सीयू में दीक्षांत समारोहःराज्यपाल ने कहा- दीक्षा का अंत नहीं प्रारंभ है..

Chief Editor
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बिलासपुर। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालयका नवम दीक्षांत समारोह बुधवार को विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि सुश्री अनुसुईया उइके राज्यपाल, छत्तीसगढ ने अपने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर वे अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से अध्ययनपूर्ण कर उपाधि एवं पदक प्राप्त कर रहे समस्त विद्यार्थियों, शोधार्थियों और उनके अभिभावकों को असीम शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि दीक्षांत, दीक्षा का अंत नहीं है बल्कि यह दीक्षा का प्रारंभ है। इसके बाद आपको जीवन के नए क्षेत्रों में प्रवेश करना है। वहां आपको जीवन के नए अनुभवों को सीखने का मौका मिलेगा।

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उन्होने कहा कि अध्ययन का काल हमारे जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय हमारे अंदर संस्कारों का निर्माण और क्षमताओं का विकास होता है। शिक्षा हमें संस्कारवान, सौम्य और संयमी बनाती है। हमें समाज में पद, प्रतिष्ठा और संपदा दिलाती है। ज्ञान वह अस्त्र है जो हमें जीवन में कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ने की राह दिखाता है। उन्होंने कहा कि जब हम अच्छे आचार-विचार और मानवीय संवेदना से कार्य करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है। माननीया राज्यपाल ने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के विकास कार्यों के लिए कुलपति प्रो. ओलाक कुमार चक्रवाल की सराहना की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. अशोक मोडक ने दीक्षांत समारोह में दीक्षित हो रहे नव-स्नातकों को हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की उपाधि को धारित कर आप सभी शिक्षा के उस शस्त्र और शास्त्र से सुसज्जित होंगे, जो न केवल आपके लिए बल्कि आपके अभिभावकों, समाज, राष्ट्र एवं इस विश्वविद्यालय को भी देश-विदेश में गौरवान्वित करेगा।
गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राज्य विश्वविद्यालय से केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन के अल्प समय में ही विश्वविद्यालय ने अपनी अलग पहचान बनायी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में 55 एम.ओ.यू. किये गये हैं। 53 पेटेंट प्राप्त हुए हैं। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो परसेंटाइल में विश्वविद्यालय के पांच प्रोफेसर शामिल हैं। नैक के लिए एक साफ्टवेअर का निर्माण किया गया है जिसे कोई अन्य विश्वविद्यालय भी उपयोग में ला सकते हैं। विश्वविद्यालय में महिमा गुरू शोधपीठ स्थापित की गई है। सत्र 2019-20 में सभी पाठ्यक्रमों में 2145 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए जबकि सत्र 2020-21 में 2390 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। विगत दो वर्षों में 300 से अधिक विद्यार्थियों ने नेट/गेट/स्लेट परीक्षा पास की है। 418 शोध-पत्र एवं 752 पुस्तक अध्याय प्रकाशित हुए हैं। 42 शोध परियोजनाओं के लिए 634 लाख का फंड प्राप्त हुआ है। अधोसंरचना के विकास के लिए सत्र 2019-20 में 102 करोड़ रूपये जबकि 2020-21 में 113 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में दो मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयत्र का कार्य अंतिम चरण में है।


विशिष्ट अतिथि श्री अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान, न्यास नई दिल्ली ने सभी उपाधिधारकों और मेडलधारकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आजीवन लगातार सीखने की प्रक्रिया बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा की इस प्रक्रिया में तीन सोपान थे-श्रवण, मनन और निदिध्यासन। श्रवण अर्थात सभी इन्द्रियों द्वारा ज्ञान को ग्रहण करना। मनन अर्थात जो श्रवण किया है उसे मानस के माध्यम से विचार चिंतन मंथन इत्यादि की प्रकिया। निदिध्यासन अर्थात श्रवण किए हुए ज्ञान को चिंतन-मंथन द्वारा अपने जीवन में उतारना अथवा उसे व्यवहारिक रूप देना। उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया के समक्ष यदि सबसे बड़ी चुनौति है, तो वह चरित्र का संकट है। देश और दुनिया की अधिकतर समस्याओं के मूल में चारित्रिक-संकट ही है। हमारी शिक्षा व्यवस्था को इसी आधारभूत लक्ष्य की ओर लौटने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने इस बात को भली-भांति स्वीकार किया है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास पर विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक के पाठ्यक्रम तैयार किए हैं।
अति विशिष्ट अतिथि डॉ. सुभाष सरकार राज्यमंत्री, शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि एक आशावादी दृष्टिकोण आपको समस्याओं के समाधान प्रदान करने में और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायता करता है। शिक्षा व्यक्ति को इस योग्य बनाती है कि वह अपने जीवन, समाज और देश की समस्याओं की पहचान कर उनका निदान करने में सक्षम बनता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय ने आपके व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन गुणों को अपने व्यक्तित्व का स्थायी अंग बना लेने में ही विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकार खुशी हो रही है कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के कार्य को संस्थान स्तर पर सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ गतिशीलता प्रदान करने हेतु विशेष कार्य समिति का गठन किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निकट भविष्य में विश्वविद्यालय की इस कार्यवाही का सुखद परिणाम धरातल पर परिलक्षित होगा।
विशिष्ट अतिथि अरूण कुमार साव सांसद बिलासपुर ने कहा कि मुझे प्रसन्नता हो रही है कि बहुप्रतिक्षित नवम दीक्षांत समारोह आयोजित हो रहा है। उन्होंने पदकधारकों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जो प्रतिज्ञा आपने ली है उसका अक्षरशः पालन करते हुए आप देश-दुनिया में अपना नाम रौशन करेंगे।
कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने अतिथियों को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गरिमा तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने किया। पुलिस बैण्ड ने राष्ट्रगान की प्रस्तुति दी। दीक्षांत समारोह में कार्यपरिषद के सदस्य, विद्यापरिषद के सदस्य, विभिन्न अध्ययनशालाओं के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अटल बिहार बाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो. ए.डी. एन. बाजपेयी, पं. सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो. वंशगोपाल सिंह, शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय, रायगढ़, सम्मानित जनप्रतिनिधि, नागरिक, शिक्षकवृंद, अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।

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