बिलासपुर— ट्रिब्यूनल कोर्ट में जिला सहकारी बैंक मुन्नालाल रजवाडे की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने निर्णय में बताया कि संचालक बोर्ड 20 फरवरी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं ले सकता हैं जिससे किसानों और निवेशकों का हित प्रभावित हो सकता है। कोर्ट के इस फैसले से मुन्नालाल और संचालक मण्डल को गहरा झटका लगा है। मालूम हो कि पंजीयक कोर्ट में सीईओ अभिषेक तिवारी की याचिका पर 20 फरवरी को सुनवाई होने वाली है।
जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक संचालक बोर्ड को ट्रिब्यूनल कोर्ट से झटका लगा है। ट्रिब्यूनल कोर्ट ने मुन्नालाल रजवाड़े की याचिका पर 20 फरवरी तक ऐसे आदेश देने पर रोक लगा दिया है जिससे किसानों और निेवेशकों के हित प्रभावित होता है।
मालूम हो कि पदभार लेने के बाद जिला केन्द्रीय बैंक संचालक बोर्ड अध्यक्ष मुन्नालाल रजवाड़े ने पहली ही बैठक में सीईओ अभिषेक तिवारी के खिलाफ एकतरफा रीलिविंग आदेश जारी कर दिया। जबकि बैठक के 14 सूत्रीय एजेन्डे में अभिषेक तिवारी को हटाए जाने का मुद्दा शामिल किया गया। बावजूद इसके 15 बिन्दू को बैठक के दौरान जोड़ा गया। बताया जा रहा है यह निर्णय संचालक मण्डल के कुछ सदस्यों के दबाव में लिया गया। इसके बाद एक तरफा निर्णय लेते हुए अभिषेक तिवारी को संचालक मण्डल ने बिना किसी पूर्व सूचना को अभिषेक तिवारी को रिलीविंग आदेश थमा दिया। इसके अलावा बोर्ड ने वर्मा को नया सीईओ भी नियुक्त कर दिया।
संचालक बोर्ड के फैसले के खिलाफ सीईओ अभिषेक तिवारी ने पंजीयक कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवई 20 फरवरी तक टाल दिया। साथ ही संचालक बोर्ड के आदेश को भी निरस्त कर दिया। पंजीयक कोर्ट ने नए सीईओ की नियुक्ति आदेश को भी निरस्त कर दिया।
अभिषेक तिवारी की याचिका के खिलाफ संचालक बोर्ड के अध्यक्ष मुन्नालाल ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। अभिषेक तिवारी की याचिका को निरस्त कर पद से हटाए जाने की मांग की। इसके पहले मुन्नालाल ने विकास गुरूदीवान को नया सीईओ बनाने का भी आदेश दे दिया। गुरूदीवान को सीईओ बनाए जाने के आदेश के खिलाफ बैंक कर्मचारियों ने अध्यक्ष का घेराव किया। आखिर में मुन्नालाल को गुरूदीवान के लिए दिए गए आदेश को वापस लेना पड़ा।
इधर पंजीयक कोर्ट में अभिषेक तिवारी की याचिका के खिलाफ ट्रिब्यूनल कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक 20 फरवरी की सुनवाई पूरी नहीं होती है। संचालक मण्डल स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकता है। इस दौरान संचालक मण्डल बैंक से जुड़े किसानों और निवेशकों के हितो को प्रभावित करने वाले आदेश भी जारी नहीं कर सकता है। फैसले के बाद कोर्ट ने मुन्नालाल रजवाडे की याचिका को निरस्त कर दिया।