जिला कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव—गुटबाजी के बीच दुमदार नेता की तलाश…पशोपेश में पीसीसी चीफ

BHASKAR MISHRA
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congress- panjaबिलासपुर–जिला कांग्रेस अध्यक्ष बिलासपुर का ताज किसके सिर पर होगा। फैसला तीन अक्टूबर को आना था। लेकिन बिलासपुर में घेराव के बाद पीसीसी अध्यक्ष पशोपेश में आ गए हैं। उन्होंने अपना पत्ता अभी तक नहीं खोला है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष की दौड़ में पहले पहल तो आधा दर्जन नेता शामिल थे। जानकारी मिल रही है कि अब इनकी संख्या सिमटकर दो तीन हो गयी है। इसके पहले पीसीसी अध्यक्ष किसी के एक नाम पर मुहर लगाते स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने छत्तीसगढ़ भवन में घेराव किया। घेराव की वजह वर्चस्व की राजनीति को बताया जा रहा है। जिसके कारण अभी तक जिला कांग्रेस अध्यक्ष के नाम पर सहमति नही बन पायी है। जानकारी मिल रही है कि पीसीसी अध्यक्ष ने ऐन वक्त पर पूर्व निर्धारित नाम का लिफाफा या तो बदल दिया है या दबाब में बदलने की तैयारी में है।

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                                बिलासपुर जिला कांग्रेस में गुटबाजी का बीज फिर से अंकुरित हो गये हैं। गुटबाजी का नजारा दो अक्टबूर को बिलासपुर प्रवास के दौरान पदयात्रा कार्यक्रम के बाद भूपेश बघेल ने खुली आंख से देखा। जिला कांग्रेस अध्यक्ष दावेदारों के अलावा समर्थकों ने छत्तीसगढ़ भवन में पीसीसी अध्यक्ष का घेराव किया। सभी ने अपने अपने नाम की महिमा को सामने रखा। पीसीसी चीफ को भी समझने में देर नहीं लगी कि जिला कांग्रेस बिलासपुर के नेता चाहते क्या हैं…और इसके पीछे कौन है…।

               बंद कमरे में पीसीसी चीफ के घेराव के बाद कुछ जानकारी बाहर भी आयी। कई लोगों ने बताया कि कांग्रेस में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इस प्रकार की गतिविधियों से समझने में आसानी होती है कि चुनाव सिर पर है। अन्यथा साढ़े चार साल तक कांग्रेस भवन और नेताओं के स्वागत में गिनती के ही कांग्रेसी नजर आते हैं।

                        छत्तीसगढ़ भवन के बंद कमरे में घेराव के बाद ज्यादातर नेताओं ने मुंह नहीं खोला। कुछ कांग्रेसियों ने इशारे ही इशारे में बहुत कुछ कह दिया। एक दर्जन से अधिक पुराने नेताओं की मानें तो जिले में संगठन चुनाव औपचारिक बनकर रह गया। दो चार बूथ को छोड़ दें तो मनोनित सदस्यों को संगठन पर थोपा गया है। यदि किसी दुमदार नेता को जिला कांग्रेस की कमान दे दी जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।   IMG20171002164846

                          कांग्रेस नेताओं के बीच निकली बातों पर गौर करें तो पीसीसी चीफ को बिलासपुर कांग्रेस नेताओं की एक एक गतिविधियों की जानकारी है। उन्हें भी अहसास हो गया है कि बिलासपुर को दुमदार नेता की ही जरूरत है। कांग्रेस संगठन के कई वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि गमले के नेताओं ने संगठन को खोखला कर दिया है। संकेत मिल रहा है कि इस बार भी गमले में उगे किसी नेता को जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलेगी। जबकि बिलासपुर जिला कांग्रेस को वर्तमान में स्टूडेन्ट पालिटिक्स और यूथ राजनीति से जुड़े नेताओं की सख्त जरूरत है…जिनकी जड़ें गहरी हो…। ऐसे नेताओं की बिलासपुर में कमी भी नहीं है। जिन्होने समय समय पर प्रशासन के खिलाफ और संगठन में अपनी छाप को मजबूती के साथ रखा है।

                                      एक वयोवृद्ध कांग्रेस नेता ने बताया कि यह भी सच है कि कांग्रेस के डीएनए में विरोध की राजनीति से चोली दामन का अटूट रिश्ता रहा है। इस बार भी जिला संगठन चुनाव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। यद्यपि कांग्रेसी इसे आंतरिक लोकतंत्र जामा पहनाकर पल्ला झाड़ेंगे। लेकिन सच्चाई है कि पहले तो लोग दावेवारी से बचते हैं…बाद में विरोध के लिए विरोध करते हैं। सैकड़ों की संख्या में दावेदारों के समर्थन में चेहरे खड़े कर दिये जाते हैं। जबकि सभी कांग्रेसी जानते है कि दामन किसी का साफ नहीं है। लेकिन अपने दाग को कमतर साबित कर खुद को पाक साफ साबित करने की कोशिश करते हैं। यह जानते हुए भी कि ऐसे दाग राजनीति में अच्छे साबित होते हैं।

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