दिल्ली।बीते कुछ महीनों में हुए घटनाक्रमों पर अगर गौर करें तो पाएंगे ईडी ने एक के बाद एक कई नामी-गिरामी लोगों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। ईडी ने इन छापेमारी में करोड़ों रुपये जब्त किये हैं। फिर चाहें बात पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ कार्रवाई की हो या झारखंड में खनन घोटाले में की गई कार्रवाई की। हर बार ईडी ने इतने रुपये जब्त किए कि नोटों को गिनने के लिए मशीनें मंगवानी पड़ीं। वहीं ईडी ने शनिवार को ही कोलकाता के एक व्यापारी के आवास पर छापा मारकर 17 करोड़ रुपये जब्त किए थे। इस बीच सामने आया है कि पिछले तीन महीनों के दौरान इस तरह की छापेमारी में ईडी ने 100 करोड़ से ज्यादा रुपये बरामद किए हैं। ऐसे में ये बड़ा सवाल है कि ईडी इन रुपयों को जब्त करने के बाद करती क्या है?
प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कोलकाता स्थित एक मोबाइल गेमिंग एप कंपनी के प्रमोटरों पर छापेमारी के बाद लगभग 17 करोड़ रुपये नकद जब्त किए थे। केंद्रीय जांच एजेंसी ने जब्त किए गए पैसों एक तस्वीर भी जारी की। इसमें 500 रुपये के साथ-साथ 2,000 और 200 रुपये के नोटों के बंडलों को एक बिस्तर पर एक साथ रखा हुआ दिखाया गया है। एजेंसी ने नोट गिनने की पांच मशीनें लगाने के साथ ही इस काम में बैंक कर्मचारियों को भी लगाया था। प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा था कि ‘ई-नगेट्स’ नाम के गेमिंग एप और इसके प्रमोटर की पहचान आमिर खान और अन्य के रूप में की गई है। वहीं, अब गेमिंग एप ऑपरेटर के कुछ राजनीतिक लिंक जांच के दायरे में हैं।
वहीं, ईडी ने 23 जुलाई को पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया था। ईडी का दावा है कि उसने मुखर्जी के आवासों से 49.80 करोड़ रुपये नकद, जेवरात और सोने की छड़ें बरामद की हैं। इसके अलावा एजेंसी को संपत्तियों और कंपनियों से संबंधित दस्तावेज भी मिले हैं। दोनों को धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में ईडी ने इतिहास की सबसे बड़ी जब्ती की थी। पार्थ की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के अपार्टमेंट से नकद बरामद नकदी को गिनने की कार्रवाई करीबन 24 घंटे चली थी। बैंक अधिकारी भी जब्त किए गए नकदी के पहाड़ को गिनते-गिनते थक गए थे।
वहीं, इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने झारखंड खनन घोटाले में कार्रवाई की थी। इस मामले में ईडी ने 20 करोड़ रुपये जब्त किए थे। इन बड़ी छापेमारियों के अलावा ईडी ने पिछले तीन महीनों में कई अन्य जगहों पर की गई छापेमारी में भी नकदी बरामद की है।
दरअसल, ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नकदी की जब्तीकरण की कार्रवाई करती है। यहां बता दें कि भले ही वित्तीय जांच एजेंसी के पास रुपयों को जब्त करने की अनुमति है, लेकिन वह हमेशा के लिए इन रुपयों को अपने पास नहीं रख सकते। प्रोटोकॉल के अनुसार, जब भी एजेंसी नकदी की वसूली करती है तो आरोपी को रुपयों का स्रोत बताने और समझाने का मौका दिया जाता है, अगर आरोपी के सबूतों से एजेंसी सहमत हो जाती है तब तो ठीक है वहीं अगर एजेंसी सहमत नहीं होती तो नकदी को बेहिसाब नकद और गलत तरीके से अर्जित धन के रूप में माना जाता है।
इसके बाद, ईडी भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बरामद रकम की गिनती करने के लिए बुलाती है। इस दौरान नोट गिनने की मशीन की मदद से नोटों की गिनती खत्म होने के बाद ईडी के अधिकारी बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार करते हैं। इसमें बरामद रकम की पूरी गिनती, नोटों की संख्या, किस मूल्य की कितनी नोट हैं इसका विवरण आदि शामिल है। इसके बाद गवाहों की उपस्थिति में इन नोटों को बक्से में सील करने के बाद भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में भेज दिया जाता है, जहां इसे प्रवर्तन निदेशालय के व्यक्तिगत जमा (पीडी) खाते के तहत जमा किया जाता है।
हालांकि, जब्त किए गए पैसे का इस्तेमाल प्रवर्तन निदेशालय, बैंक या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता है। एजेंसी एक अंतिम कुर्की आदेश तैयार करती है और जारी करती है। कुर्की की पुष्टि करने के लिए मामला अदालत के सामने जाता है। इसके बाद मुकदमा समाप्त होने तक पैसा बैंक में पड़ा रहता है। इसके बाद यदि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो नकद राशि केंद्र की संपत्ति बन जाती है और यदि आरोपी को अदालत द्वारा बरी कर दिया जाता है, तो नकद राशि वापस कर दी जाती है।