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कोयला व्यवसायी ने की आत्महत्या..सुसाइड नोट में लिखा…इसने किया आत्महत्या को मजबूर..पढ़ें क्यों लिखा भाजपा के दिग्गज नेता का नाम

कोयला कारोबारी ने आत्महत्या के पहले सुसाइड नोट में लिखा आरोपियों का नाम

बिलासपुर—तिफरा आर्य कालोनी निवासी सरगांव कोयला कारोबारी नरेन्द्र कौशिक ने बीती रात सल्फास खाकर आत्महत्या कर लिया है। जहर सेवन की जानकारी के बाद परिजनों ने नरेन्द्र कौशिक को आनन फानन में अपोलो में भर्तॉी किया। ईलाज के दौरान डाक्टरों ने नरेन्द्र कौशिक ने मृत घोषित कर दिया। सिम्स में नरेन्द्र कौशिक के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया है। जानकारी देते चलें कि नरेन्द्र कौशिक ने आत्महत्या से पहले जहर सेवन के लिए जिम्मेदार चार कोयला कारोबारियों का नाम लिखा है। इसके अलावा मदद नहीं मिलने की शिकायत को लेकर जिले के दिग्गज भाजपा नेता का भी नाम लिखा है।

 पिछले 6-7 महीनों से परेशान सरगांव कोयला व्यवसायी नरेन्द्र कौशिक ने बीती रात तिफरा मेैं आर्य़ कालोनी स्थित अपने घर में सल्फास के सेवन कर आत्महत्या कर लिया है। परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार नरेन्द्र कौशिक ने सल्फास खाकर अपनी जान दी है। आनन फानन में नरेन्द्र को अपोलो में भर्ती कराया गया। लेकिन डॉक्टरों की टीम ने मृत घोषित कर दिया । आज सुबह नरेन्द्र कौशिक के शव को पोस्टमार्टम के लिए  सिम्स लाया गया है।

  नरेन्द्र कौशिक ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा है। अपने अंतिम पत्र में नरेन्द्र कौशिक ने बताया है कि  कोयला व्यवसायी राजेश कोटवानी, देवेन्द्र उपपेजा ऊर्फ लकी, सूरज प्रधान और संजय भट्ट को अपना कोयला डीपो किराया पर दिया था। इसके अलावा लोन में उठायी गयी गाड़ियों को भी दिया। आरोपियों को शर्तों के अनुसार दो लोडर समेत ट्रेलर का किश्त चुकाना था। लेकिन राजेश कोटवानी और उसके साथियों ने लोडर समेत ट्रक और ट्रेलर का एक भी किश्त बैंक में जमा नहीं किया। और ना ही जीएसटी का भुगतान किया। बैंक और जीएसटी से भुगतान को लेकर लगातार दबाव था। लगातार कहने के बाद भी आरोपियों ने ना तो बैंक का लोन जमा किया और ना ही जीएसटी का भुगतान ही किया है।

         जानकारी देते चलें कि करीब पन्द्रह दिन पहले नरेन्द्र कौशिक ने कलेक्टर, पुलिस और आलाधिकारियों के सामने गुहार भी लगाया था कि राजेश कोटवानी ने उसके प्लाट के साथ दो लोडर समेत ट्रेलर और ट्रक पर कब्जा कर लिया है। मामले में एफआईआर भी दर्ज कराया। बावजूद इसके किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। और आरोपियों ने ना ही कर्ज का भुगतान किया। पुलिस और प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होने के कारण राजेश कोटवानी और उसके साथियों ने कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगे। ऐसी सूरत में उसके सामने आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा ।

सुसाइड नोट में नरेन्द्र कौशिक ने लिखा है कि राजेश कोटवानी संजय भट्टा, देवेन्द्र उपबेजा और सूरज के खिलाफ जिले के एक दिग्गज भाजपा नेता से भी मदद मांगा। लेकिन सहयोग नहीं मिला। जिसके कारण मजबूरी में आत्महत्या जैसा गलत कदम उठा रहा हूं।

 
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