मुख्यमंत्री ने पढ़ाया राजधर्म का पाठ..अटल ने कहा ..विपक्ष को दिया मंच..काश प्रधानमंत्री वाजपेयी.. की राजधर्म शिक्षा का..पीएम मोदी भी पालन करते

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—पर्यटन मण्डल बोर्ड चैयरमैन अटल श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस ने हमेशा विपक्ष का सम्मान किया है ।इसी क्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधर्म का पालन करते हुए कार्यक्रम के दौरान विपक्ष का सम्मान किया है। लोकार्पण और  भूमि पूजन समारोह में बिलासपुर के विपक्ष के विधायक और सांसद को भी मंच देकर सम्मानित किया है। 
 
              बिलासपुर में आयोजित लोकार्पण एवं भूमिपूजन समारोह में 353 करोड़ रूपये की विकास की सौगत देने शुक्रवार को प्रदेश के मुखिया बिलासपुर पहुंचे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लाल बहादुर शास्त्री मैदान में आमसभा को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान भूपेश बघेल ने कई नई परम्पराओं की शुरूआत की है।
 
           पर्यटन मण्डल बोर्ड अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने बताया कि तिफरा फ्लाई ओव्हर ब्रिज, तारामण्डल और मुख्य समारोह लालबहादुर शास्त्री स्कूल स्थित मंच पर मुख्यमंत्री ने मंत्रीमण्डल के सहयोगियों, पार्टी विधायकों, निगम मण्डल के सहयोगियों, महापौर. पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के साथ ही विपक्ष को स्थान दिया है। 
 
                   अटल ने कहा जिले के विधायकों को ना केवल आमंत्रित किया। बल्कि उनका सम्मान भी बढ़ाया। मंच पर छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, उपनेता प्रतिपक्ष मस्तूरी विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, बिलासपुर सांसद अरूण साव उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान विपक्ष को संबोधन का भी अवसर दिया। मुख्यमंत्री ने समय को देखते हुए अपने सहयोगियों के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और सांसद अरूण साव को संबोधन के लिए आमंत्रित किया। ऐसा कर मुख्यमंत्री ने स्वस्थ्य  लोकतंत्र में स्वस्थ परम्परा को मजबूती प्रदान किया है। 
 
                  अटल श्रीवास्तव ने बताया कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जिस राजधर्म का बातें राजनीति में करते थे। आज उन्हीं की पार्टी के  प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राजधर्म की परम्परा को नहीं निभा रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर के मंच पर राजधर्म का पालन किया। और विपक्ष को पूरा सम्मान भी दिया है ।
 
                         अटल श्रीवास्तव के अनुसार डॉ.रमन सिंह की 15 साल की सरकार ने कभी भी मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने किसी लोकार्पण और उद्घाटन समारोह में कांग्रेस के विधायकों के क्षेत्र में भी मंच नहीं दिया है। यहां तक कि शीला पट्टिकाओं में भी नाम नहीं लिखने दिया। भूपेश बघेल सरकार बनते ही मुख्यमंत्री ने सभी जिलों को आदेश जारी कर कहा है कि विधानसभा में या जिस वार्ड में या जिस ग्राम पंचायत में लोकार्पण और उद्घाटन समारोह होगा। सभी जगह स्थानीय विधायक, पार्षद, सरपंच का नाम उद्घाटन समारोह में स्थान जरूर दिया जाए।
 
              परम्परा 25 फरवरी को लालबहादुर शास्त्री स्कूल के कार्यक्रम के दौरान विपक्ष को मंच पर स्थान देकर सीएम ने बड़ा दिल दिखाया है। अटल ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर नई लकीर खींचकर लोकतंत्र की महान परम्परा को आगे बढ़ाया है। मजेदार बात है कि
मुख्यमंत्री ने 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष की पूरी बातों को बहुत ही शालीनता से सुना। उतनी ही शालीनता से जवाब भी दिया। शायद  स्व.अटल बिहारी बाजपेयी के राजधर्म का मर्म प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और डॉ.रमन सिंह नहीं समझे। लेकिन कम से कम अब तो भाजपा के नेताओं को भूपेश बघेल से राजधर्म सीखना चाहिए।
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