भक्तों ने लिया श्रीमद्भगवत कथा का आनन्द.. अजामिल और हिरण्यकश्यप की कथा में डूबे लोग ..बताया..भगवान ने कैसे किया भक्तों का उद्धार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— क़िलावार्ड जूना बिलासपुर में 30 दिसम्बर को पाठक परिवार के सौजन्य से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। व्यास पीठ से भगवताचार्च देवी प्रसाद द्वेदी ने श्रोताओं को तीसरे दिन अजामिल की भगवान प्राप्ति और भगवान नृसिंम्ह के अवतार का प्रसंग पेश किया। 
 
         जूना बिलासपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन भगवताचार्च के मुख से श्रोताओं ने अजामिल की भगवान के प्रति आस्था और भगवान नृसिंह कथा का आनन्द लिया। द्विवेदी ने कहा कि मनुष्य कितना भी बड़ा पापी हो ,यदि अंतिम समय मे भगवान का नाम जपता रहे तो उसका कल्याण निश्चित है। क्योंकि भगवान विष्णु अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं।
 
           भगवताचार्च ने बताया कि अजामिल ब्राम्हण होते हुए भी पदभ्रष्ट हो गया। हमेशा पाप किया। अंत समय मे अपने छोटे पुत् नारायण का नाम लेकर मोक्ष को प्राप्त किया। द्वेदी ने श्रोताओं को भगवान नृसिंम्ह के अवतार की कथा सुनाया। उन्होने कहा कि हिरण्य कश्यप एक प्रतापी और अति दुष्टराजा था। भाई को मारने के लिए भगवान वराह अवतार लिए।  बलि के लिए भगवान ने वामन अवतार लिया। हिरण्य कश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। उसके ठीक विपरीत हिरण्य कश्यप था। जिसने अपनी तपस्या से ब्रम्हा से वरदान प्राप्त किया। जो व्यवहारिक में असम्भव लगता था और वरदान के कारण हिरण्य कश्यप अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा। अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से रोका। अंत में भक्त वत्सल भगवान विष्णु ने नृसिंम्ह अवतार लेकर हिरण्य कश्यप का उद्धार किया।
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