कोरोना की पहली-दूसरी लहर के सबक याद नही…? क्या एकमुश्त संक्रमण के मामले सामने आने के बाद स्कूलों पर पड़ेगी नज़र..?

Chief Editor
5 Min Read

बिलासपुर । कोरोना एक बार फ़िर से सुर्ख़ियों में है। छत्तीसगढ़ और बिलासपुर ज़िले में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। बिलासपुर में दो दिन के भीतर संक्रमण के मामले दोगुने होने की भी ख़बर है। ज़िसे लेक़र चिंता बढ़ती जा रही है। लेकिन इसके बीच लापरवाहियां भी नज़र आ रहीं हैं और बचाव के उपाय को लेकर भी गंभीरता नज़र नहीं आ रही है। ज़िससे लगता है कि कोरोना की पहली औऱ दूसरी लहर के सबक़ किसी को याद नहीं हैं।  एक गंभीर मामला यह भी नज़र आता है कि स्कूलों में बच्चे रोज़ इकट्ठे हो रहे हैं। इन दिनों उनकी परीक्षा भी चल रही है। समझना आसान है कि छोटे बच्चों के बीच से कभी भी एकमुश्त मामले सामने आ सकते हैं। लगता है कि व्यवस्था के ज़िम्मेदार लोग इस वक़्त का ही इंतज़ार कर रहे हैं।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

कोरोना अब एक बार फ़िर से अख़बारों में पहले पन्ने की पहली ख़बर के रूप में अपनी ज़गह बनाता ज़ा रहा है। ब़ीत रहे साल के आख़िरी दिनों में ख़ब़र आ रही है कि छत्तीसगढ़ में एक दिन में सौ से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज़ किए गए गए हैं। बिलासपुर में भी बुधवार को एक दिन में 17 लोग संक्रमित मिले हैं। तीन दिन के भीतर संक्रमितों की संख़्या सात – आठ से बढ़कर सत्त्रह  तक़ पहुंच गई है। जानकारों के मुताबिक यह संख्य़ा उस स्थिति में सामने आ रही है, जब टेस्टिंग की संख़्या बहुत अधिक नहीं है। जबकि बारिश – पानी और ठंड के इस मौसम में बड़ी संख़्या में सर्दी – ख़ाँसी – बुख़ार से पीड़ित लोगों की गिनती भी अधिक नज़र आ रही है।

हालांकि यह डरने या भयभीत होने की बात नहीं है। लेकिन मामले को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। दूसरे देशों में संक्रमण की रफ़तार को देखते हुए अपने आस-पास के माहौल को गंभीर माना जा रहा है। जिस तरह पूर्व मंत्री और पुलिस के आला अफ़सर के साथ ही परिवार के लोगों के भी संक्रमित होने की ख़ब़र आई है, उससे एहतियातन यह मान लेने में कोई गुरेज़ नहीं है कि एक बार फ़िर से सावधान हो ज़ाने का इशारा मिल रहा है। अब देखना यह है कि हाल के दिनों के पिछले अनुभव को देख़ते हुए हम कितना बचाव कर पाते हैं।

कम से कम बिलासपुर में अब तक के हालात को देख़कर तो ऐसा नहीं लग रहा है कि कोरोना की पिछली लहर की सब़क याद है। सार्वज़निक स्थानों पर तो बिना मॉस्क के लोग धड़ल्ले से आना – जाना कर रहे हैं।बाजारों में भी प्रोटोकॉल का पालन करते लोग दिख़ाई नहीं देते। सबसे चिंताज़नक स्थिति स्कूलों की नज़र आ रही है। जहाँ इन दिनों बच्चे सामान्य ढ़ंग से इकट्ठे हो रहे हैं। सरक़ारी स्कूलों में तो इन दिनों टेस्ट चल रहा है। किसी भी स्कूल में ज़ाकर देख़ा ज़ा सकता है कि बच्चे किस तरह एक ही कमरे में बिना दूरी बनाए बैंठतें हैं। बहुत से बच्चे सर्दी – खाँसी से पीड़ित भी मिल जाएंगे। हो सकता है कि मौसम की वज़ह से ऐसा हो। लेकिन लक्षण को देखते हुए टेस्टिंग के ज़रिए यह पता लगाने की भी कोशिश ज़रूरी समझी ज़ा रही है कि कहीं उनके बीच भी संक्रमण तो नहीं फैल सकता है।

बच्चों के बीच मॉस्क को सुनिश्चित करना भी कठिन है। हाल के दिनों में ज़ब़ छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और देश के दूसरे स्थानों के स्कूलों में बच्चों के संक्रमित होने की ख़बरे आ चुकीं हैं, तब तो इन बच्चों की टेस्टिंग भी ज़रूरी समझी ज़ा रही है। ऐसा नहीं है कि स्कूल फ़िर से बंद कर दिए जाएँ। ( हालांकि देश की राज़ाधानी दिल्ली में स्कूल बंद करने की ख़बर आ चुकी है।) लेकिन यहां कम से कम बच्चों को निश्चित दूरी पर बिठाने का इंतज़ाम तो किया ही जा सकता है। शासन-प्रशासन और शिक्षा विभाग की निश्चिंतता से लगता है कि एक बार फ़िर ऐसी स्थिति का इंतज़ार किया ज़ा रहा है , जिससे एकमुश्त बड़ी संख्यां में संक्रमण के मामले सामने आएं…। ख़्याल रखने की बात यह भी है कि बच्चों को अब तक टीके नहीं लगे हैं…।    

close