीज की तारीफ कुछ इस तरह से की गई है कि उनकी तुलना में कई बार विदेश से इंपोर्ट किए जाने की बात आई है ……. और यह बताया गया है कि इतना सुंदर और वेल मेंटेंड गार्डन शायद ही किसी ने देखा होगा…..। बताया गया है कि मुंगेली का यह गार्डन विदेश जैसा है…… यहां के फाउँटेन विदेश से मंगाए गए हैं……. घास-पेड़-पौधे भी विदेश से इँपोर्ट किए गए हैं…… जिनके मेंटेनेंस में काफी मेहनत भी हो रही है और काफी खर्च भी किया जा रहा है…. सड़के खूबसूरत हैं….. बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियों की डिजाइन ऐसी है कि आदमी हर एक मुद्रा में उस पर बैठकर योगा भी कर सकता है ….और वहां लगाई गई लाइट की रोशनी ऐसी है कि रात के समय सुई भी खोजी जा सकती है……। जबकि इसका सच हर एक मुंगेलीवासी को मालूम है……।
स्थानीय युवाओँ की ओर से तैयार किया गया यह वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। इसे देखकर लगता है कि अपनी बात बेहतर ढंग से कहने और उसे व्वस्था के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचाने के लिए अब सोशल मीडिया का भी बेहतर इस्तेमाल होने लगा है। यह वीडियों उसका ही एक नमूना है। जिसमें आज के दौर के मीडिया को व्यंग की पुरानी विधा से जोड़कर उलटबांसी के साथ एक गार्डन की सही तस्वीर सामने रखने की कोशिश की गई है..। पत्रकारिता और साहित्य में व्यंग की इस विधा का इस्तेमाल काफी पहले से होता रहा है। जो प्रभावी भी रहा और मारक भी माना जाता रहा है। मीडिया के जानकार इसे अच्छा संकेत मान सकते हैं कि कभी भड़काऊ…. तो कभी अश्लील….. तो कभी केवल क्षणिक मनोरंजन से जुड़े संदेशों के नाम पर गैरजिम्मेदार समझे जाने वाले सोशल मीडिया का भी अब सकारत्मक इस्तेमाल होने लगा है…..। और अपनी creativity के जरिए आज के युवा इस टेक्नालॉजी का बेहतर इस्तेमाल करने में पीछे नहीं हैं। वैसे भी इंफर्मेशन टेक्लालॉजी ने मीडिया के कुछ घरानों के हाथ से बाहर निकाल कर आम आदमी के हाथ में पहुंचा दिया है। जिसे एक हथियार मानकर यदि सकारात्मक तरीके से – अपनी बात रखने का जरिया बनाया जाए तो बात वहां तक पहुंच सकती है, जहां पर हम उसे पहुंचाना चाहते हैं। मुंगेली के युवाओं ने एक उदाहरण पेश कर आज के दौर के लोगों को इस बात का अहसास करया है कि व्यवस्था की खामियों पर चोट करने और जिम्मेदार लोगों को जगाने के लिए यह तरीका भी अपनाया जा सकता है….।