फर्जीवाड़ा कर परसा कोल ब्लाक भूमि का हुआ अधिग्रहण..पर्यावरण नियम के खिलाफ..हाईकोर्ट से अडानी एण्ड राज्स्थान विद्युत मण्डल को नोटिस

BHASKAR MISHRA
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 बिलासपुर—- हाईकोर्ट ने आदिवासियों की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए परसा कोल ब्लॉक भूमि अधिग्रहण पर नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार भी तलब किया है। बताते चलें कि परसा कोल ब्लाक उत्खनन का अधिकार राजस्थान विद्युत मण्डल और अडानी की संयुक्त मालिकाना कम्पनी को मिला है।
 
               उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस पी.आर रामचन्द्र मेनन और जस्टिस पी.पी. साहू की खण्डपीठ ने परसा कोल खदान प्रभावित मंगल साय , ठाकुर राम , मोतीराम , आनंद राम , पानिक राम समेत  अन्य की याचिका पर केन्द्र और राज्य सरकार , राजस्थान विद्युत मण्डल और अडानी के स्वामित्व वाली कंपनियों को नोटिस जारी किया है ।
 
                   हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका में आदिवासी समाज के लोगों ने कहा है कि कोल क्षेत्र और विकास अधिनियम 1957 का उपयोग किसी राज्य की सरकारी कंपनी और विशेष कर निजी कंपनी के हित में नहीं किया जा सकता है। अधिनियम के अनुसार किसी राज्य सरकार और निजी कंपनी के हित में जमीन अधिग्रहण नहीं किया गया है ।
 
     जानकारी देते चलें कि यह अधिनियम केवल केन्द्र सरकार की कपनियों कोल इंडिया समेत अन्य के उपयोग में किया जाता रहा है । याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और संदीप दुबे ने हाईकोर्ट को बताया कि अधिनियम में कोल धारित भूमि अधिग्रहण के लिये जो प्रक्रिया अपनायी गयी है। वह अधिनियम का उल्लंघन करता है।
 
                सुदीप और संदीप ने बताया कि अधिनियम की धारा 8 के तहत आपत्तियों का उचित निराकरण नहीं हुआ है । पूरा क्षेत्र में घनी जंगलों वाला और हाथी प्रभावित  है। इसमें खनन की अनुमति देने से मानव और हाथियों में झगड़ा निश्चित है।
 
            याचिका में बताया गया है कि कोयला के लिये भूमि अधिग्रहण करते समय नये भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत सामाजिक प्रभाव अध्ययन और ग्राम सभा से अनुमति लिया जाना उचित नहीं समझा गया है। दोनों अधिवक्ताओं ने कोर्ट को जानकारी में लाया कि समय – समय पर क्षेत्र के प्रभावित लोगों ने खासकर आदिवासियों ने भूमि अधिग्रहण के समय अपनी आपत्ति को जाहिर किया है। बावजूद इसके  आपत्तियों को दरकिनार किया गया। 
 
                 बताते चलें कि परसा कोल ब्लॉक से सटे इलाके में राजस्थान विद्युत मण्डल- अडानी कंपनी ने पीईकेबी खदान के लिए भूमि अधिग्रहण 2011 में किया है।  वकीलों ने बताया कि तात्कालीन समय केन्द्र सरकार ने कोल धारित क्षेत्र अधिनियम 1957 के उपयोग की अनुमति नहीं दी थी। अधिग्रहण भूमिअधिग्रहण कानून 1894 के तहत हुआ था । इस कारण अब यह अधिग्रहण भूमिअधिग्रहण कानून 2013 के प्रावधानों के अन्तर्गत ही प्रस्तावित हो सकता है ।
 
                 नये कानून में प्रभावित व्यक्तियों की हितों की रक्षा करने के लिये कई प्रावधान हैं। कोल धारित क्षेत्र अधिनियम 1957 में नहीं है । महत्वपूर्ण है कि एनजीटी ने पीईकेबी खदान की वन अनुमति 2014 में रद्द कर दिया था। वर्तमान में केवल एक स्टे आर्डर के तहत् उक्त खदान संचालित है । अन्यथा क्षेत्र में हसदेव नदी का जल ग्रहण क्षेत्र पड़ने के कारण क्षेत्र खनन के लिएउपयुक्त नहीं है।
 
                सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकरण में भूमि अधिग्रहण को लेकर फर्जी ग्राम सभा दस्तावेज तैयार करने की शिकायत छत्तीसगढ़ सरकार और राज्यपाल से की जा चुकी है।

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