सात साल बाद भी सरकारी आयर्वेदिक कॉलेज को नहीं मिल सकी अपनी जमीन

Chief Editor
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बिलासपुर।जनता की सेवा में अनवरत सात वर्ष पूरा होने के बाद भी राज्य के दूसरा शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय बिलासपुर को उसकी आवश्यकता अनुसार भूखण्ड का आबंटन नहीं हो पाना अत्यंत दुःखद बात है और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति जो आज विश्व भर में लोकप्रिय होती जा रही है के साथ घोर उपेक्षा है।   छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ बिलासपुर के जिला अध्यक्ष व वरिष्ठ उप प्रांताध्यक्ष पी आर कौशिक और प्रांतीय सचिव चन्द्रशेखर पाण्डेय द्वारा संयुक्त रुप से प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी दी गई कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद राज्य के जनता और छात्र – छात्राओं को आयुर्वेद पध्दति की इलाज सुविधा और छात्रों को पढ़ाई की सुविधा मिल सके इस हेतु पहला शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय की स्थापना बिलासपुर में वर्ष 2014से की गई है, लेकिन सात वर्ष पूरा होने के बाद भूखण्ड बिलासपुर में उपलब्ध न होने के कारण कई उपलब्ध होने वाली सुविधाओं से और केन्द्रीय योजनाओं से आम जनता को वंचित होना पड़ रहा है।

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इसी तरह से संस्था में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को आवास सुविधा छात्र – छात्राओं को सर्व सुविधा युक्त छात्रावास और आम जनता को समुचित आयुर्वेद चिकित्सा से वंचित होना पड़ रहा है।     वर्तमान में यह महाविद्यालय नगरनिगम के आधिपत्य का स्कूल भवन के चंद कमरों में किराया में और चिकित्सालय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के सीमित कमरों में तथा कन्या और बालक छात्रावास किराये के भवन में संचालित है, किराये के भवन में संस्था संचालित होने के कारण कई असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है, तथा एक मोटी राशि शासन का व्यय हो रहा है।      संघ द्वारा जनहित में माननीय मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और जिला प्रशासन से यह मांग की गई है कि शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय बिलासपुर हेतु समुचित और योग्य स्थल पर भूखण्ड उपलब्ध कराया जावे

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