सिम्स भर्ती घोटालाः किसी को रिलीव सर्टिफेकेट से, तो किसी ने शपथ पत्र से हासिल की नौकरी..

BHASKAR MISHRA
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cimsबिलासपुर– सिम्स में पदों की भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ है। स्वीपर पद की भर्ती में भी भारी अनियमितता हुई है। प्रभारी डीन ने यहां भी घालमेल करने में कोई कोर कसर ने नहीं छो़ड़ा है। आवेदनकर्ता ने किसी दूसरे पद के लिए आवेदन किया। नियुक्ति किसी दूसरे पर पर हो गयी। किसी के आवेदन में निवास पत्र समेत जरूरी दस्तावेज नहीं लगाया गया। बावजूद इसके उसके आवेदन को स्वीकार कर लिया गया। आवेदकों ने तो अंकसूची की जगह लीविंग प्रमाण पत्र जमाकर नौकरी हथियाया है। कम से कम तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपने रिपोर्ट में यही बताया है।

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                          लोकआयोग के सामने पेश तीन सदस्यीय जांच समिति ने सिम्स में लिपिक अलिपिक भर्ती में भारी भ्रष्टाचार की तरफ इशारा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रोशनी इंगले ने लैब अटेंडेट के लिए आवेदन किया था। उन्होने आवेदन देने के करीब दो साल बाद शपथ पत्र जमा किया कि उनका  मूल निवास प्रमाण पत्र गुम गया है। इसलिए जमा नहीं कर पायी। डूप्लिकेट प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है। डुप्लिकेट प्रमाण पत्र मिलते ही सिम्स में जमा करूंगी। तात्कालीन अधिष्ठाता ने आवेदन के आधार पर रोशनी के आवेदन को स्वीकार किया और पद के लिए चुनाव भी कर लिया।

          कांग्रेस नेता शैलेन्द्र जायसवाल ने सिम्स भर्ती घोटाले का खुलासा कर बताया कि रिपोर्ट में किसी रेखा अर्खेल का जिक्र है। रेखा ने स्वीपर पद के लिए आवेदन जमा किया। लेकिन जांच समिति ने आवेदन का परीक्षण नहीं किया। जांच पड़ताल के दौरान पाया गया कि रेखा अर्खेल ने शुल्क जमा नहीं किया है। क्योंकि शुल्क जमा करने के बाद आवेदन का 12 नम्बर का कालम भरना अनिवार्य होता है। कालम में इसका जिक्र नहीं है। इस सूरत में आवेदन को निरस्त किया जाना था। लेकिन समिति ने ऐसा नहीं किया। स्वीपर पद के लिए शैक्षणिक योग्यता कक्षा पांच पास होना है। लेकिन रेखा ने आवेदन में शैक्षणिक योग्यता की जगह स्कूल लीविंंग सर्टिफिकेट संलग्न किया है। सर्टिफिकेट उडीसा से बनवाया गया है। जबकि रेखा ने आवेदन में बिन्दु क्रमांक 10 में जिक्र किया है कि उसने कक्षा पांच की पढ़ाई उत्तरप्रदेश के किसी फरहदा स्थान से की है। जबकि स्कूल रीलिविंग सर्टीफिकेट उड़ीसा का है।CIMSJPG

                रिपोर्ट के अनुसार जोगिंदर सोनवानी ने वार्ड बाय पद के लिए आवेदन किया। लेकिन किसी ने हाथ से वार्ड बाय पद काटकर स्वीपर पद कर दिया। जोगिंदर सोनवानी की नियुक्ति स्वीपर के अनारक्षित पद पर हुई।

                  रिपोर्ट में बताया गया है कि सिम्स में वर्ग तीन और चार के विभिन्न पदो की मेरिट सूची 23 सितम्बर 2013 को जारी हुई। मेरिट सूची की तात्कालिक वैधता एक साल बाद 23 सितम्बर 2014 को खत्म होती है। लेकिन सिम्स प्रशासन ने मोहम्मद जुबैर को लैब टेक्निशियन के पद पर नियुक्ति आदेश 26 सितम्बर 2014 को जारी हुआ। इसलिए जुबैर की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है। क्योंकि मेरिट सूची एक साल बाद समाप्त मानी जाती है।

                                रिपोर्ट में भर्ती के दौरान प्रभारी डीन पर नियुक्तियों में भारी भ्रष्टाचरा और अनियमितता का आरोप लगाया गया है। छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग तृतीय श्रेणी अराजपत्रित सेवा भरती नियम 2011 का खुलेआम उल्लघंन हुआ है। भर्ती के दौरान हर चरण मे अनियमितता बरती गयी है।

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