कर्मचारी हड़ताल..दूसरे दिन भी नहीं खुला दफ्तर.. रोहित तिवारी ने कहा..दुर्भाग्य नहीं तो और क्या.. एक राज्य और तीन महंगाई भत्ता..वाह री सरकार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले प्रदेश के अन्य जिलों की तरह बिलासपुर स्थित नेहरू चौक पर दूसरे दिन भी सभी कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया इस दौरान पहले दिन की तरह जिले के सभी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा रहा। कहीं विभाग तो खुला कर्मचारी नहीं नजर आए। कहीं विभाग का ताला ही नही खुला। कमोबेश सभी संस्थाएं बन्द रही। हडताल में दिखाई दिए। दूसरे दिन बच्चे स्कूल ही नहीं गए।
         शासकीय लिपिक वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष  रोहित तिवारी ने कहा कि दूसरे दिन भी हड़ताल सफल रहा है। हम यदि सड़क पर आकर दुहाई दे रहे हैं तो इसके लिए केवल राज्य सरकार और उसके मंत्री जिम्मेदार हैं। दुर्भाग्य की बात है कि एक राज्य में तीन महंगाई भत्ता का प्रावधान है। रोहित तिवारी ने बताया कि फेडरेशन के प्रांतीय आहवान पर पांच दिवसीय निश्चित कालिन हड़ताल के दूसरे दिन शासकीय कार्यालयों में ताला बंदी की स्थिति रही। 
               छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी ने कहा कि राज्य के आम कर्मचारियो को 22 प्रतिशत भारत में सबसे कम महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। राज्य में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों  को 31 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के कर्मचारियो को 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता राज्य सरकार दे रही है। 
           महगाईं भत्ता को लेकर सरकार का रवैया दुर्भग्यपूर्ण है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी वर्ग के लिय 31 प्रतिशत के आदेेश के साथ उनको एरियर्स का भुगतान होता है। दूसरी तरफ राज्य के कर्मचारियों का एरियर्स नही देने की परंपरा बन गयी है। इस बात को लेकर सभी कर्मचारी वर्ग आक्रोश है।
               रोहित ने यह भी बताया कि हमें हड़ताल का शौक नहीं है। हड़ताल के लिए राज्य सरकार ने मजबूर किया है। आम जनता को हो रहि परेशानी के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। तिवारी ने बताया की यदि शीघ्र ही मंहगाई भत्ता, ग्रह भाड़ा भत्ता का आदेश ज़ारी नही हुआ तो निश्चित काल की हड़ताल का विस्तार किया जाएगा। सभी कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल के लिए मजबूर होंगे।
विधायकों को भारी भरकम वेतन वृद्धि क्यों
            रोहित तिवारी ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि कोष में रूपयों की कमी है। सवाल उठता है कि आखिर विधायकों केे वेतन में भारी भरकम बृद्धि के लिए रूपए कहां से आ रहे हैं। हमारी मांग जायज है। सिर्फ विधायक या जनप्रतिनिधि ही महंगाई के शिकार नहीं है। कर्मचारियों पर भी महंगाई की मार बराबर है। हम अन्याय हरगिज बर्दास्त नहीं करेंगे।



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