बिलासपुर—-भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने धान खरीदे के समय बारदाने की कमी को लेकर आशंका जाहिर किया है। उन्होने प्रेस नोट जारी कर बताया कि समुचित व्यवस्था नहीं होने से पिछली बार की तरह इस बार भी किसान वारदाने की कमी की आशंका को लेकर चिंतित हैं। धीरेन्द्र ने बताया कि प्रशासन ने समितियों को जो दिशानिर्देश जारी किये गए है उसके अनुसार धान खरीदी के पहले दिन से ही 25 से 30 प्रतिशत बारदाने किसानों से लिए जाएंगे। इस बात को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गयी है।
भारतीय किसान संघ के नेता धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस बार भी पिछली बार की तरह किसानों को बारादने की कमी से जूझना पड़ेगा। जानकारी मिल रही है कि प्रशासन ने दिशानिर्देश जारी किया है कि पहले दिन से ही किसानों से 25 से 30 प्रतिशत बारदाना किसानों से लिया जाएगा। इससे व्यापारियों के चेहरे खिल गए है। वहीं किसानों की माथे पर चिंता की लकीर खिंच गयी है।
किसानों की बढ़ गयी चिन्ता
धीरेन्द्र ने कहा कि जैसे ही प्रशासन के निर्देश की जानकारी व्यापारियों तक पहुंची..रातों रात बारदाने की कीमतें आसमान पर पहुंच गई है। अब तक जो बारदाना 15 से 20 रूपयों में मिल जातेा था अब प्रति बारदाना की कीमत 35 रूपयों से अधिक हो गया है। गरीब किसान परेशान है।
धीरेन्द्र के अनुसार किसानों का मानना है कि हमें प्रति क्विंटल 100 रूपए अतिरिक्त खर्च बारदानों पर करना होगा। धान का समर्थन मूल्य 1940 रूपए है। बारदाने के खर्च के बाद यह कीमत 1840 रूपए हो जाएगा। किसानों ने बताया कि यदि एक बारदाना 35 रूपए में मिलता है तो एक क्विंटल धान के लिए तीन बारदानों की जरूरत होती है। बाजार में तीन बारदानों की कीमत करीब 100 रूपए होगा । जाहिर सी बीत है कि 100 रूपयों का अतिरिक्त भार किसानों पर ही पड़ेगा।
शासन को किसानों का धान किसानों की सुविधा को देखते हुए प्लास्टिक की बोरियों में भी लेना चाहिए। क्योंकि किसानों के पास खाद वाली प्लास्टिक बोरियां पर्याप्त संख्या में होती हैं।
किसानों का उठ रहा भरोसा
किसान नेता के अनुसार प्रदेश के किसानों से चर्चा के बाद किसानों ने बताया कि यदि बाहर से बारदाना किसानों को मिल सकता है तो सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। सरकार ने पिछले वर्ष बारदाने का पैसा देने का वादा किया था। लेकिन अभी तक राशि का भुगतान नहीं किया गया है। किसानों में धान खरीदी को लेकर सरकार से भरोसा उठता जा रहा है। साफ्टवेयर की गड़बड़ी बताकर हजारों किसानों का रकबा काटा गया…ऐसा किया जाना किसानों के साथ धोखा है।
अतिरिक्त आर्थिक बोझ
प्रेस नोट में धीरे्द्र ने बताया कि इस बार किसान एक नई समस्या से परेशान हैं। जिन किसानों की एक से अधिक ग्रामों में खेती है उनका पंजीयन पंजीयन एक ही समिति में कर दिया गया है। ऐसे में किसान को एक गांव से उसके दूसरे गांव की समिति में परिवहन करना पड़ेगा। जिससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।
बारदाने की कमी..आंदोलन की धमकी
भारतीय किसान संघ नेता के अनुसार बिलासपुर जिले में लगभग 1लाख 10 हजार पंजीकृत किसान हैं। 1लाख 25 हजार 172 हैक्टेयर में धान बेचा जाना है। 1 करोड़ 25 लाख बारदाने की जरूरत पड़ेगी। सूत्रों की मानें तो जिले में 70 लाख बारदाने की व्यवस्था प्रशासन ने किया है। इस प्रकार अभी भी 55 लाख बारदाने की व्यवस्था को लेकर संसय की स्थिति बनी हुई है।
धीरेन्द्र दुबे ने दुहराया कि सरकार किसानों को बारदाने और रकबे को लेकर होने वाली समस्या का तत्काल समाधान निकाले। किसानों को पिछले वर्ष की तरह बारदानों की समस्या से जूझना नहीं पड़े। अन्यथा भारतीय किसान संघ पूरे प्रदेश में सरकार के विरोध में आंदोलन करेगा।