बड़े पिता ने तोड़ा विश्वास का रिश्ता..कूटरचना कर बेच दिया करोड़ों की जमीन..भटकने को मजबूर बेटी..दबाब बढ़ने पर सीमांकन से इंकार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— विनोवानगर निवासी एक महिला ने आरोप लगाया है कि उसके बड़े पिता ने उसके परिवार के साथ धोखा किया है। उन्होने पिता के गुजर जाने के बाद पाला पोसा लेकिन बाद में पीठ में खंजर घोपकर रिश्तों को छिन्न भिन्न कर दिया है। विश्वास में कोर कागज पर दस्तखत करवाकर उसकी करोड़ों की जमीन को बेच दिया है। आज वह दर दर भटकने को मजबूर है। लड़की ने यह भी बताया कि उसने आज तक कोर्ट कचहरी तहसील कलेक्टर कार्यालय कही गयी। लेकिन उसके बड़े पिता ने फर्जी दस्तखत और दस्तावेज तैयार जमीन को बेचकर विश्वास घात किया है। जमीन खरीदने वाले के साथ मिलकर उन्हें डर धमका रहा है। समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या करें। आआई भी डर गया है। उसने भी सीमांकन करने से इंकार कर दिया है।

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            साल के पहले ही दिन फर्जी दस्तावेज तैयार कर भतीजी की जमीन को बेचने का मामला सामने आया है। विनोवानगर निवासी मीच ग्लानी ने बताया कि उसके पिता का निधन बहुत पहले ही हो गया। उसके बड़े पिता गोवर्धन मोटवानी ने उन्हें पाला पोसा। शादी भी करवाया। हम लोग अपने बड़े पिता गोवर्धन को पिता से भी ज्यादा मानते है। लेकिन उन्होने हमारे साथ विश्वासघात किया है। 

बड़े पिता ने दिया धोखा

                मीचा ग्लानी ने बताया कि एक उनकी एक साझे की जमीन है। जमीन करोड़ो की है। जिसमें चार हिस्सेदार है। फरवरी 2021 को बड़े पिता गोवर्धन मोटवानी एक सरकारी अधिकारी के साथ घर आए। उन्होने बताया कि पुश्तैनी जमीन का नामांतरण करवाना है। तीन पन्ने की दस्तावेज पर दस्तखत कर दे। बड़े पिता के कहने पर सरकारी अधिकारी के सामने दस्तखत किया। बड़े पिता ने बताया कि सरकारी कर्मचारी के प्रयास से हमारी जमीन का नामांतरण जल्दी से हो जाएगा। लेकिन मन संदेह होने पर मैने दस्तखत किए गए कागज का बड़े पिता से फोटोकापी देने को भी कहा। लेकिन उन्होने फोटोकापी नहीं दिया।एक सप्ताह बाद पूछने पर उन्होने बताया कि जमीन बहुत पहले ही दादा जी ने बेच दिया है। तुम सभी लोग उनके नाम एक पावर ऑफ अटार्नी लिख दो। ताकी कोर्च कचहरी का चक्कर नहीं लगाना पड़े। और उन्होने फोटोकापी देने की वजाय उऩ्होने तीन ब्लैंक चेक मांगा। और बताया कि चूंकि जमीन बिक चुकी है। इसलिए रूपये नहीं मिलेंगे। तीन तीन लाख रूपए खाता में आँएंगे। हम उन रूपयों को जमीन मालिक को दे देंगे। ताकी दादा जी का नाम खराब नहीं हो। 

कहीं से नहीं मिल रहा सहयोग

          मीता ने बताया संदेह गहरा होने और इधर उधर से जानकारी के बाद ज्ञात हुआ कि उसके बड़े पिता धोखा दे रहे हैं। फिर उसने कमिश्नर, कलेक्टर, तहसील में आवेदन किया। लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। मामला अभी कोर्ट में है। थाना से भी कोई सहयोग नहीं है।

            इस दौरान गोवर्धन मोटवानी ने जमीन को चार लोगों के बीच में बंटवारा करवाया। एक हिस्सा उन्हें भी मिला। बड़े पिता ने अपनी और बुआ की जमीन को बेच दिया। सीमांकन भी करवा लिया। लेकिन चौहद्दी में उनकी जमीन को गायब कर दिया।

सीमांकन से इंकार

            मीता ने बताया कि जब उसने अपनी जमीन की चौहद्दी का हिसाब मांगा तो उन्होने डराया धमकाया। इसके बाद वह तहसीलदार से निवेदन और आवेदन कर अपनी जमीन की सीमांकन के लिए गुहार लगाई। जब आरआई अपनी टीम के साथ सीमांकन करने पहुंचा। तो जमीन खरीदने वाला व्यक्ति तीस चालिस लोगों के साथ मौके पर पहुंचा और सीमांकन नहीं होने दिया। इस दौरान बड़े पिता ने जमीन खरीदने वाले का ही साथ दिया। दबाव बढ़ने पर पहले वाले आरआई ने सीमांकन नहीं किया। दूसरे आरआई ने भी सीमांकन करने से इंकार कर दिया है। 

आत्महत्या की धमकी

           मीता ने कहा कि समझ में नहीं आ रहा है कि अब वह क्या करे। उसके पिता की अंतिम निशानी भी बड़े पिता ने बेच दिया है। उसने यह भी बताया कि जब वह खरीदी बिक्री की दस्तावेज निकलवाने गयी तो उसे दस्तावेज दखेकर झटका लगा। क्योंकि उसने तो अपने बड़े पिता के कहने पर सिर्फ तीन कागजों पर ही दस्तखत किए थे। लेकिन रजिस्टी कार्यालय से उसे पन्द्रह पन्ने का जो दस्तावेज मिला। उसके अनुसार उनसे जमीन बेच दिया है। जबकि वह आज तक ना तो रजिस्ट्री कार्यालय देखी है। और ना ही बड़े पिता को पावर आफ अटार्नी ही दिया है। उसने जमीन नहीं बेची है। खरीदी बिक्री पर उसका दस्तखत भी फर्जी है। उसे न्याय चाहिए। अन्यथा फांसी पर झूलकर आत्महत्या कर लेगी।

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