रायपुर । हड़ताल खत्म होने के बाद शिक्षा कर्मी अपने -अपने स्कूलों में लौट आए हैं। उन्होने सामान्य ढंग से अपना काम- काज शुरू कर दिया है। हड़ताल के दौरान हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए स्कूलों का टाइम टेबल बदले जाने का फरमान जारी हो चुका है। सरकार में बैठे लोग भी अपनी कामयाबी का ढिंढोरा पीट रहे हैं। इधर हड़ताल को लेकर सोशल मीडिया में प्रतिक्रियाओँ और सवालों का सिलसिला भी जारी है। इसी कड़ी में शिक्षा कर्मी मोर्चा के संचालक सदस्य संजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी किया है। जिसमें साफ किया गया है कि सरकार ने शिक्षा कर्मियों की कोई माँग नहीं मानी है आंदोलन छात्र हित-समाज हित में आँदोलन वापस लिया है।उन्होने लिखा है कि सरकार से न कोई उम्मीद है और न करेंगे। उन्होने यह भी लिखा है कि सरकार की दमनकारी नीति के कारण बहुत बड़ा घाव है जो अभी नहीं भर सकता। उन्होने अपनी पोस्ट में इसका ब्यौरा भी दिया है।
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संजय शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि हड़ताल वापसी के बाद कुछ मूल बातें हैं जिन पर शिक्षा कर्मी ध्यान देंगे। हमने आँदोलन को छात्र हित -समाज हित में वापस लिया। हमारी कोई माँग मानी नहीं गई। हम सब शिक्षा कर्मी बहुत दुखी हैं। सरकार के दमनकारी नीति के कारण बहुत बड़ा घाव है, जो अभी भर नहीं सकता। कुछ प्रमुख बातें हैं, जिन्हे हमें नहीं भूलना है। गाँठ बाँधकर रखना है।हमारे शिक्षा कर्मी साथियों की अकाल मौत को हम नहीं भूल सकते। महिलाओँ को रोड में घसीट-घसीट कर ले जाना हम नहीं भूल सकते। हमारे साथियों को नियम विरुद्ध बर्खास्त करना हम नहीं भूल सकते। रायपुर के सभी सुलभ शौचालयों में ताला जड़ देना हम नहीं भूल सकते। रास्ते में गाड़ियों को रोक-रोक कर महिला- पुरुष यहां तक कि छोटे बच्चों को उतारकर पुलिस द्वारा हिरासत में लेना हम नहीं भूल सकते।
शिक्षा कर्मी लीडरों को नक्सलियों की तरह फोन के लोकेशन ट्रेस कर गिरफ्तार करना हम नहीं भूल सकते। हमारी मांगों के बावजूद धरना के लिए स्थल न देना हम नहीं भूल सकते। मुख्यमंत्री का बयान – ना संविलयन हुआ, ना होगा- हम नहीं भूल सकते। लोकतंत्र में आवाज दबाने के लिए आपात काल की तरह स्थिति बनाना हम नहीं भूल सकते। हड़ताल में कुछ नहीं देने के बावजूद स्कूल का समय बढ़ाना हम नहीं भूल सकते।उन्होने लिखा है कि ” इसलिये सरकार से ना कोई उम्मीद है,ना करेंगे.वो हमे जो देगा . उससे हमारा जख्म नही भरेगा.। ना हमे किसी से मिलना है बस स्कुल में चुपचाप अध्यापन कराना है. प्लीज कोई सरकार के पास जाता है,, तो समझो दाल में काला है.
सरकार से हम जीत नही सकते.इसलिये खामोश हैं।
पर
खामोश समंदर सैलाब लाता है
यही शिक्षाकर्मियों का स्टैण्ड है
इन सब से बचने के लिए अब कभी भी इस तरह का बेबुनियादी हड़ताल नहीं करना है
ये शपथ लेते हैं
एक घंटे क्या हम तो चौबीसों घंटे ड्यूटी करने के लिए तैयार हैं , घर में आने के बाद भी ध्यान स्कूल के कार्यों में लगा रहता है और अधिक्तर साथी करते भी हैं,शासन से अनुरोध है कि वे रात में भी आठ घंटे शिक्षण कार्य के लिए आदेश जल्द प्रसारित करें ,ताकि पँद्रह दिन का नुकसान आठ घंटे में पुरी हो सके ,और बच्चों का जो नुकसान हुआ है जिसके लिए शासन चिंचित है ,वो दूर हो सके ……
कृप्या शसन सीघ्र विचार करने का कष्ट करे ताकि हमारा छत्तीसगढ़ देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अलग पहचान बना सके …….
शिक्षा-कर्मियों की ओर से – ( शून्य निवेश पर एक नयी पहल अथवा नवाचार ) .
सबसे पहले तो हड़ताल का समय हि गलत चुना, दुसरा कांग्रेस ने समर्थन दिया तो कम से कम बंद के बाद हड़ताल वापस लेना था,अब तो स्थिती ये है कि,न दुबारा कांग्रेस कभी समर्थन देगी,न छात्रो,उनके पालक,आम जनता कभी सहानुभूति दर्शाएंगे, साथ देंगे, रमन सिंह और भाजपा यदि कुछ देते हैं तो आपका भाग्य, बाकी रमन ने तो अब आप लोगों को हड़ताल के लायक भी नहीं छोड़ा,हड़ताल करोगे तो जनता दौड़ा दौड़ा कर पिटेगी, रीढ़ विहीन नेताओं ने पुरे शिक्षा कर्मीयों की जायज मांग को लेना लगभग असम्भव कर दिया है, संगठन और शिक्षा कर्मीयों का हित चाहते हो तो सारे पदाधिकारी इस्तीफा दे और दुसरे मजबूत लोगों को सामने लाए, ताकि भविष्य में कम से कम शिक्षा कर्मीयों के अन्य हितों की रक्षा हो सके!