शिक्षाकर्मी क्यों हुए अपात्र…शासन ने ऐसा क्या किया…कि गुरूजी लोगों को लगा अपमान

BHASKAR MISHRA
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mantralay_rprबिलासपुर– राज्य शासन के खेल प्रतियोगिताओं में शिक्षाकर्मी भाग नहीं ले सकते हैं। युवा कल्याण विभाग ने एक आदेश जारी कर शिक्षाकर्मियों और निगम मंडल कर्मचारियों को सिविल सर्विसेज खेल प्रतियोगिता के लिए अपात्र कर दिया है। फरमान जारी होने के बाद शिक्षाकर्मियों में नाराजगी है। संचालकों ने कहना शुरू कर दिया है कि अच्छा होता कि शासन अपने आदेश में शिक्षाकर्मियों का जिक्र ही नहीं करता। कम से कम अपमान तो महसूस नहीं करते।

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                  शिक्षक मोर्चा संगठन के नेता अमित नामदेव ने बताया कि युवा खेल मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि शिक्षाकर्मी सिविल सर्विज खेल गतिविधियों से दूर रहेंगे। प्रश्न उठता है कि इतना भेदभाव क्यों….। क्या शिक्षाकर्मी शासन के कर्मचारी नहीं है। आदेश का जिक्र करते हुए अमित नामदेव ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन खेल एवं कल्याण विभाग साल में राज्य के कर्मचारी खिलाड़ियों के लिए सिविल सर्विसेज खेल प्रतियोगिता का आयोजन करता है। प्रतियोगिता में हाकी,व्हालीबाल,बास्केटबाल,कबड्डी,फुटबाल,शतरंंज,खो समेत विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होता है।

प्रतियोगिता में विभिन्न विभागों के कर्मचारी व्यक्तिगत और सामुहिक रूप से शामिल होते हैं। इस बार भी खेल विभाग ने राज्य कर्मचारियों के लिए सिविल सर्विसेज खेल प्रतियोगिता आयोजन का एलान कर दिया है। लेकिन शिक्षाकर्मियों को खेल से दूर रखने को कहा गया है। अमित ने बताया कि प्रतियोगिता में शामिल चयनित खिलाड़ियों को राज्यस्तर पर प्रशिक्षण शिविर के दौरान राशि दी जाती है। शासन आवंटित राशि को सीधे खिलाड़ियों के खाते में जमा करेगा। राष्ट्रीय स्तर पर चयनित खिलाड़ियों को भी भुगतान किया जाएगा। इस दौरान खिलाड़ियों को शासन का कर्तव्य मानते हुए विशेष अवकाश की भी सुविधा होगी।

                शिक्षाकर्मी संचालक ने बताया कि अखिल भारतीय स्तर पर पदक पाने वाले खिलाड़ियों को सरकार सम्मानित करेगी। लेकिन युवा कल्याण विभाग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शिक्षाकर्मी,पंचायतकर्मी,निगम मंडल के कर्मचारी सिविल सर्विसेज खेल प्रतिय़ोगिता से दूर रहेंगे। आदेश के बाद प्रदेश के एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी अपमानित महसूस कर रहे हैं। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि शिक्षाकर्मी खेल के लिए अपात्र होंगे।

ना तो न्यायसंगत और ना ही तर्कसंगत

                    अमित नामदेव ने बताया कि शिक्षाकर्मी पिछले तीस साल से देश और प्रदेश के लिए होनहारों को तराश रहे हैं। लेकिन शासन ने शिक्षाकर्मियों को कभी भी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं दिया। जबकि शिक्षाकर्मी स्कूल के हेडमास्टर से लेकर प्राचार्य तक हैं। बावजूद इसके शिक्षाकर्मियों को कदम कदम पर अपमानित किया जाता है। एक बार फिर युवा एवं खेल कल्याण विभाग के आदेश से अपमानित होना पड़ा है। प्रश्न उठता है कि क्या शिक्षाकर्मी शतरंज,कबड्डी,खो,फुटबाल का प्लेयर नहीं हो सकता । जबकि वह स्कूलों के बच्चों को कोच करता है। लेकिन खेल प्रतियोगिताओं से दूर रखा जाता है। शासन की सोच पर आश्चर्य होता है कि प्रतिभा तराशने वालों को ही अपात्र बना दिया है।

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