बिलासपुर—-क्या शेर है..पंखों से नहीं…उड़ान हौसलों से होती है। ऐसा अशोकनगर निवासी समीक्षा देवांगन ने कर दिखाया है। समीक्षा देवांगन ने विपरीत हालात में वह कर दिखाया है। जिसे लोग निश्चित रूप से नजीर के रूप में हमेशा याद रखेंगे। माध्यमिक शिक्षा मण्डल की मेरिट सूची में समीक्षा देवांगन ने 97.33 प्रतिशत अंक हासिल कर प्रदेश में सातवां स्थान हासिल किया है। वह भी ऐसे हालात में जिसे सुनकर लोगों को एकबारगी से विश्वास नहीं होगा। लेकिन समीक्षा ने लकवाग्रस्त पिता की बीमारी के बाद भी ना केवल हौंसला बनाकर रखा। बल्कि मेरिट सूची में सातवां स्थान भी हासिल किया है।
चिंगराजपारा निवासी समीक्षा देवांगन ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 97.33 अंक हासिल कर प्रदेश में सातवां स्थान हासिल किया है। गुरूकुल विद्या मंदिर चिंगराजपारा की छात्रा समीक्षा देवांगन का पैतृक गांव ग्राम गुड़ी है। समीक्षा अशोक विहार फेस 2 अपने मामा घर परिवार के साथ रहती हैं।
समीक्षा को यह सफलता तमाम परेशानियों के बाद मिली है। जिसे सुनकर लोग एकबारगी से विश्वास भी नहीं करेंगे। बावजूद इसके समीक्षा ने टाप 10 में स्थान बनाकर हालात का बहाना बनने नहीं दिया। और दसवी की मेरिट सूची में सातवां स्थान हासिल किया। मार्च 2021 में समीक्षा के पिता सुरेश देवांगन को कोरोना हो गया। सुरेश कोरोना से तो ठीक हो गए..लेकिन पैरालिसिस अटैक हे जाल में फंस गए। काफी दवा दारू के बाद भी लकवा ठीक नहीं हुआ। और फिर आवाज भी चली गयी।
घर वालों ने पिता की बीमारी में पैसा पानी की तरह बहा। धीरे धीरे घर की आर्थिक स्थिति बिगड़़ती गयी। घर के हालात को देखकर समीक्षा टूटने लगी। इसी बीच मां आशा देवांगन ने सिलाई कढ़ाई कर घर संभाला। मां को मेहनत करते देख समीक्षा ने भी खुद को संभाला.. और अपने आप को पिता की कमजोरी का ताकत बना लिया।
समीक्षा और उसकी मां ने बताया कि रोजाना 7-8 घंटे की पढ़ाई करना शुरू कर दिया। पिता के सामने ही बैठकर बोर्ड परीक्षा की तैयारी शुरू की। पिता के सेवा के साथ आनलाइन पढ़ाई किया। कोचिंग के छात्र छात्राओं से लगातार सम्पर्क बनाकर रखा।
शनिवार को बोर्ड परीक्षा परिणाम जारी हुआ। और उसी समय समीक्षा ने मेरिट सूची में अपना नाम सातवें स्थान पर देखा। खबर सुनते ही पिता के आवाज से लाचार पिता के आंख से आसूं झरने लगे। माता ने बलैया लेना शुरू कर दिया।
समीक्षा की मां ने बताया उसकी बेटी होशियार है। घर की बड़ी होने के साथ ही अपनी जिम्मेदारियों को समझती है। विपरीत हालात में भी उसने अपने आप को विखरने नहीं दिया। दूसरी बेटी प्रांसी देवांगन सातवीं और सबसे छोटी बहन दूसरी कक्षा में पढ़ रही हैं।
पिता के हिम्मत बनूंगी
समीक्षा देवांगन ने बताया कि वह ईमानदारी पर विश्वास करती है। हालात कैसे भी हों लेकिन मेहनत से मुंह नहीं मोड़ेगी। उसके पिता भले ही अस्वस्थ्य हो..लेकिन इशारा से उन्होने हमेशा हौसला बढ़ाया। हमेशा मार्गदर्शन किया। पिता ने ही मुझे साहस दिया। वह अपने पिता का सहारा और मां की हिम्मत बनेगी। प्रशासनिक क्षेत्र में जाकर देश, समाज और परिवार की सेवा कस्र्ंगी।
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