DAV में 41 बच्चों के भविष्य से खिलवाड़…प्रबंधन पर उठी उंगलियां..कांग्रेस ने बनाया मुद्दा..ऊपर तक पहुंची शिकायत

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— डीएवी स्कूल प्रशासन के तुर्रमशाहों ने 41 बच्चों की जीवन से खिलवाड़ किया है। 42 में से 41 बच्चों को सीधे सीधे फेल होने का मार्कशीट थमा दिया है। स्कूल प्रबंधन की तानाशाही कहें या लापरवाही लेकिन अभिभावकों में भंयकर आक्रोश है। नाराज अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के साथ हम लोग भी सदमे में हैं। स्कूल के विद्यार्थी और अभिभावकों ने अन्याय के खिलाफ शैलेश पांडे से मदद की गुहार लगायी। जानकारी के अनुसार शैलेश पांडे ने मंत्रालय और शासन के आला अधिकारियों से सम्पर्क के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है ।

             
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                               देश प्रदेश में डीएव्ही को गुणवत्तामूलक स्कूल के रूप में देखा जाता है। लेकिन लोगों को आश्चर्य तब हुआ जब स्कूल प्रबंधन ने 41 में से सभी 41 बच्चों को सीधे सीधे फेल कर दिया है। डीएव्ही प्रबंधन की तुर्रमशाही से ना केवल बच्चे बल्कि अभिभावक भी सदमें हैं। उन्हें कुछ नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर एक साथ सभी बच्चों का फेल होना कैसे संभव है। जबकि बच्चों का दावा है कि डीविजन का दावा तो नहीं करते लेकिन वे लोग फेल नहीं है।लेकिन प्रबंधन ने बच्चों के दावों और अभिभावकों के तर्क को सुनने से इंकार कर दिया है।
                             जब न्याय का दरवाजा कहीं खुलता नहीं दिखाई दिया तो बच्चों के साथ अभिभावकों ने कांग्रेस नेता शैलेश पाण्डेय से संपर्क कर न्याय दिलाने की मांग की है। शैलेश पाण्डेय ने बच्चों के रिजल्ट को सदमा देने वाला बताया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश पाण्डेय ने बताया कि डीएवी स्कूल प्रशासन गुणवत्ता मूलक शिक्षा देने के नाम से देश में जाना जाता है। लेकिन रिजल्ट देखने के बाद पूरा विश्वास हो गया कि  डीएव्ही प्रबंधन के सारे दावे ढोंग हैं। मामला सबके सामने है।
                   शैलेश पाण्डेय ने पत्रकारों को बताया कि कोटा स्थित गोबरीपाट में डीएव्ही स्कूल में कुल 42 बच्चे हैं । इनमें से 41 बच्चों को परीक्षा में सीधे सीधे फेल कर दिया गया है। विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के अनुसार स्कूल में कोई भी शिक्षक कभी भी पढ़ाने नहीं आया।  स्कूल में विषयवार शिक्षकों का भारी टोंटा है। बल्कि शिक्षकों की नियुक्ति ही नहींं की गयी है।
            बच्चों ने शैलेन्द्र पाण्डेय को बताया कि शिक्षकों की कमी को लेकर कई बार प्राचार्य को  जानकारी दी गयी। लेकिन उन्होने परेशानोयं को अनसुना कर दिया। छात्रों ने पाण्डेय को यह भी बताया कि परीक्षा के पहले तक कोर्स को पूरा ही नहीं किया गया। बावजूद इसके बहुत अच्छा तो नहीं फिर भी पेपर अच्छा गया। लेकिन परिणाम भविष्य को अंधकार में झोंकने वाला साबित हो गया है।
                  छात्रों और अभिभावकों की परेशानी सुनने और लिखित शिकायत के बाद पाण्डेय ने आश्वासन दिया कि बच्चों के भविष्य से खिलवाडं नहीं होने दिया जाएगा। शैलेश पाण्डेय ने बताया कि  हमने मामले में शासन के आलाधिकारियों और शिक्षा विभाग से शिकायत की है । सरकार को इस संबंध में तत्काल निर्णय लेकर डीएवी स्कूल प्रबंधन और स्कूल के सभी शिक्षकों और प्राचार्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
                              शैलेन्द्र ने बताया कि एक तरफ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री  विकास यात्रा की डफली बजा रहे हैं। बच्चों के साथ अन्याय इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की स्कूली शिक्षा में सरकार का किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। ऐसे में उच्च शिक्षा और दूसरे अन्य बुनियादी सुविधाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। समझने वाली बात है कि यदि इसे ही विकास कहते हैं तो प्रदेश की जनता तोहफा देने के लिए तैयार बैठी है।
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