अनुभव 4.0 – छात्रों ने गुरुओं को दी भावनात्मक विदाई ,कला- संस्कृति- अनुशासन एवं योग का अनुभव लेकर घर लौटे छात्र

Chief Editor
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बिलासपुर । आधारशिला विद्या मंदिर एवं स्पिक मेके द्वारा आयोजित आवसीय सम्मलेन – अनुभव 4.0 का समापन कृतज्ञता एवं प्रेम से भरे माहौल में हुआ | यह अनुभव सीरीज इसलिए भी खास था क्योंकि इसके माध्यम से आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर “आज़ादी का अमृत महोत्सव” मनाया गया | इस सीरीज को विश्व विख्यात कलाकार स्वर्गीय पंडित शिव कुमार शर्मा को समर्पित किया गया | इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों ने पद्म श्री, पद्म भूषन और पद्म विभूषण स्तर के 50 से अधिक कलाकारों को सुनने का मौका मिला और 10 से अधिक कलाकारों से प्रत्यक्ष संवाद का भी अवसर मिला |

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इन सात दिनों में शहर के विद्वानों एवं अधिकारीयों ने भी बच्चों से संवाद किया | इस कार्यक्रम के दौरान आई. जी रतन डांगी, मेयररामशरण यादव, ए . डी . एन वाजपेयी, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, अटल श्रीवास्तव, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल एवं कमिश्नर डॉक्टर संजय अलंग ने बच्चों से बातचीत की एवं कई जीवन उपयोगी विचारों को साझा किया |

यह अवसर बच्चों के व्यावहारिक अनुभव के लिए भी खास था क्योंकि उन्होंने वह कर दिखाया जिसकी उन्हें खुद भी उम्मीद नही थी | रोज़ सुबह 3.30 पर उठ कर 4.०० बजे से नाद योग एवं हठ योग का अभ्यास कोई मामूली बात नही थी | सुबह के योग के साथ कई गतिविधियाँ उनकी दिनचर्या में शामिल रहीं | जैसे – श्रमदान, विभिन्न गुरुओं के साथ सीखना, सामूहिक भोजन, एक्सपर्ट टॉक, सामूहिक चर्चा, फिल्म शो, शास्त्रीय संगीत, कला, नृत्य आदि के बारे में विभिन्न गुरुओं से जानना एवं उनकी प्रस्तुति को देखना | बच्चों को रोज़ 3 घंटे की कक्षा में प्रत्यक्ष सीखने के लिए पद्मश्री विदुषी सुमित्रा गुहा (हिन्दुस्तानी वोकल), मंजू एलंगबम (मणिपुरी डांस), श्रीमती ऋतु वर्मा (पंडवानी संगीत), मिहिर कुमार दत्त, सुनील गर्गयान, आदि मौजूद रहे |

इस अनुभव के बारे में स्पिक्मेके संस्था के संस्थापक डा किरण सेठ ने कहा कि यह बच्चों के स्तर पर ‘माउंट एवेरेस्ट’ चढ़ने जैसा अनुभव है | संस्था ने यह सुनिश्चित किया की देश के प्रतिष्ठित कलाकार बच्चो से रूबरू हों एवं बच्चे उनसे कला, संस्कृति एवं विरासत के बारे में जानें | साथ ही नियमित अभ्यास से महज 5 दिनों में ही उन्होंने एक प्रस्तुति भी तैयार कर ली – यह शास्त्रीय कलाओं के हिसाब से गज़ब की बात है | समापन सभा में प्रत्येक समूह ने अपने गुरु से सीखने के दौरान हुए अनुभव को साझा किया | इन प्रस्तुतियों से श्रोताओं को गुरु शिष्य संबंध को समझने एवं सीखने की प्रक्रिया का महत्व जानने का मौका मिला |

आखिरी दिन के कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने के अलावा बच्चों ने संगीत, इतिहास, संस्कृति एवं विरासत से जुड़े सत्रों में भी प्रतिभाग किया | शाम की सभा में प्रसिद्द कलाकार उस्ताद वासिफुद्दीन डागर, विदुषी एस. सौम्या, विदुषी श्रुति शादोलिकर जैसे कलाकारों ने प्रस्तुति दी |

आधारशिला विद्या मंदिर के चेयरमैन एवं स्पिक मेके के सीनियर वालंटियर डा अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस सम्मलेन में योग, कला, सामूहिकता आदि के अनुभव बच्चों को जीवन पर्यंत काम आयेंगे और वे आने वाले समय में स्वयं भी ऐसी प्रक्रियाओं से गुजर कर अपने अनुभव संसार को समृद्ध करने का कार्य करेंगे | उन्होंने अभिभावकों से अनुरोध किया कि बच्चों के अकादमिक विकास के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास के लिए भी प्रयास करते रहें

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