पीएससीः सिविल जज परीक्षाः पहले अंग्रेजी..अब माइनस मार्किंग विवाद ..प्रतियोगियों ने कहा..हद हो गयी

BHASKAR MISHRA
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रायपुर—सिविल  की प्रारंभिक परीक्षा में भारी गड़बड़ी होने की आबाज धीरे धीरे अब बाहर आने लगी है। एक बार फिर प्रतियोगियों ने लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ की विश्वनीयता पर उंगलियां उठाना शुरू कर दिया है। प्रतियोगियों ने दावा किया है कि सिविल जज परीक्षा के विज्ञापन में माइनस मार्किग का जिक्र नहीं था। लेकिन परीक्षा में माइनस मार्किंग की प्रक्रिया का पालन किया गया है। बताते चलें कि अभी कुछ दिनों पहले ही रिजस्ट निकलने के बाद प्रतियोगियों ने आरोप लगाया है कि 32 पोस्ट पर चयन किए गए कमोबेश सभी प्रतियोगी अंग्रेजी माध्यम से है। कई तो कापी जांचने वालों के नाते और रिश्तेदार भी है। मजेदार बात है कि किसी भी हिन्दी माध्यम छात्रों का एक पोस्ट पाना तो दूर..बल्कि वेटिंग लिस्ट में भी नाम नहीं होना बताया जा रहा है।
 
              32 पदों के लिए आयोजित सिविल जज प्रारंभिक परीक्षा छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से किया गया। भर्ती के लिए विज्ञापन भी जारी किया गया है। विज्ञापन में बताया कि प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन ऑनलाइन होगा।  बावजूद इसके कोरोना का काल में विभिन्न केंद्रों पर ऑफलाइन परीक्षा का आयोजन परम्परानुसार किया गया ।
 
                     आयोग की लापरवाही का आलम देखिए कि निर्देश में स्पष्ट है कि परीक्षा में माइनस मार्किंग होगी। प्रश्न का गलत उत्तर लगाने पर 1/3 नंबर माइनस हो जाएगा। जबकि परीक्षा की प्रतियोगिता के आवेदन से लेकर विज्ञापन में कहीं भी माइनस मार्किंग का उल्लेख नहीं है। अचानक परीक्षा हाल में माइनस मार्किंग का निर्देश पाते ही  प्रतियोगियों का सिर चकरा गया।
 
               प्रतियोगितोयं के अनुसार माइनस मार्किंग को लेकर प्रक्रिया में कहीं भी उल्लेख नहीं होने के बावजूद प्रश्न पत्र में  निर्देश शामिल होने से छात्र-छात्राओं में हड़कंप मच गया। माइनस मार्किंग आधारित परीक्षा में अधिकतम कट आप 50 से 55 परसेंट के बीच जाता है। जबकि माइनस मार्किंग नहीं होने से प्रतियोगी अधिक से अधिक प्रश्नों को अटेंड करते हैं।  समझ सकते हैं कि किस दुविधा में सिविल जज की प्रारंभिक परीक्षा में बैठे हजारों छात्र-छात्राओं ने आज परीक्षा दी होगी।
 
              विभिन्न केंद्रों पर प्रतियोगियों के सवाल पर बताया गया कि माइनस मार्किंग नहीं है। परीक्षा केन्द्र के जिम्मेदार अधिकारियों ने यह भी बताया कि प्रश्न पत्र के निर्देश में गलती से प्रिंट हुआ है। लेकिन ज्यादातर केन्द्रों में इस बात की जानकारी नहीं दी गयी। जिसके चलते छात्रों ने कम प्रश्न अटैंड किए। और उनका दावा है कि इसी कारण सलेक्शन नहीं हुआ है। परीक्षा 10 से 12 तक 2 घंटों के लिए आयोजित थी। नाराज प्रतियोगियों ने जानकारी दी कि प्रश्न पत्र के निर्देश में समय 10 से 1 बजे तक यानि 3 घंटा छपा हुआ था।
 
                   बहरहाल मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इसी के साथ एक बार फिर लोकसेवा आयोग की भूमिका को लेकर प्रतियोगी छात्रों में अविश्वास ने जन्म ले लिया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिम है कि पीएससी से लगातार इस प्रकार की लापरवाही से छात्रों का भविष्य अधर में पड़ गया है।

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