Marwahi Election:किस–किस की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है मरवाही चुनाव में..?

Chief Editor
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बिलासपुर।मरवाही विधानसभा सीट के उप चुनाव की रणभेरी बज चुकी है । चुनावी सरगर्मियां धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं । यह चुनाव छत्तीसगढ़ की सियासत के हिसाब से काफी अहम माना जा रहा है और इस चुनाव में कई प्रमुख लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है । मरवाही सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है।  यहां से 2001 के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी चार बार विधायक रहे और छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस सीट पर उनके ही परिवार का कब्जा रहा । उनके निधन पर के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है । जाहिर सी बात है कि प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी यह सीट छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से वापस छीनने  की कोशिश में है । कांग्रेस के लिए यह चुनाव इसलिए भी अहम है कि कांग्रेस को यह साबित करना है कि अजीत ज़ोगी के जाने के बाद अब उनकी पार्टी का कोई प्रभाव नहीं रहा । जोगी के गढ़ में चुनाव जीतकर ही कांग्रेस इसे साबित कर पाएगी । लिहाजा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी टीम ने पहले से ही मरवाही इलाके में अपनी ताकत झोंक दी है ।  सरकार की ओर से कई घोषणाएं की गई हैं ।

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साथ ही संगठन को भी सिस्टमैटिक तरीके से सक्रिय किया गया है । दूसरी तरफ अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी की प्रतिष्ठा इस चुनाव में लगी है । जो इस चुनाव के जरिए यह साबित करने में पूरी ताकत लगा रहे हैं कि अजीत जोगी की विरासत को आगे बढ़ाने में वह पूरी तरह से सक्षम है और जोगी का गढ़ पहले की तरह बरकरार रहेगा । मरवाही इलाक़े में जोगी परिवार का अपना नेटवर्क है और उनके संपर्क हैं । जिसके सहारे ज़ोगी परिवार इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की पूरी तैयारी कर रहा है।  

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इसी तरह भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव की चर्चा के साथ ही मरवाही इलाके में सक्रिय है।  पार्टी ने मरवाही चुनाव की कमान पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को सौंपी है । मरवाही चुनाव के जरिए बीजेपी भी यह संदेश देना चाह रही है कि पूरे देश की तरह छत्तीसगढ़ में भी भाजपा का ग्राफ बढ़ा है और सरकार में रहते हुए कांग्रेस को शिकस्त देकर वह मरवाही का चुनाव जीतना चाह रही है । छत्तीसगढ़ की तीन प्रमुख ताकतों की प्रतिष्ठा दांव पर लगने की वजह से मरवाही का चुनाव अभी से दिलचस्प नज़र आ रहा है । उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इसे लेकर कशमकस और बढ़ेगी।

जाति विवाद में फ़िर जोगी परिवार

मरवाही सीट का चुनाव सीट के चुनाव का जिक्र करते हुए जोगी परिवार की जाति के मामले का भी जिक्र जरूरी हो गया है । अजीत जोगी के मुख्यमंत्री रहते हुए उनकी जाति के मामले में विवाद शुरू हुआ था । जो उनके जीवन पर्यंत साथ रहा । लेकिन उनके जाने के बाद भी जाति का विवाद उनके परिवार के साथ जुड़ गया  है । ताजा मामला अजीत जोगी की बहू और अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी का है । जिनके नाम पर पिछले जुलाई में मुंगेली जिले से अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाया गया है।  इसे लेकर फिर से विवाद की स्थिति बन रही है । उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर आपत्तियां लगी है।  जिस पर जिला छानबीन समिति में सुनवाई भी शुरू हो गई है । इस पर क्या निर्णय आता है यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा । लेकिन मरवाही चुनाव के ठीक पहले इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या ऋचा जोगी को भी मरवाही से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जा सकता है…?

कोरोना संक्रमण का पता लगाने घर – घर दस्तक

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए प्रशासन ने अब नई पहल की है । जिसके तहत कोरोना सर्वे अभियान शुरू किया गया है । इस मुहिम के दौरान सरकारी टीम घर-घर जा रही है और कोरोना प्रभावित लोगों की पहचान की जा रही है ।  साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है । बिलासपुर जिले में भी इस अभियान की शुरुआत हुई है और जिला कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर की ओर से नागरिकों से सहयोग की अपील की गई है ।  यकीनन यदि सरकारी विभाग की यह टीम घर-घर तक पहुंचती है और सही जानकारी एकत्रित कर लोगों को संक्रमण से बचाव के उपाय के बारे में जागरूक कर पाती है तो यह अभियान लॉकडाउन से भी अधिक कामयाब हो सकता है । क्योंकि जिस तरह अब तक इस बीमारी का टीका नहीं मिल पाया है और इलाज की तो बात ही दूर है । ऐसी हालत में रोग से बचाव ही इसका उपचार माना जा रहा है । समय पर घर घर जाकर की जा रही मरीजों की पहचान भी इशकी रोकथाम में मददगार हो सकती है । लिहाजा सरकारी टीम को भी मुस्तैद रहने की जरूरत है और नागरिकों को भी इसमें बढ़-चढ़कर मदद करना चाहिए ।

फिर पटरी पर दौड़ेगी सारनाथ एक्सप्रेस

कोरोना संक्रमण  की शुरुआत के बाद से अब तक कई क्षेत्रों में स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है । यातायात के साधनों को लेकर भी यही समस्या है  । शुरुआती दौर में ही रेलगाड़ियों बंद कर दी थी गई थी और रेल यातायात की स्थिति अब तक सामान्य नहीं हो सकी है । जाहिर सी बात है कि इससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन जैसे – जैसे हालात सुधर रहे हैं स्थिति सामान्य करने की कोशिश भी की जा रही है  । इस सिलसिले में रेलवे बोर्ड ने हाल ही में 39 नई ट्रेनों के संचालन को मंजूरी दी । इससे छत्तीसगढ़ में भी कुछ गाड़ियों की शुरूआत हो रही है।  इसी कड़ी में 13 अक्टूबर से दुर्ग -छपरा दुर्ग -स्पेशल ट्रेन को रोज चलाए जाने की खबर आई है । इससे रेल यात्रियों को बड़ी सुविधा मिल सकेगी  । क्योंकि छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली प्रमुख गाड़ी सारनाथ एक्सप्रेस है । इस ट्रेन में सामान्य दिनों में बर्थ मिलना भी मुश्किल होता है । समझा जा सकता है कि इस ट्रेन के बंद होने से लोगों को कितनी दिक्कतें हो रही है । यह ट्रेन फिर शुरू होगी । जिससे लोगों की परेशानी कुछ हद तक दूर हो सकेगी।  रेल यात्रियों का मानना है कि इस तरह अन्य ट्रेनों को भी धीरे धीरे शुरू किया जाना चाहिए ।

भाजपा को मिला जवाबी मुद्दा

पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए कथित बलात्कार कांड को लेकर खबरें सुर्खियों में रही । राजनीतिक नज़रिए  से अलग-अलग स्तर पर इसका विरोध भी हुआ । बिलासपुर में भी कांग्रेस के लोगों ने मौन धरना दिया और घटना को लेकर योगी सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग की ।  कांग्रेसियों ने इस बात पर जोर दिया कि खुशहाल समाज में नारियों का अहम योगदान है । लेकिन भाजपा शासित राज्यों में इसका अपमान हो रहा है । लेकिन कांग्रेस की ओर से किए जा रहे इन प्रदर्शनों के बीच छत्तीसगढ़ के कोंडागांव इलाके में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म का मामला भी सुर्खियों में रहा ।  इस दुष्कर्म के बाद लड़की ने आत्महत्या कर ली।  बाद में पुलिस ने कब्र से लाश खोदकर निकाली और उस समय के टीआई को सस्पेंड भी कर दिया ।  सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की है कि मामला सामने आने के बाद पूरी तत्परता से कार्यवाही की गई है । लेकिन लगता है कि इस घटना के जरिए हाथरस के विरोध के बीच भाजपाइयों को एक जवाबी मुद्दा मिल गया है ।

लकड़ी की जगह गौकाष्ठ का इस्तेमाल

बिलासपुर नगर निगम ने मुक्तिधाम में गो काष्ठ यानी गोबर से बनी लकड़ी से अंतिम संस्कार किए जाने की व्यवस्था की है । इसके लिए मेयर रामशरण यादव ने अपने मद से गो काष्ठ मशीनों की खरीदी की है । ऐसी पांच मशीनों की खरीदी की गई है ,जो शहर के मुक्तिधाम में लगाई जा रहीं हैं । शहर के अंदर खुली डेयरियों और पशुपालकों के यहां रोजाना निकलने वाले गोबर को शासकीय दर पर खरीद कर इन मशीनों के जरिए वह काष्ठ तैयार किया जाएगा । जिसका उपयोग मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए होगा  । साथ ही आने वाले समय में लकड़ी की जगह इस काष्ठ का भी इस्तेमाल अन्य कामों में भी हो सकेगा ।  पर्यावरण की दृष्टि से इसे फायदेमंद माना जा रहा है । इससे लकड़ी की बचत हो सकेगी । साथ ही खर्च भी कम आएगा। लेकिन इस तरह की योजना को सार्थक ढंग से निरंतर चलाए जाने की भी जरूरत है।  जिससे यह केवल शुरुआती दौर में ही चर्चा में न रहे । बल्कि वास्तविक में इसका उपयोग होता रहे तो यह प्रयोग आने वाले समय में भी कारगर हो सकता है ।

दिया तले अँधेरा

लोग अपनी मांगों और ज़रूरतों  को पूरा करने की उम्मीद अपने जनप्रतिनिधि से करते हैं और स्वाभाविक रूप से यह माना जाता है कि जनप्रतिनिधि कम से कम अपने आसपास की चीजों का ध्यान कर लोगों की सुविधाओं के लिए पहल करेंगे । लेकिन कई बार “ दिया तले अंधेरा ”  जैसी स्थिति नजर आती है । कुछ ऐसा ही बेलतकरा  विधायक रजनीश  सिंह के इलाके में हुआ है । उनके अपने गांव पौंसरा में स्कूल के बच्चे साइंस टीचर की कमी से परेशान हैं ।  हाल ही में यह मुद्दा स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे जिला पंचायत के सभापति अंकित गौरहा के सामने बच्चों ने रखा ।  उनका कहना था कि वह स्कूल में साइंस पढ़ना चाहते हैं ।  लेकिन साइंस के शिक्षक नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरन आर्ट्स और कॉमर्स में एडमिशन लेना पड़ रहा है । विधायक के गांव की ऐसी स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक मानी जा सकती है । जहां साइंस टीचर जैसी मांग पूरी नहीं हो पा रही है । ऐसा नहीं कहा जा सकता कि गांव के लोगों ने इस दिशा में पहल न की हो और अपने एमएलए तक बात ना पहुंचाई हो  । लेकिन अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी है । जिला पंचायत के प्रतिनिधि उनकी यह शिकायत दूर कर पाते हैं या नहीं यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा । लेकिन यही स्थिति व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े करती है।।

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