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सुप्रीम कोर्ट में हसदेव अरण्य की गूंज…अधिवक्ता सुदीप और प्रशांत भूषण ने बताया…नो-गो एरिया,फिर अनुमति क्यों…काटे जाएंगे चार लाख से अधिक पेड़

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र,राज्य सरकार समेत अ़डानी कम्पनी को दिया नोटिस

नई दिल्ली—मंगलवार को हसदेव अरण्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुदीप श्रीवास्तव की याचिक पर सुनवाई हुई। सुदीप श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार,राजस्थान सरकार ,विद्युत उत्पादन निगम और अडानी  समूह की दो कंपनियों  को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भूयान की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने इसके अलावा परसा कॉल ब्लॉक में खनन प्रारंभ नही करने की आवेदन पर भी नोटिस जारी किया। जिसमें बताया गया कि पहले से चालू खदान पी.ए. के उत्पादन से राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की वार्षिक आवश्यकता को पूरा किया जा रहा है। इसलिए नए खदान को खोलने की आवश्यकता नहीं है।
नो गो एरिया फिर खदान की अनुमति
जानकारी देते चलें कि हाल ही में  नई परसा कोयला खदान को खोलने के सरकारी प्रयास के खिलाफ हसदेव क्षेत्र केआदिवासियों में भंयकर आक्रोश  है। आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन को दबाने पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया था। मामले को लेकर छत्तीसगढ़ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया। याचिकाकर्ता की तरफ मशहूर अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने खंडपीठ को बताया कि इस क्षेत्र को केंद्र सरकार ने ही नो-गो क्षेत्र घोषित किया था। बाद में केंद्र ने ही क्षेत्र को खनन के लिए निश्चित क्षेत्र इन वायलेट भी घोषित किया। बावजूद इसके राजस्थान विद्युत उत्पादन और अडानी समूह के खनन के लिए यहां खदानें आवंटित की गई है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने भी क्षेत्र को खनन मुक्त रखने की सिफारिश की है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार ने पीईकेबी खदान के चरण दो और परसा कोयला खदान की अनुमति दी है। इसके लिए चार लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे।
नए खदान की जरूरत नहीं
सुनवाई के दौरान राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नादकर्णी और अडानी समूह की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका के औचित्य पर सवाल उठाया। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका और आवेदन नोटिस जारी किया। नोटिस में बताया गया कि पीईकेबी खदान से कोयले की पूरी सप्लाई होने के बाद भी नई खदान बिना किसी वजह के खोली जा रही है। उत्तर वीडियो को जवाब दाखिल करने के लिए  4 सप्ताह का समय दिया गया है। मामले की सुनवाई अगली तारीख को होगी।
सरकार का आदेश फैसले के खिलाफ
मालूम हो कि दायर याचिका के साथ अंबिकापुर के अधिवक्ता दिनेश सोनी की याचिका भी लंबित है। याचिका में राजस्थान और अडानी समूह के बीच अनुबंधों को गैरकानूनी बताया गया है। राजस्थान को अपने ही खदान का कोयला बाजार दर से महंगे में मिल रहा है।  पूरा मुनाफा अदानी समूह को मिल रहा है। जबकि सरकारी कंपनियों को कॉल ब्लॉक दिए जाने की पॉलिसी के उद्देश्यों के खिलाफ है।  साथ ही राजस्थान को कुल उत्पादन का लगभग 29 प्रतिशत कोयला अदानी समूह को मुफ्त में दिए जाने को भी बड़ा घोटाला बताया गया है। ऐसे ही अनुबंधों को सुप्रीम कोर्ट ने पहले कॉल ब्लॉक घोटाले वाले मुख्य मामले के समय निरस्त कर चुका है। बावजूद इसके वर्तमान प्रकरण में केंद्र सरकार ने राजस्थान और अडानी के बीच पुराने अनुबंध को चालू रखने की छूट दी है । जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और स्वयं सरकार के बनाए गए नए कानून के खिलाफ है।

 
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